Leviticus - लैव्यव्यवस्था 14 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

1. আর সদাপ্রভু মোশিকে কহিলেন,

2. कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है, कि वह याजक के पास पहुंचाया जाए।
मत्ती 8:4, लूका 17:14, मरकुस 1:44, लूका 5:14

2. কুষ্ঠরোগীর শুচি হইবার দিবসে তাহার পক্ষে এই ব্যবস্থা হইবে; সে যাজকের নিকটে আনীত হইবে।

3. और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो,

3. যাজক শিবিরের বাহিরে গিয়া দেখিবে; আর দেখ, যদি কুষ্ঠীর কুষ্ঠরোগের ঘায়ের উপশম হইয়া থাকে,

4. तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहराने वाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदारू की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएं;
इब्रानियों 9:19, मत्ती 8:4

4. তবে যাজক সেই শোধ্যমান ব্যক্তির নিমিত্তে দুইটী জীবৎ শুচি পক্ষী, এরস কাষ্ঠ, লোহিতবর্ণ লোম ও এসোব, এই সকল লইতে আজ্ঞা করিবে।

5. और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्रा में बलि किया जाए।

5. আর যাজক মাটীর পাত্রে স্রোতোজলের উপরে একটী পক্ষী হনন করিতে আজ্ঞা করিবে।

6. तब वह जीवित पक्षी को देवदारू की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभों को लेकर एक संग उस पक्षी के लोहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;

6. পরে সে ঐ জীবিত পক্ষী, এরস কাষ্ঠ, লোহিতবর্ণ লোম ও এসোব লইয়া ঐ স্রোতোজলের উপরে হত পক্ষীর রক্তে জীবিত পক্ষীর সহিত সে সকল ডুবাইবে,

7. और कोढ़ से शुद्ध ठहरनेवाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।

7. এবং কুষ্ঠ হইতে শোধ্যমান ব্যক্তির উপরে সাত বার ছিটাইয়া তাহাকে শুচি বলিবে, এবং ঐ জীবিত পক্ষীকে মাঠের দিকে ছাড়িয়া দিবে।

8. और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुंड़वाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।

8. তখন সেই শোধ্যমান ব্যক্তি আপন বস্ত্র ধৌত করিয়া ও সমস্ত কেশ মুণ্ডন করিয়া জলে স্নান করিবে, তাহাতে সে শুচি হইবে; তৎপরে সে শিবিরে প্রবেশ করিত পারিবে, কিন্তু সাত দিন আপন তাম্বুর বাহিরে থাকিবে।

9. और सातवें दिन वह सिर, डाढ़ी और भौहों के सब बाल मुंड़ाए, और सब अंग मुण्डन कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

9. পরে সপ্তম দিনে সে আপন মস্তকের কেশ, দাড়ি, ভ্রূ ও সর্ব্বাঙ্গের লোম মুণ্ডন করিবে, এবং আপন বস্ত্র ধৌত করিয়া আপনি জলে স্নান করিয়া শুচি হইবে।

10. और आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।

10. পরে অষ্টম দিনে সে নির্দ্দোষ দুইটী মেষশাবক, একবর্ষীয়া নির্দ্দোষ একটী মেষবৎসা ও ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের জন্য তৈলমিশ্রিত [এক ঐফা] সূজির দশ অংশের তিন অংশ ও এক লোগ তৈল লইবে।

11. और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होनेवाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।

11. পরে শুচিকারী যাজক ঐ শোধ্যমান লোকটীকে এবং ঐ সকল বস্তু লইয়া সমাগম-তাম্বুর দ্বারসমীপে সদাপ্রভুর সম্মুখে স্থাপন করিবে।

12. तब याजक एक भेड़ का बच्चा लेकर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनो को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए;

12. পরে যাজক একটী মেষশাবক লইয়া দোষার্থক বলিরূপে উৎসর্গ করিবে, এবং তাহা ও সেই এক লোগ তৈল দোলনীয় নৈবেদ্যরূপে সদাপ্রভুর সম্মুখে দোলাইবে।

13. तब याजक एक भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहां वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात् पवित्रास्थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसा पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसा ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्रा है।

13. যে স্থানে পাপার্থক বলি ও হোমবলি হনন করা যায়, সেই পবিত্র স্থানে ঐ মেষশাবকটীকে হনন করিবে, কেননা দোষার্থক বলি পাপার্থক বলির ন্যায় যাজকের অংশ; তাহা অতি পবিত্র।

14. तब याजक दोषबलि के लोहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

14. পরে যাজক ঐ দোষার্থক বলির কিঞ্চিৎ রক্ত লইয়া ঐ শোধ্যমান ব্যক্তির দক্ষিণ কর্ণের প্রান্তে, দক্ষিণ হস্তের অঙ্গুষ্ঠে ও দক্ষিণ পাদের অঙ্গুষ্ঠে দিবে।

15. और याजक उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएं हाथ की हथेली पर डाले,

15. আর যাজক সেই এক লোগ তৈলের কিয়দংশ লইয়া আপনার বাম হস্তের তালুতে ঢালিবে।

16. और याजक अपने दहिने हाथ की उंगली को अपने बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उंगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।

16. পরে যাজক সেই বাম হস্তস্থিত তৈলে আপন দক্ষিণ হস্তাঙ্গুলি ডুবাইয়া অঙ্গুলি দ্বারা সেই তৈল হইতে কিঞ্চিৎ কিঞ্চিৎ সাত বার সদাপ্রভুর সম্মুখে ছিটাইয়া দিবে।

17. और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उस में से कुछ शुद्ध होनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के ऊपर लगाएं;

17. আর আপন হস্তস্থিত অবশিষ্ট তৈলের কিয়দংশ লইয়া যাজক শোধ্যমান ব্যক্তির দক্ষিণ কর্ণের প্রান্তে, দক্ষিণ হস্তের অঙ্গুষ্ঠে ও দক্ষিণ পাদের অঙ্গুষ্ঠে ঐ দোষার্থক বলির রক্তের উপরে দিবে।

18. और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होनेवाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

18. পরে যাজক আপন হস্তস্থিত অবশিষ্ট তৈল লইয়া ঐ শোধ্যমান ব্যক্তির মস্তকে দিবে, এবং যাজক সদাপ্রভুর সম্মুখে তাহার নিমিত্তে প্রায়শ্চিত্ত করিবে।

19. और याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित्त करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके:

19. আর যাজক পাপার্থক বলিদান করিবে, এবং সেই শোধ্যমান ব্যক্তির অশৌচের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করিবে, তৎপরে হোমবলি হনন করিবে।

20. अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, और वह शुद्ध ठहरेगा।।

20. আর যাজক হোমবলি ও ভক্ষ্য-নৈবেদ্য বেদিতে উৎসর্গ করিবে, এবং যাজক তাহার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করিবে; তাহাতে সে শুচি হইবে।

21. परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित्त करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;

21. আর সে ব্যক্তি যদি দরিদ্র হয়, এত আনিতে তাহার সঙ্গতি না থাকে, তবে সে আপনার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করণার্থে দোলনীয় দোষার্থক বলির নিমিত্তে একটী মেষবৎস, ও ভক্ষ্য-নৈবেদ্য, তৈলমিশ্রিত [এক ঐফা] সূজির দশ অংশের এক অংশ ও এক লোগ তৈল;

22. और दो पंडुक, वा कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।

22. এবং আপন সঙ্গতি অনুসারে দুইটী ঘুঘু কিম্বা দুইটী কপোতশাবক আনিবে; তাহার একটী পাপার্থক বলি, অন্যটী হোমবলি হইবে।

23. और आठवें दिन वह इन सभों को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सम्मुख, याजक के पास ले आए;

23. পরে অষ্টম দিনে সে আপনার শৌচার্থে সমাগম-তাম্বুর দ্বারসমীপে সদাপ্রভুর সম্মুখে যাজকের কাছে তাহাদিগকে আনিবে।

24. तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बलिवाले भेड़ के बच्चे को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए।

24. পরে যাজক দোষার্থক বলির মেষশাবক ও উক্ত এক লোগ তৈল লইয়া সদাপ্রভুর সম্মুখে দোলনীয় নৈবেদ্যার্থে তাহা দোলাইবে।

25. फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लोहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

25. পরে সে দোষার্থক বলির মেষশাবক হনন করিবে, এবং যাজক দোষার্থক বলির কিঞ্চিৎ রক্ত লইয়া শোধ্যমান ব্যক্তির দক্ষিণ কর্ণের প্রান্তে ও তাহার দক্ষিণ হস্তের অঙ্গুষ্ঠে ও দক্ষিণ পাদের অঙ্গুষ্ঠে দিবে।

26. फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएं हाथ की हथेली पर डालकर,

26. পরে যাজক সেই তৈল হইতে কিঞ্চিৎ লইয়া আপন বাম হস্তের তালুতে ঢালিবে।

27. अपने दहिने हाथ की उंगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल मे से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के;

27. আর যাজক দক্ষিণ হস্তের অঙ্গুলি দিয়া বাম হস্তস্থিত তৈল হইতে কিঞ্চিৎ কিঞ্চিৎ সাত বার সদাপ্রভুর সম্মুখে ছিটাইয়া দিবে।

28. फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के स्थान पर, लगाए।

28. আর যাজক আপন হস্তস্থিত তৈল হইতে কিঞ্চিৎ লইয়া শোধ্যমান ব্যক্তির দক্ষিণ কর্ণের প্রান্তে, দক্ষিণ হস্তের অঙ্গুষ্ঠে ও দক্ষিণ পাদের অঙ্গুষ্ঠে দোষার্থক বলির রক্তের স্থানের উপরে দিবে।

29. और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करने को उसके सिर पर डाल दे।

29. আর যাজক শোধ্যমান ব্যক্তির নিমিত্তে সদাপ্রভুর সম্মুখে প্রায়শ্চিত্ত করিবার জন্য আপন হস্তস্থিত অবশিষ্ট তৈল তাহার মস্তকে দিবে।

30. तब वह पंडुकों वा कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए,

30. পরে সে সঙ্গতি অনুসারে [দত্ত] দুইটী ঘুঘুর কিম্বা দুইটী কপোতশাবকের মধ্যে একটী উৎসর্গ করিবে;

31. अर्थात् जो पक्षी वह ला सका हो, उन में से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

31. অর্থাৎ তাহার সঙ্গতি অনুসারে ভক্ষ্য-নৈবেদ্যের সহিত একটী পাপর্থক বলি, অন্যটী হোমবলিরূপে উৎসর্গ করিবে, এবং যাজক শোধ্যমান ব্যক্তির নিমিত্তে সদাপ্রভুর সম্মুখে প্রায়শ্চিত্ত করিবে।

32. जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके, तो उसके लिये यही व्यवस्था है।।

32. কুষ্ঠরোগের ঘা বিশিষ্ট যে ব্যক্তি আপন শুদ্ধির সম্বন্ধে সঙ্গতিহীন, তাহার জন্য এই ব্যবস্থা।

33. फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

33. পরে সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে কহিলেন,

34. जब तुम लोग कनान देश में पहुंचो, जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूं, उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊं,

34. আমি যে দেশ অধিকারার্থে তোমাদিগকে দিব, সেই কনান দেশে তোমাদের প্রবেশের পর যদি আমি তোমাদের অধিকৃত দেশের কোন গৃহে কুষ্ঠরোগের কলঙ্ক উৎপন্ন করি,

35. तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे, कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानों कोई व्याधि है।

35. তবে সে গৃহের স্বামী আসিয়া যাজককে এই সংবাদ দিবে, আমার দৃষ্টিতে গৃহে কলঙ্কের মত দেখা দিতেছে।

36. तब याजक आज्ञा दे, कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहिले उसे खाली करो, कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और पीछे याजक घर देखने को भीतर जाए।

36. তৎপরে গৃহের সকল বস্তু যেন অশুচি না হয়, এই নিমিত্তে ঐ কলঙ্ক দেখিবার জন্য যাজকের প্রবেশের পূর্ব্বে গৃহ শূন্য করিতে যাজক আজ্ঞা করিবে; পরে যাজক গৃহ দেখিতে প্রবেশ করিবে।

37. तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी हरी वा लाल लाल मानों खुदी हुई लकीरों के रूप में हो, और ये लकीरें दीवार में गहिरी देख पड़ती हों,

37. আর সে সেই কলঙ্ক দেখিবে; আর দেখ, যদি গৃহের ভিত্তিতে কলঙ্ক নিম্ন ও ঈষৎ হরিৎ কিম্বা লোহিতবর্ণ হয়, এবং তাহার দৃষ্টিতে ভিত্তি অপেক্ষা নিম্ন বোধ হয়,

38. तो याजक घर से बाहर द्वार पर जाकर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे।

38. তবে যাজক গৃহ হইতে বাহির হইয়া গৃহদ্বারে গিয়া সাত দিন ঐ গৃহ রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

39. और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो,

39. সপ্তম দিনে যাজক পুনর্ব্বার আসিয়া দৃষ্টি করিবে; আর দেখ, গৃহের ভিত্তিতে সেই কলঙ্ক যদি বাড়িয়া থাকে,

40. तो याजक आज्ञा दे, कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकाल कर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें;

40. তবে যাজক আজ্ঞা করিবে, যেন কলঙ্কবিশিষ্ট প্রস্তর সকল উৎপাটন করিয়া লোকেরা নগরের বাহিরে অশুচি স্থানে নিক্ষেপ করে।

41. और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए, और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए;

41. পরে সে গৃহের ভিতরের চারিদিক্‌ ঘর্ষণ করাইবে, ও তাহারা সেই ঘর্ষণের ধূলা নগরের বাহিরে অশুচি স্থানে ফেলিয়া দিবে।

42. और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर लेकर लगाएं और याजक ताजा गारा लेकर घर की जुड़ाई करे।

42. আর তাহারা অন্য প্রস্তর লইয়া সেই প্রস্তরের স্থানে বসাইবে, ও অন্য প্রলেপ লইয়া গৃহ লেপন করিবে।

43. और यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,

43. এইরূপে প্রস্তর উৎপাটন এবং গৃহ ঘর্ষণ ও লেপন করিলে পর যদি পুনর্ব্বার কলঙ্ক জন্মিয়া গৃহে বিস্তৃত হয়, তবে যাজক আসিয়া দেখিবে;

44. तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो, तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है।

44. আর দেখ, যদি ঐ গৃহে কলঙ্ক বাড়িয়া থাকে, তবে সেই গৃহে সংহারক কুষ্ঠ আছে, সেই গৃহ অশুচি।

45. और वह सब गारे समेत पत्थर, लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे।

45. লোকেরা ঐ গৃহ ভাঙ্গিয়া ফেলিবে, এবং গৃহের প্রস্তর, কাষ্ঠ ও প্রলেপ সকল নগরের বাহিরে অশুচি স্থানে লইয়া যাইবে।

46. और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उस में जाए तो वह सांझ तक अशुद्ध रहे;

46. আর ঐ গৃহ যাবৎ রুদ্ধ থাকে, তাবৎ যে কেহ তাহার ভিতরে যায়, সে সন্ধ্যা পর্য্যন্ত অশুচি থাকিবে।

47. और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए।

47. আর যে কেহ সেই গৃহে শয়ন করে, সে আপন বস্ত্র ধৌত করিবে; এবং যে কেহ সেই গৃহে আহার করে, সেও আপন বস্ত্র ধৌত করিবে।

48. और यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उस में व्याधि नहीं फैली है, तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है, घर को शुद्ध ठहराए।

48. আর যদি যাজক প্রবেশ করিয়া দেখে, আর দেখ, সেই গৃহ লেপনের পর কলঙ্ক আর বাড়ে নাই, তবে যাজক সেই গৃহকে শুচি বলিবে, কেননা কলঙ্কের উপশম হইয়াছে।

49. और उस घर को पवित्रा करने के लिये दो पक्षी, देवदारू की लकड़ी, लाल रंग का कपड़ा और जूफा लिवा लाए,

49. পরে সে ঐ গৃহ মুক্তপাপ করণার্থে দুইটী পক্ষী, এরসকাষ্ঠ, লোহিতবর্ণ লোম ও এসোব লইবে;

50. और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्रा में बलिदान करे,

50. এবং মাটীর পাত্রে স্রোতোজলের উপরে একটী পক্ষী হনন করিবে।

51. तब वह देवदारू की लकड़ी लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभों को लेकर बलिदान किए हुए पक्षी के लोहू में और बहते हुए जल में डूबा दे, और उस घर पर सात बार छिड़के।

51. পরে সে ঐ এরসকাষ্ঠ, এসোব, লোহিতবর্ণ লোম ও জীবিত পক্ষী, এই সকল লইয়া হত পক্ষীর রক্তে ও স্রোতোজলে ডুবাইয়া সাত বার গৃহে ছিটাইয়া দিবে।

52. और वह पक्षी के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्रा करे;

52. এইরূপে পক্ষীর রক্ত, স্রোতোজল, জীবিত পক্ষী, এরসকাষ্ঠ, এসোব ও লোহিতবর্ণ লোম, এই সকলের দ্বারা সেই গৃহ মুক্তপাপ করিবে।

53. तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

53. পরে ঐ জীবিত পক্ষীকে নগরের বাহিরে মাঠের দিকে ছাড়িয়া দিবে, এবং গৃহের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করিবে; তাহাতে তাহা শুচি হইবে।

54. सब भांति के कोढ़ की व्याधि, और सेहुएं,

54. এই ব্যবস্থা সর্ব্বপ্রকার কুষ্ঠরোগের,

55. और वस्त्रा, और घर के कोढ़,

55. শ্বিত্ররেগের, বস্ত্রস্থিত কুষ্ঠের, ও গৃহের,

56. और सूजन, और पपड़ी, और फूल के विषय में,

56. এবং শোথ, পামা ও চিক্কণ চিহ্নের;

57. शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है।।

57. এই সকল কোন্‌ দিনে অশুচি ও কোন্‌ দিনে শুচি, তাহা জানাইবার জন্য; কুষ্ঠরোগের এই ব্যবস্থা।



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