18. कोई क्यों न हो जिस में दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अन्धा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हो,
18. For who so euer hath a blemysh vpon him, shal not come nere, whether he be blynde, lame, with an euell fauoured nose, wt eny mysshappen membre,