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1. छ: दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना को साथ लिया, और उन्हें एकान्त में किसी ऊंचे पहाड़ पर ले गया।
1. [1] ছয় দিন পরে যীশু পিতর, যাকোব ও তাঁহার ভ্রাতা যোহনকে সঙ্গে করিয়া বিরলে এক উচ্চ পর্ব্বতে লইয়া গেলেন।
2. और उनके साम्हने उसका रूपान्तर हुआ और उसका मुंह सूर्य की नाई चमका और उसका वस्त्रा ज्योति की नाईं उजला हो गया।भजन संहिता 45:2, यशायाह 33:17
2. পরে তিনি তাঁহাদের সাক্ষাতে রূপান্তরিত হইলেন; তাঁহার মুখ সূর্য্যের ন্যায় দেদীপ্যমান, এবং তাঁহার বস্ত্র দীপ্তির ন্যায় শুভ্র হইল।
3. और देखो, मूसा और एलिरयाह उसके साथ बातें करते हुए उन्हें दिखाई दिए।
3. আর দেখ, মোশি ও এলিয় তাঁহাদিগকে দেখা দিলেন, তাঁহারা তাঁহার সহিত কথোপকথন করিতে লাগিলেন।
4. इस पर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, हमारा यहां रहना अच्छा है; इच्छा हो तो यहां तीन मण्डप बनाऊं; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिरयाह के लिये।
4. তখন পিতর যীশুকে কহিলেন, প্রভু, এখানে আমাদের থাকা ভাল; যদি আপনার ইচ্ছা হয়, তবে আমি এখানে তিনটী কুটীর নির্ম্মাণ করি, একটী আপনার জন্য, একটী মোশির জন্য এবং একটী এলিয়ের জন্য।
5. वह बोल ही रहा था, कि देखो, एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और देखो; उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्रा है, जिस से मैं प्रसन्न हूं: इस की सुनो।व्यवस्थाविवरण 18:15, भजन संहिता 2:7, यशायाह 42:1
5. তিনি কথা কহিতেছেন, এমন সময়ে দেখ, একখানি উজ্জ্বল মেঘ তাঁহাদিগকে ছায়া করিল, আর দেখ, সেই মেঘ হইতে এই বাণী হইল, ‘ইনিই আমার প্রিয় পুত্র, ইহাঁতেই আমি প্রীত, ইহাঁর কথা শুন’।
6. चेले यह सुनकर मुंह के बल गिर गए और अत्यन्त डर गए।
6. এই কথা শুনিয়া শিষ্যেরা উবুড় হইয়া পড়িলেন, এবং অত্যন্ত ভীত হইলেন।
7. यीशु ने पास आकर उन्हें छूआ, और कहा, उठो; डरो मत।
7. পরে যীশু নিকটে আসিয়া তাঁহাদিগকে স্পর্শ করিয়া কহিলেন, উঠ, ভয় করিও না।
8. तब उन्हों ने अपनी आंखे उठाकर यीशु को छोड़ और किसी को न देखा।
8. তখন তাঁহারা চক্ষু তুলিয়া আর কাহাকেও দেখিতে পাইলেন না, কেবল যীশু একা ছিলেন।
9. जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने उन्हें यह आज्ञा दी; कि जब तक मनुष्य का पुत्रा मरे हुओं में से न जी उठे तब तक जो कुछ तुम ने देखा है किसी से न कहना।
9. পর্ব্বত হইতে নামিবার সময়ে যীশু তাঁহাদিগকে এই আজ্ঞা করিলেন, যে পর্য্যন্ত মনুষ্যপুত্র মৃতগণের মধ্য হইতে না উঠেন, সে পর্য্যন্ত তোমরা এই দর্শনের কথা কাহাকেও বলিও না।
10. और उसके चेलों ने उस से पूछा, फिर शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिरयाह का पहले आना अवश्य है?
10. তখন শিষ্যেরা তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, তবে অধ্যাপকেরা কেন বলেন যে, প্রথমে এলিয়ের আগমন হওয়া আবশ্যক?
11. उस ने उत्तर दिया, कि एलिरयाह तो आएगा: और सब कुछ सुधारेगा।मलाकी 4:5
11. তিনি উত্তর করিয়া কহিলেন, সত্য বটে, এলিয়া আসিবেন, এবং সকলই পুনঃস্থাপন করিবেন;
12. परन्तु मैं तुम से कहता हूं, कि एलिरयाह आ चुका; और उन्हों ने उसे नहीं पहचाना; परन्तु जैसा चाहा वैसा ही उसके साथ किया: इसी रीति से मनुष्य का पुत्रा भी उन के हाथ से दुख उठाएगा।
12. কিন্তু আমি তোমাদিগকে কহিতেছি, এলিয় আসিয়া গিয়াছেন, এবং লোকেরা তাঁহাকে চিনে নাই, বরং তাঁহার প্রতি যাহা ইচ্ছা, তাহাই করিয়াছে; তদ্রূপ মনুষ্যপুত্রকেও তাহাদের হইতে দুঃখভোগ করিতে হইবে।
13. तब चेलों ने समझा कि उस ने हम से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के विषय में कहा है।
13. তখন শিষ্যেরা বুঝিলেন যে, তিনি তাঁহাদিগকে যোহন বাপ্তাইজকের বিষয় বলিয়াছেন।
14. जब वे भीड़ के पास पहुंचे, तो एक मनुष्य उसके पास आया, और घुटने टेककर कहने लगा।
14. পরে তাঁহারা লোকসমূহের নিকটে আসিলে এক ব্যক্তি তাঁহার কাছে আসিয়া জানু পাতিয়া কহিল, প্রভু,
15. हे प्रभु, मेरे पुत्रा पर दया कर; क्योंकि उस को मिर्गी आती है: और वह बहुत दुख उठाता है; और बार बार आग में और बार बार पानी में गिर पड़ता है।
15. আমার পুত্রের প্রতি দয়া করুন, কেননা সে মৃগীরোগগ্রস্ত, এবং অত্যন্ত ক্লেশ পাইতেছে, কারণ সে বার বার আগুনে ও বার বার জলে পড়িয়া থাকে।
16. और मैं उस को तेरे चेलों के पास लाया था, पर वे उसे अच्छा नहीं कर सके।
16. আর আমি আপনার শিষ্যদের নিকটে তাহাকে আনিয়াছিলাম, কিন্তু তাঁহারা তাহাকে সুস্থ করিতে পারিলেন না।
17. यीशु ने उत्तर दिया, कि हे अविश्वासी और हठीले लोगों मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा? कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे यहां मेरे पास लाओ।व्यवस्थाविवरण 32:5, व्यवस्थाविवरण 32:20
17. যীশু উত্তর করিয়া কহিলেন, হে অবিশ্বাসী ও বিপথগামী বংশ, আমি কত কাল তোমাদের সঙ্গে থাকিব? কত কাল তোমাদের প্রতি সহিষ্ণুতা করিব? তোমরা উহাকে এখানে আমার কাছে আন।
18. तब यीशु ने उसे घुड़का, और दुष्टात्मा उस में से निकला; और लड़का उसी घड़ी अच्छा हो गया।
18. পরে যীশু তাহাকে ধমক্ দিলেন, তাহাতে সেই ভূত তাহাকে ছাড়িয়া গেল, আর বালকটী সেই দণ্ড অবধি সুস্থ হইল।
19. तब चेलों ने एकान्त में यीशु के पास आकर कहा; हम इसे क्यों नहीं निकाल सके?
19. তখন শিষ্যেরা বিরলে যীশুর নিকটে আসিয়া কহিলেন, কি জন্য আমরা উহা ছাড়াইতে পারিলাম না?
20. उस ने उन से कहा, अपने विश्वास की घटी के कारण: क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे, कि यहां से सरककर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अन्होनी न होगी।
20. তিনি তাঁহাদিগকে বলিলেন, তোমাদের বিশ্বাস অল্প বলিয়া; কেননা আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, যদি তোমাদের একটী সরিষা-দানার ন্যায় বিশ্বাস থাকে, তবে তোমরা এই পর্ব্বতকে বলিবে, ‘এখান হইতে ঐখানে সরিয়া যাও,’ আর ইহা সরিয়া যাইবে; এবং তোমাদের অসাধ্য কিছুই থাকিবে না।
21. जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा; मनुष्य का पुत्रा मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा।
21.
22. और वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।
22. গালীলে তাঁহাদের একত্র হইবার সময়ে যীশু তাঁহাদিগকে কহিলেন, সম্প্রতি মনুষ্যপুত্র মনুষ্যদের হস্তে সমর্পিত হইবেন;
23. इस पर वे बहुत उदास हुए।।
23. এবং তাহারা তাঁহাকে বধ করিবে, আর তৃতীয় দিবসে তিনি উঠিবেন। ইহাতে তাঁহারা অত্যন্ত দুঃখিত হইলেন।
24. जब वे कफरनहूम में पहुंचे, तो मन्दिर के लिये कर लेनेवालों ने पतरस के पास आकर पूछा, कि क्या तुम्हारा गुरू मन्दिर का कर नहीं देता? उस ने कहा, हां देता तो है।निर्गमन 30:13, निर्गमन 38:26
24. পরে তাঁহারা কফরনাহূমে আসিলে, যাহারা আধুলি আদায় করিত, তাহারা পিতরের নিকটে আসিয়া বলিল, তোমাদের গুরু কি আধুলি দেন না? তিনি কহিলেন, দিয়া থাকেন।
25. जब वह घर में आया, तो यीशु ने उसके पूछने से पहिले उस से कहा, हे शमौन तू क्या समझता है? पृथ्वी के राजा महसूल या कर किन से लेते हैं? अपने पुत्रों से या परायों से? पतरस ने उन से कहा, परायों से।
25. পরে তিনি গৃহমধ্যে আসিলে যীশু অগ্রেই তাঁহাকে কহিলেন, শিমোন, তোমার কেমন বোধ হয়? পৃথিবীর রাজারা কাহাদের হইতে কর বা রাজস্ব গ্রহণ করিয়া থাকেন? কি আপন সন্তানদের হইতে, না অন্য লোক হইতে?
26. यीशु न उस से कहा, तो पुत्रा बच गए।
26. পিতর কহিলেন, অন্য লোক হইতে। তখন যীশু তাঁহাকে কহিলেন, তবে সন্তানেরা স্বাধীন।
27. तौभी इसलिये कि हम उन्हें ठोकर न खिलाएं, तू झील के किनारे जाकर बंसी डाल, और जो मछली पहिले निकले, उसे ले; तो तुझे उसका मुंह खोलने पर एक सिक्का मिलेगा, उसी को लेकर मेरे और अपने बदले उन्हें दे देना।।
27. তথাপি আমরা যেন উহাদের বিঘ্ন না জন্মাই, এই জন্য তুমি সমুদ্রে গিয়া বড়শী ফেল, তাহাতে প্রথমে যে মাছটী উঠিবে, সেইটী ধরিয়া তাহার মুখ খুলিলে একটী টাকা পাইবে; সেইটী লইয়া আমার এবং তোমার নিমিত্ত উহাদিগকে দেও।