30. मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूं, वैसा न्याय करता हूं, और मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूं।
30. I can do nothing by Myself. I say who is guilty only as My Father tells Me. That way, what I say is right, because I am not trying to do what I want to do. I am doing what the Father, Who sent Me, wants Me to do.