Habakkuk - हबक्कूक 2 | View All

1. मैं अपने पहरे पर खड़ा रहूंगा, और गुम्मट पर चढ़कर ठहरा रहूंगा, और ताकता रहूंगा कि मुझ से वह क्या कहेगा? और मैं अपने दिए हुए उलाहने के विषय में उत्तर दूं?

1. আমি আপন প্রহরী-কার্য্যের স্থানে দাঁড়াইব, দুর্গের উপরে অবস্থিত থাকিব; আমার আবেদনের বিষয়ে তিনি আমাকে কি বলিবেন, এবং আমি কি উত্তর দিব, তাহা দেখিয়া বুঝিব।

2. यहोवा ने मुझ से कहा, दर्शन की बातें लिख दे; वरन पटियाओं पर साफ साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएं।

2. তখন সদাপ্রভু উত্তর করিয়া আমাকে কহিলেন, এই দর্শনের কথা লিখ, সুস্পষ্ট করিয়া ফলকে খুদ, যে পাঠ করে, সে যেন দৌড়িতে পারে।

3. क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने के समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौीाी उसकी बाट जाहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देन न होगी।
इब्रानियों 10:37-38, 2 पतरस 3:9

3. কেননা এই দর্শন এখনও নিরূপিত কালের নিমিত্ত, ও তাহা পরিনামের আকাঙ্ক্ষা করিতেছে, আর মিথ্যা হইবে না; তাহার বিলম্ব হইলেও তাহার অপেক্ষা কর, কেননা তাহা অবশ্য উপস্থিত হইবে, যথাকালে বিলম্ব করিবে না।

4. देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।
रोमियों 1:17, गलातियों 3:11

4. দেখ, তাহার প্রাণ দর্পে স্ফীত, তাহার অন্তর সরল নয়, কিন্তু ধার্ম্মিক ব্যক্তি আপন বিশ্বাস দ্বারা বাঁচিবে।

5. दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरूष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु की नाईं उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है।।

5. আবার মদ্য প্রযুক্ত সে বিশ্বাসঘাতক; সে অভিমানী বীর, সে ঘরে থাকে না; সে পাতালের ন্যায় অপরিমিত লোভী, সে মৃত্যুর সদৃশ, তৃপ্ত হয় না, কিন্তু সর্ব্বজাতিকে একত্র করিয়া আত্মসাৎ করে, এবং সর্ব্বলোকবৃন্দকে আপনার কাছে সংগ্রহ করে।

6. क्या वे सब उसका दृष्टान्त चलाकर, और उस पर ताना मारकर न कहेंगे कि हाय उस पर जो पराया धल छीन छीनकर धनवान हो जाता है? कब तक? हाय उस पर जो अपना घर बन्धक की वस्तुओं से भर लेता है।

6. তাহারা সকলে কি তাহার বিরুদ্ধে দৃষ্টান্ত কথা ও তাহার বিষয়ে পরিহাসজনক প্রবাদ উত্থাপন করিবে না? লোকে বলিবে, “ধিক্‌ তাহাকে, যে পরধনে বর্দ্ধিষ্ণু হয়—কত দিন হইবে?—আর যে বন্ধক দ্রব্যের ভারে ভারী হয়।”

7. जो तुझ से कर्ज लेते हैं, क्या वे लोग अचानक न उठेंगे? और क्या वे न जागेंगे जो तुझ को संकट में डालेंगे?

7. যাহারা তোমাকে দংশন করিবে, তাহারা কি হঠাৎ উঠিবে না? যাহারা তোমাকে সঞ্চালন করিবে, তাহারা কি শীঘ্র জাগিবে না? তখন তুমি তাহাদের লুঠিত বস্তু হইবে।

8. और क्या तू उन से लूटा न जाएगा? तू ने बहुत सी जातियों को लूट लिया है, सो सब बचे हुए लोग तुझे भी लूट लेंगे। इसका कारण मनुष्यों की हत्या, और वह अपद्रव भी जो तू ने इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया है।।

8. তুমি অনেক জাতির সম্পত্তি লুট করিয়াছ; এই হেতু জাতিগণের সমস্ত শেষাংশ তোমার সম্পত্তি লুট করিবে; ইহার কারণ মনুষ্যদের রক্তপাত, এবং দেশ, নগর ও তন্নিবাসীদের প্রতি কৃত দৌরাত্ম্য।

9. हाय उस पर, जो अपने धर के लिये अन्याय के लाभ का लोभी है ताकि वह अपना घोंसला ऊंचे स्थान में बनाकर विपत्ति से बचे।

9. ধিক তাহাকে যে আপন কুলের নিমিত্ত কুলাভ সংগ্রহ করে, যেন উচ্চে বাসা করিতে পারে, যেন অমঙ্গলের হস্ত হইতে উদ্ধার পাইতে পারে।

10. तू ने बहुत सी जातियों को काटकर अपने घर लिये लज्जा की युक्ति बान्धी, और अपने ही प्राण का दोषी ठहरा है।

10. অনেক জাতিকে উচ্ছিন্ন করাতে তুমি আপন কুলের লজ্জাজনক মন্ত্রণা করিয়াছ, ও আপন প্রাণের বিরুদ্ধে পাপ করিয়াছ।

11. क्योंकि घर की भीत का पत्थर दोहाई देता है, और उसके छत की कड़ी उनके स्वर में स्वर मिलाकर उत्तर देती हैं।

11. কেননা ভিত্তির মধ্য হইতে প্রস্তর কাঁদিবে, ও কাষ্ঠের মধ্য হইতে বরগা তাহার উত্তর দিবে।

12. हाय उस पर जो हत्या करके नगर को बनाता, और कुटिलता करके गढ़ को दृढ़ करता है।

12. ধিক্‌ তাহাকে, যে রক্তপাত দ্বারা পুরী গাঁথে, যে অন্যায় দ্বারা নগর সংস্থাপন করে।

13. देखो, क्या सेनाओं के यहोवा की ओर से यह नहीं होता कि देश देश के लोग परिश्रम तो करते हैं परन्तु वे आग का कौर होते हैं; और राज्य- राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ही ठहरता है?

13. দেখ, ইহা কি বাহিনীগণের সদাপ্রভু হইতে হয় না যে, লোকবৃন্দ অগ্নির জন্য পরিশ্রম করে, এবং জাতিগণ অলীকতার জন্য ক্লান্ত হয়?

14. क्योंकि पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है।।

14. কারণ সমুদ্র যেমন জলে আচ্ছন্ন, তেমনি পৃথিবী সদাপ্রভুর মহিমাবিষয়ক জ্ঞানে পরিপূর্ণ হইবে।

15. हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उस में विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे।

15. ধিক্‌ তাহাকে, যে আপন প্রতিবাসীকে পান করায়; তুমি ভাণ্ডে তোমার বিষ মিশাইয়া থাক, আবার তাহাকে মত্ত করিয়া থাক, যেন তুমি তাহাদের উলঙ্গতার প্রতি দৃষ্টিপাত করিতে পার।

16. तू महिमा की सन्ती अपमान ही से भर गया है। तू भी पी, और अपने को खतनाहीन प्रगट कर! जो कटोरा यहोवा के दहिने हाथ में रहता है, सो घूमकर तेरी ओर भी जाएगा, और तेरा विभव तेरी छांट से अशुद्ध हो जाएगा।

16. তুমি সম্মানের স্থানে অপমানেই পরিপূর্ণ হইয়াছ; তুমিও পান করিয়া অচ্ছিন্নত্বকের ন্যায় হও; সদাপ্রভুর দক্ষিণ হস্ত স্থিত পানপাত্র তোমার দিকে ফিরান যাইবে, ও তোমার গৌরবের উপরে জঘন্য লজ্জা উপস্থিত হইবে।

17. क्योंकि लबानोन में तेरा किया हुआ उपद्रव और वहां के पशुओं पर तेरा किया हुआ उत्पात, जिन से वे भयभीत हो गए थे, तुझी पर आ पड़ेंगे। यह मनुष्यों की हत्या और उस उपद्रव के कारण होगा, जो इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया गया है।।

17. কারণ লিবানোনের প্রতি কৃত দৌরাত্ম্য তোমাকে আচ্ছন্ন করিবে ও পশুগণের সংহার তোমার ত্রাস জন্মাইবে; ইহার কারণ মনুষ্যদের রক্তপাত, এবং দেশ, নগর ও তন্নিবাসীদের প্রতি কৃত দৌরাত্ম্য।

18. खुदी हुई मूरत में क्या लाभ देखकर बनानेवाले ने उसे खोदा है? फिर झूठ सिखानेवाली और ढली हुई मूरत में क्या लाभ देखकर ढालनेवाले ने उस पर इतना भरोसा रखा है कि न बोलनेवाली और निकम्मी मूरत बनाए?
1 कुरिन्थियों 12:2

18. ক্ষোদিত প্রতিমায় উপকার কি যে, তাহার নির্ম্মাতা তাহা ক্ষোদন করে? ছাঁচে ঢালা প্রতিমার ও মিথ্যার শিক্ষকেই বা [উপকার কি] যে, আপনার নির্ম্মিত বস্তুর নির্ম্মাতা তাহাতে বিশ্বাস করিয়া অবাক্‌ অবস্তু নির্ম্মাণ করে?

19. हाय उस पर जो काठ से कहता है, जाग, वा अबोल पत्थर से, उठ! क्या वह सिखाएगा? देखो, वह सोने चान्दी में मढ़ा हुआ है, परन्तु उस में आत्मा नहीं है।।
1 कुरिन्थियों 12:2

19. ধিক্‌ তাহাকে, যে কাষ্ঠকে বলে, তুমি জাগ, অবাক্‌ প্রস্তরকে বলে, তুমি উঠ। সে কি শিক্ষা দিবে? দেখ, সে সুবর্ণ ও রৌপ্যে মণ্ডিত, তাহার অন্তরে শ্বাসবায়ুর লেশও নাই।

20. परन्तु यहोवा अपने पवित्रा मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे।।

20. কিন্তু সদাপ্রভু আপন পবিত্র মন্দিরে আছেন; সমস্ত পৃথিবী তাঁহার সম্মুখে নীরব থাক।



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