24. कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; 'तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते'।
24. No one, unto two masters, can be in service; for either, the one, he will hate, and, the other ,love, or, one, he will hold to, and, the other, despise: Ye cannot be in service, unto God, and, unto Riches.