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1. सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
1. And it came to pass in these days, that he went out into the mountain to pray; and he continued all night in prayer to God.
2. इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
2. And when it was day, he called his disciples; and he chose from them twelve:
3. परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
3. Simon, who is called Peter, and Andrew his brother; and James the [son] of Zebedee, and John his brother; Philip, and Bartholomew;
4. ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।।
4. Thomas, and Matthew the publican; James the [son] of Alphaeus, and Thaddaeus; Simon the Cananaean, and Judas Iscariot, who also delivered him up.
5. और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
5. And he came down with them, and stood on a level place with a great multitude of his disciples and the people who came to hear him and to be healed of their diseases. And he lifted up his eyes on his disciples, and said,
6. परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।2 राजाओं 4:33, यशायाह 26:20
6. Blessed [are] you+ poor: for yours+ is the kingdom of God.
7. प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाई बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
7. Blessed [are] you+ who hunger now: for you+ will be filled.
8. सो तुम उन की नाई न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।
8. Blessed [are] you+ who weep now: for you+ will laugh.
9. सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; 'हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं; तेरा नाम पवित्रा माना जाए।यहेजकेल 36:23
9. Blessed are you+, when men will hate you+, and when they will separate you+ [from their company], and reproach you+, and cast out your+ name as evil, for the Son of Man's sake.
10. तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
10. Rejoice in that day, and leap [for joy]: for look, your+ reward is great in heaven; for in the same manner their fathers did to the prophets.
11. हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।
11. But woe to you+ who are rich! For you+ have received your+ consolation.
12. और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।
12. Woe to you+, you+ who are full now! For you+ will hunger.
13. और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही है।' आमीन।
13. Woe [to you+], you+ who laugh now! For you+ will mourn and weep.
14. इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
14. Woe [to you+], when all men will speak well of you+! For in the same manner their fathers did to the false prophets.
15. और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।।
15. But I say to you+ who hear,
16. जब तुम उपासना करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जातें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।यशायाह 58:5
16. Love your+ enemies, do good to those who hate you+,
17. परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो।
17. bless those who curse you+, pray for those who despitefully use you+.
18. ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।।
18. To him who strikes you on the [one] cheek offer also the other;
19. अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।
19. and from him who takes away your cloak don't withhold your coat also.
20. परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।
20. Give to everyone who asks you; and of him who takes away your goods don't ask [for them] back.
21. क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
21. And as you+ would that men should do to you+, do+ to them likewise.
22. शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा।
22. And if you+ love those who love you+, what thanks do you+ have? For even sinners love those who love them.
23. परन्तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्धकार हो तो वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा।
23. For even if you+ do good to those who do good to you+, what thanks do you+ have? Even sinners do the same.
24. कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; 'तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते'।
24. And if you+ lend to them of whom you+ hope to receive, what thanks is it to you+? Even sinners lend to sinners, to receive again as much.
25. इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्रा से बढ़कर नहीं?
25. But love your+ enemies, and do [them] good, and lend, never despairing; and your+ reward will be great, and you+ will be sons of the Most High: for he is kind toward the unthankful and evil.
26. आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
26. Be+ merciful, even as your+ Father is merciful.
27. तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
27. And do not judge, and you+ will not be judged: and do not condemn, and you+ will not be condemned: release, and you+ will be released:
28. और वस्त्रा के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
28. give, and it will be given to you+; good measure, pressed down, shaken together, running over, they will give into your+ bosom. For with what measure you+ mete it will be measured to you+ again.