Matthew - मत्ती 21 | View All

1. जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा।

1. পরে যখন তাঁহারা যিরূশালেমের নিকটবর্ত্তী হইয়া জৈতুন পর্ব্বতে, বৈৎফগী গ্রামে আসিলেন, তখন যীশু দুই জন শিষ্যকে পাঠাইয়া দিলেন,

2. कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्धी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ।

2. তাঁহাদিগকে বলিলেন, তোমাদের সম্মুখে ঐ গ্রামে যাও, অমনি দেখিতে পাইবে, একটী গর্দ্দভী বাঁধা আছে, আর তাহার সঙ্গে একটী বৎস, খুলিয়া আমার নিকটে আন।

3. यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।

3. আর যদি কেহ তোমাদিগকে কিছু বলে, তবে বলিবে, ইহাদিগেতে প্রভুর প্রয়োজন আছে; তাহাতে সে তখনই তাহাদিগকে পাঠাইয়া দিবে।

4. यह इसलिये हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो;

4. এইরূপ ঘটিল, যেন ভাববাদী দ্বারা কথিত এই বাক্য পূর্ণ হয়,

5. कि सिरयोन की बेटी से कहो, देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है; बरन लादू के बच्चे पर।
यशायाह 62:11, जकर्याह 9:9

5. “তোমরা সিয়োন-কন্যাকে বল, দেখ, তোমার রাজা তোমার কাছে আসিতেছেন; তিনি মৃদুশীল, ও গর্দ্দভের উপরে উপবিষ্ট; এবং শাবকের, গর্দ্দভ-বৎসের উপরে উপবিষ্ট।”

6. चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा था, वैसा ही किया।

6. পরে ঐ শিষ্যেরা গিয়া যীশুর আজ্ঞানুসারে কার্য্য করিলেন, গর্দ্দভীকে ও শাবকটীকে আনিলেন,

7. और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया।

7. এবং তাহাদের উপরে আপনাদের বস্ত্র পাতিয়া দিলেন, আর তিনি তাহাদের উপরে বসিলেন।

8. और बहुतेरे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और और लोगों ने पेड़ों से डालियां काटकर मार्ग में बिछाई।

8. আর ভিড়ের মধ্যে অধিকাংশ লোক আপন আপন বস্ত্র পথে পাতিয়া দিল, এবং অন্য অন্য লোক গাছের ডাল কাটিয়া পথে ছড়াইয়া দিল।

9. और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।
भजन संहिता 118:25-26

9. আর যে সকল লোক তাঁহার অগ্রপশ্চাৎ যাইতেছিল, তাহারা চেঁচাইয়া বলিতে লাগিল, হোশান্না দায়ূদ-সন্তান, ধন্য, যিনি প্রভুর নামে আসিতেছেন; ঊর্দ্ধলোকে হোশান্না।

10. जब उस ने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, यह कौन है?

10. আর তিনি যিরূশালেমে প্রবেশ করিলে নগরময় হুলস্থূল পড়িয়া গেল; সকলে কহিল, উনি কে?

11. लोगों ने कहा, यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।।

11. তাহাতে লোকসমূহ কহিল, উনি সেই ভাববাদী, গালীলের নাসরতীয় যীশু।

12. यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर, उन सब को, जो मन्दिर में लेन देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफों के पीढ़े और कबूतरों के बेचनेवालों की चौकियां उलट दीं।

12. পরে যীশু ঈশ্বরের ধর্ম্মধামে প্রবেশ করিলেন, এবং যত লোক ধর্ম্মধামে ক্রয়বিক্রয় করিতেছিল, সেই সকলকে বাহির করিয়া দিলেন, এবং পোদ্দারদের মেজ ও যাহারা কপোত বিক্রয় করিতেছিল, তাহাদের আসন সকল উল্টাইয়া ফেলিলেন,

13. और उन से कहा, लिखा है, कि मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो।
यशायाह 56:7, यशायाह 60:7, यिर्मयाह 7:11

13. আর তাহাদিগকে কহিলেন, লেখা আছে, “আমার গৃহ প্রার্থনাগৃহ বলিয়া আখ্যাত হইবে,” কিন্তু তোমরা ইহা “দস্যুগণের গহ্বর” করিতেছ।

14. और अन्धे और लंगड़े, मन्दिर में उसके पास लाए, और उस ने उन्हें चंगा किया।

14. পরে অন্ধেরা ও খঞ্জেরা ধর্ম্মধামে তাঁহার নিকট আসিল, আর তিনি তাহাদিগকে সুস্থ করিলেন।

15. परन्तु जब महायजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उस ने किए, और लड़कों को मन्दिर में दाऊद की सन्तान को होशाना पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित होकर उस से कहने लगे, क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?
भजन संहिता 118:25

15. কিন্তু প্রধান যাজকগণ ও অধ্যাপকেরা তাঁহার কৃত আশ্চর্য্য ক্রিয়া সকল দেখিয়া, আর যে বালকেরা ‘হোশান্না দায়ূদ-সন্তান,’ বলিয়া ধর্ম্মধামে চেঁচাইতেছিল, তাহাদিগকে দেখিয়া, রুষ্ট হইল;

16. यीशु ने उन से कहा, हां; क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा, कि बालकों और दूध पीते बच्चों के मुंह से तु ने स्तुति सिद्ध कराई?
भजन संहिता 8:2

16. এবং তাঁহাকে কহিল, শুনিতেছ, ইহারা কি বলিতেছে? যীশু তাহাদিগকে কহিলেন, হাঁ; তোমরা কি কখনও পাঠ কর নাই যে, “তুমি শিশু ও দুগ্ধপোষ্যদের মুখ হইতে স্তব সম্পন্ন করিয়াছ”?

17. तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिरयाह को गया, ओर वहंा रात बिताई।।

17. পরে তিনি তাহাদিগকে ছাড়িয়া নগরের বাহিরে বৈথনিয়ায় গেলেন, আর সেই স্থানে রাত্রি যাপন করিলেন।

18. भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी।

18. প্রাতঃকালে নগরে ফিরিয়া যাইবার সময়ে তিনি ক্ষুধিত হইলেন।

19. और अंजीर के पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया।

19. পথের পার্শ্বে একটা ডুমুরগাছ দেখিয়া তিনি তাহার নিকটে গেলেন, এবং পত্র বিনা আর কিছুই দেখিতে পাইলেন না। তখন তিনি গাছটিকে কহিলেন, আর কখনও তোমাতে ফল না ধরুক; আর হঠাৎ সেই ডুমুরগাছটা শুকাইয়া গেল।

20. यह देखकर चेलों ने अचम्भा किया, और कहा, यह अंजीर का पेड़ क्योंकर तुरन्त सूख गया?

20. তাহা দেখিয়া শিষ্যেরা আশ্চর্য্য জ্ঞান করিয়া কহিলেন, ডুমুরগাছটা হঠাৎ শুকাইয়া গেল কিরূপে?

21. यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जो; और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा।

21. যীশু উত্তর করিয়া তাঁহাদিগকে কহিলেন, আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, যদি তোমাদের বিশ্বাস থাকে, আর সন্দেহ না কর, তবে তোমরা কেবল ডুমুরগাছের প্রতি এইরূপ করিতে পারিবে তাহা নয়, কিন্তু এই পর্ব্বতকেও যদি বল, ‘উপড়িয়া যাও, আর সমুদ্রে গিয়া পড়’, তাহাই হইবে।

22. और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा।।

22. আর তোমরা প্রার্থনায় বিশ্বাসপূর্ব্বক যাহা কিছু যাচ্ঞা করিবে, সে সকলই পাইবে।

23. वह मन्दिर में जाकर उपदेश कर रहा था, कि महायाजकों और लोगों के पुरनियों ने उसके पास आकर पूछा, तू ये काम किस के अधिकार से करता है? और तुझे यह अधिकार किस ने दिया है?

23. পরে তিনি ধর্ম্মধামে আসিলে পর তাঁহার উপদেশ দিবার সময়ে প্রধান যাজকেরা ও লোকদের প্রাচীনবর্গ নিকটে আসিয়া বলিল, তুমি কি ক্ষমতায় এই সকল করিতেছ? আর কেই বা তোমাকে এই ক্ষমতা দিয়াছে?

24. यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं भी तुम से एक बात पूछता हूं; यदि वह मुझे बताओगे, तो मैं भी तुम्हें बताऊंगा; कि ये काम किस अधिकार से करता हूं।

24. যীশু উত্তর করিয়া তাহাদিগকে কহিলেন, আমিও তোমাদিগকে একটী কথা জিজ্ঞাসা করিব; তাহা যদি আমাকে বল, তবে কি ক্ষমতায় এ সকল করিতেছি, তাহা আমিও তোমাদিগকে বলিব।

25. यूहन्ना का बपतिस्मा कहां से था? स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से था? तब वे आपस में विवाद करने लगे, कि यदि हम कहें स्वर्ग की ओर से, तो वह हमे से कहेगा, फिर तुम ने उस की प्रतीति क्यों न की?

25. যোহনের বাপ্তিস্ম কোথা হইতে হইয়াছিল? স্বর্গ হইতে না মনুষ্য হইতে? তখন তাহারা পরস্পর তর্ক করিয়া বলিল, যদি বলি স্বর্গ হইতে, তাহা হইলে এ আমাদিগকে বলিবে, তবে তোমরা তাঁহাকে বিশ্বাস কর নাই কেন?

26. और यदि कहें मनुष्यों की ओर से तो हमें भीड़ का डर है; क्योंकि वे सब युहन्ना को भविष्यद्वक्ता जानते हैं।

26. আর যদি বলি, মনুষ্য হইতে, লোকসাধারণকে ভয় করি; কারণ সকলে যোহনকে ভাববাদী বলিয়া মানে।

27. सो उन्हों ने यीशु को उत्तर दिया, कि हम नहीं जानते; उस ने भी उन से कहा, तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता, कि ये काम किस अधिकार से करता हूं।

27. তখন তাহারা যীশুকে উত্তর করিয়া কহিল, আমরা জানি না। তিনিও তাহাদিগকে কহিলেন, তবে আমিও কি ক্ষমতায় এ সকল করিতেছি, তোমাদিগকে বলিব না।

28. तुम क्या समझते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्रा थे; उस ने पहिले के पास जाकर कहा; हे पुत्रा आज दाख की बारी में काम कर।

28. কিন্তু তোমাদের কেমন বোধ হয়? এক ব্যক্তির দুই পুত্র ছিল; তিনি প্রথম জনের নিকটে গিয়া কহিলেন, বৎস, যাও, আজ দ্রাক্ষাক্ষেত্রে কর্ম্ম কর।

29. उस ने उत्तर दिया, मैं नहीं जाऊंगा, परन्तु पीछे पछता कर गया।

29. সে উত্তর করিল, আমার ইচ্ছা নাই; শেষে অনুশোচনা করিয়া গেল।

30. फिर दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उस ने उत्तर दिया, जी हां जाता हूं, परन्तु नहीं गया।

30. পরে তিনি দ্বিতীয় জনের নিকটে গিয়া সেইরূপ কহিলেন। সে উত্তর করিল, কর্ত্তা, আমি যাইতেছি; কিন্তু গেল না।

31. इन दोनों में से किस ने पिता की इच्छा पूरी की? उन्हों ने कहा, पहिले ने: यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि महसूल लेनेवाले और वेश्या तुम से पहिले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं।

31. সেই দুইয়ের মধ্যে কে পিতার ইচ্ছা পালন করিল? তাহারা কহিল, প্রথম জন। যীশু তাহাদিগকে কহিলেন, আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, করগ্রাহী ও বেশ্যারা তোমাদের অগ্রে ঈশ্বরের রাজ্যে প্রবেশ করিতেছে।

32. क्योंकि यूहन्ना धर्म के मार्ग से तुम्हारे पास आया, और तुम ने उस की प्रतीति न की: पर महसूल लेनेवालों और वेश्याओं ने उस की प्रतीति की: और तुम यह देखकर पीछे भी न पछताए कि उस की प्रतीति कर लेते।।

32. কেননা যোহন ধার্ম্মিকতার পথ দিয়া তোমাদের নিকটে আসিলেন, আর তোমরা তাঁহাকে বিশ্বাস করিলে না; কিন্তু করগ্রাহী ও বেশ্যারা তাঁহাকে বিশ্বাস করিল; আর তোমরা তাহা দেখিয়া শেষেও এরূপ অনুশোচনা করিলে না যে, তাঁহাকে বিশ্বাস করিবে।

33. एक और दृष्टान्त सुनो: एक गृहस्थ था, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा; और उस मे रस का कुंड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठीका देकर परदेश चला गया।
यशायाह 5:1-7

33. আর একটী দৃষ্টান্ত শুন; এক জন গৃহকর্ত্তা ছিলেন, তিনি দ্রাক্ষার ক্ষেত্র করিয়া তাহার চারিদিকে বেড়া দিলেন, ও তাহার মধ্যে দ্রাক্ষা-কুণ্ড খনন করিলেন, এবং উচ্চগৃহ নির্ম্মাণ করিলেন; পরে কৃষকদিগকে তাহা জমা দিয়া অন্য দেশে চলিয়া গেলেন।

34. जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।

34. আর ফলের সময় সন্নিকট হইলে তিনি আপন ফল গ্রহণ করিবার জন্য কৃষকদের নিকটে নিজ দাসদিগকে প্রেরণ করিলেন।

35. पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थरवाह किया।

35. তখন কৃষকেরা তাঁহার দাসদিগকে ধরিয়া কাহাকেও প্রহার করিল, কাহাকেও বধ করিল, কাহাকেও পাথর মারিল।

36. फिर उस ने और दासों को भेजा, जो पहिलों से अधिक थे; और उन्हों ने उन से भी वैसा ही किया।

36. আবার তিনি পূর্ব্বাপেক্ষা আরও অনেক দাস প্রেরণ করিলেন; তাহাদের প্রতিও তাহারা সেই মত ব্যবহার করিল।

37. अन्त में उस ने अपने पुत्रा को उन के पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्रा का आदर करेंगे।

37. অবশেষে তিনি আপনার পুত্রকে তাহাদের নিকটে প্রেরণ করিলেন, বলিলেন, তাহারা আমার পুত্রকে সমাদর করিবে।

38. परन्तु किसानों ने पुत्रा को देखकर आपस में कहा, यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उस की मीरास ले लें।

38. কিন্তু কৃষকেরা পুত্রকে দেখিয়া পরস্পর বলিল, এই ব্যক্তিই উত্তরাধিকারী, আইস, আমরা ইহাকে বধ করিয়া ইহার অধিকার হস্তগত করি।

39. और उन्हों ने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।

39. পরে তাহারা তাঁহাকে ধরিয়া দ্রাক্ষাক্ষেত্রের বাহিরে ফেলিয়া বধ করিল।

40. इसलिये जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?

40. অতএব দ্রাক্ষাক্ষেত্রের কর্ত্তা যখন আসিবেন, তখন সেই কৃষকদিগকে কি করিবেন?

41. उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठीका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।

41. তাহারা তাঁহাকে বলিল, সেই দুষ্টদিগকে নিদারুণরূপে বিনষ্ট করিবেন, এবং সেই ক্ষেত্র এমন অন্য কৃষকদিগকে জমা দিবেন, যাহারা ফলের সময়ে তাঁহাকে ফল দিবে।

42. यीशु ने उन से कहा, क्या तुम ने कभी पवित्रा शास्त्रा में यह नहीं पढ़ा, कि जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया?
भजन संहिता 118:22-23

42. যীশু তাহাদিগকে কহিলেন, তোমরা কি কখনও শাস্ত্রে পাঠ কর নাই, “যে প্রস্তর গাঁথকেরা অগ্রাহ্য করিয়াছে, তাহাই কোণের প্রধান প্রস্তর হইয়া উঠিল; ইহা প্রভু হইতেই হইয়াছে, ইহা আমাদের দৃষ্টিতে অদ্ভুত”?

43. यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखते में अद्भुत है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।

43. এই জন্য আমি তোমাদিগকে কহিতেছি, তোমাদের নিকট হইতে ঈশ্বরের রাজ্য কাড়িয়া লওয়া যাইবে, এবং এমন এক জাতিকে দেওয়া হইবে, যে জাতি তাহার ফল দিবে।

44. जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा: और जिस पर वह गिरेगा, उस को पीस डालेगा।
यशायाह 8:14-15, दानिय्येल 2:34-35, दानिय्येल 2:44-45

44. আর এই প্রস্তরের উপরে যে পড়িবে, সে ভগ্ন হইবে; কিন্তু এই প্রস্তর যাহার উপরে পড়িবে, তাহাকে চূরমার করিয়া ফেলিবে।

45. महायाजक और फरीसी उसके दृष्टान्तों को सुनकर समझ गए, कि वह हमारे विषय में कहता है।

45. তাঁহার এই সকল দৃষ্টান্ত শুনিয়া প্রধান যাজকেরা ও ফরীশীরা বুঝিল যে, তিনি তাহাদেরই বিষয় বলিতেছেন।

46. और उन्हों ने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे।।

46. আর তাহারা তাঁহাকে ধরিতে চেষ্টা করিল, কিন্তু লোকসাধারণকে ভয় করিল, কেননা লোকে তাঁহাকে ভাববাদী বলিয়া মানিত।



Shortcut Links
मत्ती - Matthew : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |