Leviticus - लैव्यव्यवस्था 2 | View All

1. और जब कोई यहोवा के लिये अन्नबलि का चढ़ावा चढ़ाना चाहे, तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे;

1. আর কেহ যখন সদাপ্রভুর উদ্দেশে ভক্ষ্য-নৈবেদ্য উপহার দেয়, তখন সূক্ষ্ম সূজি তাহার উপহার হইবে, এবং সে তাহার উপরে তৈল ঢালিবে ও কুন্দুরু দিবে;

2. और वह उसको हारून के पुत्रों के पास जो याजक हैं लाए। और अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से इस तरह अपनी मुट्ठी भरकर निकाले कि सब लोबान उस में आ जाए; और याजक उन्हें स्मरण दिलानेवाले भाग के लिये वेदी पर जलाए, कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धित हवन ठहरे।

2. আর হারোণের পুত্র যাজকদের নিকটে সে তাহা আনিবে, এবং সে তাহা হইতে এক মুষ্টি সূক্ষ্ম সূজি ও তৈল এবং সমস্ত কুন্দুরু লইবে; পরে যাজক সেই নৈবেদ্যের স্মরণার্থক অংশ বলিয়া তাহা বেদির উপরে দগ্ধ করিবে; তাহা সদাপ্রভুর উদ্দেশে সৌরভার্থক অগ্নিকৃত উপহার।

3. और अन्नबलि में से जो बचा रहे सो हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; यह यहोवा के हवनों में से परमपवित्रा वस्तु होगी।।

3. এই ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের অবশিষ্ট অংশ হারোণের ও তাহার পুত্রগণের হইবে; সদাপ্রভুর অগ্নিকৃত উপহার বলিয়া ইহা অতি পবিত্র।

4. और जब तू अन्नबलि के लिये तन्दूर में पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए, तो वह तेल से सने हुए अखमीरी मैदे के फुलकों, वा तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी चपातियों का हो।

4. আর যদি তুমি তুন্দুরে পক্ব ভক্ষ্য-নৈবেদ্য উপহার দেও, তবে তৈলমিশ্রিত তাড়ীশূন্য সূক্ষ্ম সূজির পিষ্টক বা তৈলাক্ত তাড়ীশূন্য সরুচাকলী দিতে হইবে।

5. और यदि तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अन्नबलि हो, तो वह तेल से सने हुए अखमीरी मैदे का हो;

5. আর যদি তুমি ভর্জ্জনপাত্রে ভর্জ্জিত ভক্ষ্য-নৈবেদ্য উপহার দেও, তবে তৈলমিশ্রিত তাড়ীশূন্য সূক্ষ্ম সূজি দিতে হইবে।

6. उसको टुकडे टुकडे करके उस पर तेल डालना, तब वह अन्नबलि हो जाएगा।

6. তুমি তাহা খণ্ড খণ্ড করিয়া তাহার উপরে তৈল ঢালিবে; ইহা ভক্ষ্য-নৈবেদ্য।

7. और यदि तेरा चढ़ावा कढ़ाही में तला हुआ अन्नबलि हो, तो वह मैदे से तेल में बनाया जाए।

7. আর যদি তুমি কটাহে পক্ব ভক্ষ্য-নৈবেদ্য উপহার দেও, তবে তৈলপক্ব সূক্ষ্ম সূজি দিতে হইবে।

8. और जो अन्नबलि इन वस्तुओं में से किसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए, तब याजक उसे वेदी के समीप ले जाए।

8. এই সকল দ্রব্যের যে ভক্ষ্য-নৈবেদ্য তুমি সদাপ্রভুর উদ্দেশে দিবে; তাহা আনিয়া যাজককে দিও, সে তাহা বেদির নিকটে আনিবে।

9. और याजक अन्नबलि में से स्मरण दिलानेवाला भाग निकालकर वेदी पर जलाए, कि वह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे;

9. এবং যাজক সেই ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের স্মরণার্থক অংশ লইয়া বেদিতে দগ্ধ করিবে; তাহা সদাপ্রভুর উদ্দেশে সৌরভার্থক অগ্নিকৃত উপহার।

10. और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; वह यहोवा के हवनों में परमपवित्रा वस्तु होगी।

10. আর সেই ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের অবশিষ্ট অংশ হারোণের ও তাহার পুত্রগণের হইবে; সদাপ্রভুর অগ্নিকৃত উপহার বলিয়া তাহা অতি পবিত্র।

11. कोई अन्नबलि जिसे तुम यहोवा के लिये चढ़ाओ खमीर मिलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन में यहोवा के लिये खमीर और मधु न जलाना।

11. তোমরা সদাপ্রভুর উদ্দেশে যে কোন ভক্ষ্য-নৈবেদ্য আনিবে, তাহা তাড়ীতে প্রস্তুত হইবে না, কেননা তোমরা তাড়ী কিম্বা মধু, ইহার কিছুই সদাপ্রভুর উদ্দেশে অগ্নিকৃত উপহার বলিয়া দগ্ধ করিবে না।

12. तुम इनको पहिली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के लिये चढ़ाना, पर वे सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर चढ़ाए न जाएं।

12. তোমরা অগ্রিমাংশের উপহার বলিয়া তাহা সদাপ্রভুর উদ্দেশে নিবেদন করিতে পার, কিন্তু সৌরভার্থে বেদির উপরে তাহা রাখা যাইবে না।

13. फिर अपने सब अन्नबलियों को नमकीन बनाना; और अपना कोई अन्नबलि अपने परमेश्वर के साथ बन्धी हुई वाचा के नमक से रहित होने न देना; अपने सब चढ़ावों के साथ नमक भी चढ़ाना।।

13. আর তুমি আপন ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের প্রত্যেক উপহার লবণাক্ত করিবে; তুমি আপন ভক্ষ্য-নৈবেদ্যে আপন ঈশ্বরের নিয়মের লবণদানে ত্রুটি করিবে না; তোমার যাবতীয় উপহারের সহিত লবণ দিবে।

14. और यदि तू यहोवा के लिये पहिली उपज का अन्नबलि चढ़ाए, तो अपनी पहिली उपज के अन्नबलि के लिये आग से झुलसाई हुई हरी हरी बालें, अर्थात् हरी हरी बालों को मींजके निकाल लेना, तब अन्न को चढ़ाना।

14. আর যদি তুমি সদাপ্রভুর উদ্দেশে আশুপক্ব শস্যের ভক্ষ্য-নৈবেদ্য নিবেদন কর, তবে তোমার আশুপক্ব শস্যের ভক্ষ্য-নৈবেদ্যরূপে অগ্নিতে ঝল্‌সান শীষ অর্থাৎ মর্দ্দিত কোমল শীষ নিবেদন করিবে।

15. और उस में तेल डालना, और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अन्नबलि हो जाएगा।

15. এবং তাহার উপরে তৈল দিবে ও কুন্দুরু রাখিবে; ইহা ভক্ষ্য-নৈবেদ্য।

16. और याजक सींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे।।

16. পরে যাজক তাহার স্মরণার্থক অংশরূপে কিছু মর্দ্দিত শস্য, কিছু তৈল ও সমস্ত কুন্দুরু দগ্ধ করিবে; ইহা সদাপ্রভুর উদ্দেশে অগ্নিকৃত উপহার।



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