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1. सब चुंगी लेनेवाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।
1. আর করগ্রাহী ও পাপীরা সকলে তাঁহার বাক্য শুনিবার জন্য তাঁহার নিকটে আসিতেছিল।
2. और फरीसी और शास्त्री कुडकुडाकर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।।
2. তাহাতে ফরীশীরা ও অধ্যাপকেরা বচসা করিয়া বলিতে লাগিল, এ ব্যক্তি পাপীদিগকে গ্রহণ করে, ও তাহাদের সহিত আহার ব্যবহার করে।
3. तब उस ने उन से यह दृष्टान्त कहा।
3. তখন তিনি তাহাদিগকে এই দৃষ্টান্ত কহিলেন।
4. तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?यहेजकेल 34:11, यहेजकेल 34:16
4. তোমাদের মধ্যে কোন্ ব্যক্তি—যাহার এক শত মেষ আছে, ও সেই সকলের মধ্যে একটী হারাইয়া যায়—নিরানব্বইটা প্রান্তরে ছাড়িয়া যায় না, আর যে পর্য্যন্ত সেই হারাণটী না পায়, সে পর্য্যন্ত তাহার অন্বেষণ করিতে যায় না?
5. और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।
5. আর তাহা পাইলে সে আনন্দপূর্ব্বক কাঁধে তুলিয়া লয়।
6. और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।
6. পরে ঘরে আসিয়া বন্ধু বান্ধব ও প্রতিবাসীদিগকে ডাকিয়া বলে, আমার সঙ্গে আনন্দ কর, কারণ আমার যে মেষটী হারাইয়া গিয়াছিল, তাহা পাইয়াছি।
7. मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।।
7. আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, তদ্রূপ এক জন পাপী মন ফিরাইলে স্বর্গে আনন্দ হইবে; যাহাদের মন ফিরান অনাবশ্যক, এমন নিরানব্বই জন ধার্ম্মিকের বিষয়ে তত আনন্দ হইবে না।
8. या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
8. অথবা কোন্ স্ত্রীলোক, যাহার দশটী সিকি আছে, সে যদি একটী হারাইয়া ফেলে, তবে প্রদীপ জ্বালিয়া ঘর ঝাঁটি দিয়া যে পর্য্যন্ত তাহা না পায়, ভাল করিয়া খুঁজিয়া দেখে না?
9. और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।
9. আর পাইলে পর সে বন্ধু বান্ধব ও প্রতিবাসিনীগণকে ডাকিয়া বলে, আমার সঙ্গে আনন্দ কর, কারণ আমি যে সিকিটী হারাইয়া ফেলিয়াছিলাম, তাহা পাইয়াছি।
10. मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।।
10. তদ্রূপ, আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, এক জন পাপী মন ফিরাইলে ঈশ্বরের দূতগণের সাক্ষাতে আনন্দ হয়।
11. फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्रा थे।
11. আর তিনি কহিলেন, এক ব্যক্তির দুই পুত্র ছিল;
12. उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
12. তাহাদের মধ্যে কনিষ্ঠ আপন পিতাকে কহিল, পিতঃ, সম্পত্তির যে অংশ আমার ভাগে পড়ে, তাহা আমাকে দেও। তাহাতে তিনি তাহাদের মধ্যে ধন বিভাগ করিয়া দিলেন।
13. और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्रा सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।नीतिवचन 29:3
13. অল্প দিন পরে সেই কনিষ্ঠ পুত্র সমস্ত একত্র করিয়া লইয়া দূরদেশে চলিয়া গেল, আর তথায় সে অনাচারে নিজ সম্পত্তি উড়াইয়া দিল।
14. जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
14. সে সমস্ত ব্যয় করিয়া ফেলিলে পর সেই দেশে ভারী আকাল হইল, তাহাতে সে কষ্টে পড়িতে লাগিল।
15. और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहंा जो पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
15. তখন সে গিয়া সেই দেশের এক জন গৃহস্থের আশ্রয় লইল; আর সে তাহাকে শূকর চরাইবার জন্য আপনার মাঠে পাঠাইয়া দিল;
16. और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
16. তখন, শূকরে যে শুঁটী খাইত, তাহা দিয়া সে উদর পূর্ণ করিতে বাঞ্ছা করিত, আর কেহই তাহাকে দিত না।
17. जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहां हूं।
17. কিন্তু চেতনা পাইলে সে বলিল, আমার পিতার কত মজুর বেশী বেশী খাদ্য পাইতেছে, কিন্তু আমি এখানে ক্ষুধায় মরিতেছি।
18. मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है।भजन संहिता 51:4
18. আমি উঠিয়া আমার পিতার নিকটে যাইব, তাঁহাকে বলিব, পিতঃ, স্বর্গের বিরুদ্ধে এবং তোমার সাক্ষাতে আমি পাপ করিয়াছি;
19. अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्रा कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
19. আমি আর তোমার পুত্র নামের যোগ্য নই; তোমার এক জন মজুরের মত আমাকে রাখ।
20. तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
20. পরে সে উঠিয়া আপন পিতার নিকটে আসিল। সে দূরে থাকিতেই তাহার পিতা তাহাকে দেখিতে পাইলেন, ও করুণাবিষ্ট হইলেন, আর দৌড়িয়া গিয়া তাহার গলা ধরিয়া তাহাকে চুম্বন করিতে থাকিলেন।
21. पुत्रा न उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्रा कहलाऊं।
21. তখন পুত্র তাঁহাকে কহিল, পিতঃ, স্বর্গের বিরুদ্ধে ও তোমার সাক্ষাতে আমি পাপ করিয়াছি, আমি আর তোমার পুত্র নামের যোগ্য নই।
22. परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; झट अच्छे से अच्छा वस्त्रा निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
22. কিন্তু পিতা আপন দাসদিগকে বলিলেন, শীঘ্র করিয়া সব চেয়ে ভাল কাপড়খানি আন, আর ইহাকে পরাইয়া দেও, এবং ইহার হাতে অঙ্গুরী দেও ও পায়ে জুতা দেও;
23.
23. আর হৃষ্টপুষ্ট বাছুরটী আনিয়া মার; আমরা ভোজন করিয়া আমোদ প্রমোদ করি;
24. और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें।
24. কারণ আমার এই পুত্র মরিয়া গিয়াছিল, এখন বাঁচিল; হারাইয়া গিয়াছিল, এখন পাওয়া গেল। তাহাতে তাহারা আমোদ প্রমোদ করিতে লাগিল।
25. क्योंकि मेरा यह पुत्रा मर गया था, फिर जी गया है : खो गय था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे।
25. তখন তাঁহার জ্যেষ্ঠ পুত্র ক্ষেত্রে ছিল; পরে সে আসিতে আসিতে যখন বাটীর নিকটে পঁহুছিল, তখন বাদ্য ও নৃত্যের শব্দ শুনিতে পাইল।
26. परन्तु उसका जेठा पुत्रा खेत में था : और जब वह आते हुए घर के निकट पहुंचा, तो उस ने गाने बजाने और नाचने का शब्द सुना।
26. আর সে এক জন দাসকে কাছে ডাকিয়া জিজ্ঞাসা করিল, এ সকল কি?
27. और उस ने एक दास को बुलाकर पूछा; यह क्या हो रहा है?
27. সে তাহাকে বলিল, তোমার ভাই আসিয়াছে, এবং তোমার পিতা হৃষ্টপুষ্ট বাছুরটী মারিয়াছেন, কেননা তিনি তাহাকে সুস্থ পাইয়াছেন।
28. उस ने उस से कहा, तेरा भाई आया है; और तेरे पिता ने पला हुआ बछड़ा कटवाया है, इसलिये कि उसे भला चंगा पाया है।
28. তাহাতে সে ক্রুদ্ধ হইয়া উঠিল, ভিতরে যাইতে চাহিল না; তখন তাহার পিতা বাহিরে আসিয়া তাহাকে সাধ্যসাধনা করিতে লাগিলেন।
29. यह सुनकर वह क्रोध से भर गया, और भीतर जाना न चाहा : परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा।
29. কিন্তু সে উত্তর করিয়া পিতাকে কহিল, দেখ, এত বৎসর আমি তোমার সেবা করিয়া আসিতেছি, কখনও তোমার আজ্ঞা লঙ্ঘন করি নাই, তথাপি আমাকে কখনও একটী ছাগবৎস দেও নাই, যেন আমি নিজ মিত্রগণের সহিত আমোদ প্রমোদ করিতে পারি;
30. उस ने पिता को उत्तर दिया, कि देख; मैं इतने वर्ष से तरी सेवा कर रहा हूं, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता।
30. কিন্তু তোমার এই যে পুত্র বেশ্যাদের সঙ্গে তোমার ধন খাইয়া ফেলিয়াছে, সে যখন আসিল, তাহারই জন্য হৃষ্টপুষ্ট বাছুরটী মারিলে।
31. परन्तु जब तेरा यह पुत्रा, जिस ने तेरी संपत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ बछड़ा कटवाया।
31. তিনি তাহাকে বলিলেন, বৎস, তুমি সর্ব্বদাই আমার সঙ্গে আছ, আর যাহা যাহা আমার, সকলই তোমার।
32. उस ने उस से कहा; पुत्रा, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है।
32. কিন্তু আমাদের আমোদ প্রমোদ ও আনন্দ করা উচিত হইয়াছে, কারণ তোমার এই ভাই মরিয়া গিয়াছিল, এখন বাঁচিল; হারাইয়া গিয়াছিল, এখন পাওয়া গেল।