Matthew - मत्ती 9 | View All

1. फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया; और अपने नगर में आया।

1. And he got into a boat and went across and came to his town.

2. और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्रा, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए।

2. And they took to him a man stretched on a bed who had no power of moving; and Jesus, seeing their faith, said to the man who was ill, Son, take heart; you have forgiveness for your sins.

3. और देखो, कई शास्त्रियों ने सोचा, कि यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है।

3. And some of the scribes said among themselves, This man has no respect for God.

4. यीशु ने उन के मन की बातें मालूम करके कहा, कि तुम लोग अपने अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?

4. And Jesus, having knowledge of what was in their minds, said, Why are your thoughts evil?

5. सहज क्या है, यह कहना, कि तेरे पाप क्षमा हुए; या यह कहना कि उठ और चल फिर।

5. For which is the simpler, to say, You have forgiveness for your sins; or to say, Get up and go?

6. परन्तु इसलिये कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्रा को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है (उस ने झोले के मारे हुए से कहा ) उठ: अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।
यशायाह 63:1

6. But so that you may see that on earth the Son of man has authority for the forgiveness of sins, (then said he to the man who was ill,) Get up, and take up your bed, and go to your house.

7. वह उठकर अपने घर चला गया।

7. And he got up and went away to his house.

8. लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिस ने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।।

8. But when the people saw it they were full of fear, and gave glory to God who had given such authority to men.

9. वहां से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नाम एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। वह उठकर उसके पीछे हो लिया।।

9. And when Jesus was going from there, he saw a man whose name was Matthew, seated at the place where taxes were taken; and he said to him, Come after me. And he got up and went after him.

10. और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुतेरे महसूल लेनेवालों और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।

10. And it came about, when he was in the house taking food, that a number of tax-farmers and sinners came and took their places with Jesus and his disciples.

11. यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा; तुम्हारा गुरू महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?

11. And when the Pharisees saw it, they said to his disciples, Why does your Master take food with tax-farmers and sinners?

12. उस ने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है।

12. But on hearing this he said, Those who are well have no need of a medical man, but those who are ill.

13. सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।।
होशे 6:6

13. But go and take to heart the sense of these words, My desire is for mercy, not offerings: for I have come not to get the upright, but sinners.

14. तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा; क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?

14. Then the disciples of John came to him, saying, Why do we and the Pharisees frequently go without food, but your disciples do not?

15. यीशु ने उन से कहा; क्या बराती, जब तक दुल्हा उन के साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएंगे कि दूल्हा उन से अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।

15. And Jesus said to them, Will the friends of the newly-married man be sad as long as he is with them? But the days will come when he will be taken away from them, and then will they go without food.

16. कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने पहिरावन पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द पहिरावन से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है।

16. And no man puts a bit of new cloth on an old coat, for by pulling away from the old, it makes a worse hole.

17. और नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मश्कें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मश्कों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।

17. And men do not put new wine into old wine-skins; or the skins will be burst and the wine will come out, and the skins are of no more use: but they put new wine into new wine-skins, and so the two will be safe.

18. वह उन से ये बातें कह ही रहा था, कि देखो, एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।

18. While he was saying these things to them, there came a ruler and gave him worship, saying, My daughter is even now dead; but come and put your hand on her, and she will come back to life.

19. यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया।

19. And Jesus got up and went after him, and so did his disciples.

20. और देखो, एक स्त्री ने जिस के बारह वर्ष से लोहू बहता था, उसके पीछे से आकर उसके वस्त्रा के आंचल को छू लिया।
लैव्यव्यवस्था 15:25

20. And a woman, who for twelve years had had a flow of blood, came after him, and put her hand on the edge of his robe:

21. क्योंकि वह अपने मन में कहती थी कि यदि मैं उसके वस्त्रा ही को छू लूंबी तो चंगी हो जाऊंगी।

21. Because, she said to herself, if I may but put my hand on his robe, I will be made well.

22. यीशु ने फिरकर उसे देखा, और कहा; पुत्री ढाढ़स बान्ध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; सो वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।

22. But Jesus, turning and seeing her, said, Daughter, take heart; your faith has made you well. And the woman was made well from that hour.

23. जब यीशु उस सरदार के घर में पहुंचा और बांसली बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा तब कहा।

23. And when Jesus came into the ruler's house and saw the players with their instruments and the people making a noise,

24. हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है; इस पर वे उस की हंसी करने लगे।

24. He said, Make room; for the girl is not dead, but sleeping. And they were laughing at him.

25. परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उस ने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।

25. But when the people were sent out, he went in and took her by the hand; and the girl got up.

26. और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।

26. And the news of it went out into all that land.

27. जब यीशु वहां से आगे बढ़ा, तो दो अन्धे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, कि हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।

27. And when Jesus went on from there, two blind men came after him, crying out, Have mercy on us, you Son of David.

28. जब वह घर में पहुंचा, तो वे अन्धे उस के पास आए; और यीशु ने उन से कहा; क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं? उन्हों ने उस से कहा; हां प्रभु।

28. And when he had come into the house, the blind men came to him; and Jesus said to them, Have you faith that I am able to do this? They said to him, Yes, Lord.

29. तब उस ने उन की आंखे छूकर कहा, तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।

29. Then he put his hand on their eyes, saying, As your faith is, let it be done to you.

30. और उन की आंखे खुल गई और यीशु ने उन्हें चिताकर कहा; सावधान, कोई इस बात को न जाने।

30. And their eyes were made open. And Jesus said to them sharply, Let no man have knowledge of it.

31. पर उन्हों ने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।।

31. But they went out and gave news of him in all that land.

32. जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी उस के पास लाए।

32. And while they were going away, there came to him a man without the power of talking, and with an evil spirit.

33. और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा; और भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।

33. And when the evil spirit had been sent out, the man had the power of talking: and they were all surprised, saying, Such a thing has never been seen in Israel.

34. परन्तु फरीसियों ने कहा, यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्मओं को निकालता है।।

34. But the Pharisees said, By the ruler of evil spirits, he sends evil spirits out of men.

35. और यीशु सब नगरों और गांवों में फिरता रहा और उन की सभाओं में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।

35. And Jesus went about all the towns and small places, teaching in their Synagogues and preaching the good news of the kingdom and making well all sorts of disease and pain.

36. जब उस ने भीड़ को देखा तो उस को लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों की नाई जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे।
गिनती 27:17, 1 राजाओं 22:17, 2 इतिहास 18:16, यहेजकेल 34:5, जकर्याह 10:2

36. But when he saw all the people he was moved with pity for them, because they were troubled and wandering like sheep without a keeper.

37. तब उस ने अपने चेलों से कहा, पक्के खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं।

37. Then he said to his disciples, There is much grain but not enough men to get it in.

38. इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।।

38. Make prayer, then, to the Lord of the grain-fields, that he may send out workers to get in his grain.



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