Leviticus - लैव्यव्यवस्था 14 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

1. And Yahweh spake unto Moses, saying

2. कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है, कि वह याजक के पास पहुंचाया जाए।
मत्ती 8:4, लूका 17:14, मरकुस 1:44, लूका 5:14

2. This, shall be the law of the leper, in the day when he is declared clean, he shall be brought in unto the priest;

3. और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो,

3. then shall the priest go forth unto the outside of the camp, and the priest shall take a view, and lo! if the plague of leprosy hath been healed out of the leper,;

4. तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहराने वाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदारू की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएं;
इब्रानियों 9:19, मत्ती 8:4

4. then shall the priest give command, and there shall be taken for him that is to be cleansed two living clean birds, and cedar wood, and crimson am hyssop;

5. और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्रा में बलि किया जाए।

5. and the priest shall give command, and one bird shall be slain, within an earthen vessel over living water:

6. तब वह जीवित पक्षी को देवदारू की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभों को लेकर एक संग उस पक्षी के लोहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;

6. as for the living bird, he shall take, it, and the cedar wood and the crimson, and the hyssop, and shall dip them and the living bird, in the blood of the bird that hath been slain over the living water;

7. और कोढ़ से शुद्ध ठहरनेवाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।

7. and shall sprinkle upon him that is to be cleansed from the leprosy, seven times, and shall pronounce him clean, and shall let go the living bird over the face of the field.

8. और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुंड़वाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।

8. And he that is to be declared clean shall wash his clothes and shave off all his hair, and bathe in water, and be clean, and, afterwards, shall he come into the camp, and dwell outside his tent, seven days;

9. और सातवें दिन वह सिर, डाढ़ी और भौहों के सब बाल मुंड़ाए, और सब अंग मुण्डन कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

9. and it shall be on the seventh day, that he shall shave off all the hair of his head, and his beard, and his eyebrows, even all his hair, shall he shave off, and shall wash his clothes and bathe his flesh in water so shall he be clean.

10. और आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।

10. And, on the eighth day, he shall take two he-lambs, without defect, and one ewe-lamb, the choice of its year without defect, and three-tenths of fine meal for a meal-offering, overflowed with oil, and one log of oil.

11. और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होनेवाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।

11. And the priest that is cleansing him shall cause the man that is to be cleansed, and those things to stand before Yahweh, at the opening of the tent of meeting.

12. तब याजक एक भेड़ का बच्चा लेकर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनो को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए;

12. And the priest shall take one he-lamb, and bring him near as a guilt-bearer and the log of oil, and shall wave them as a wave-offering, before Yahweh;

13. तब याजक एक भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहां वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात् पवित्रास्थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसा पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसा ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्रा है।

13. and shall slay the lamb in the place where the sin-bearer and the ascending-sacrifice are slain, in the holy place, for like the sin-bearer, the guilt-bearer, is the priests, most holy, it is.

14. तब याजक दोषबलि के लोहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

14. Then shall the priest take of the blood of the guilt-bearer, and the priest shall put it upon the tip of the right ear of him that is to be cleansed, and upon the thumb of his right hand, and upon the great toe of his right foot;

15. और याजक उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएं हाथ की हथेली पर डाले,

15. and the priest shall take of the log of oil, and shall pour it upon the palm of the priest's left hand,

16. और याजक अपने दहिने हाथ की उंगली को अपने बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उंगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।

16. and the priest shall dip his right finger and take of the oil that is on the palm of his left hand, and shall sprinkle of the oil with his finger seven times before Yahweh:

17. और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उस में से कुछ शुद्ध होनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के ऊपर लगाएं;

17. and of the remainder of the oil which is on the palm of his hand, shall the priest put upon the tip of the right ear of him that is to be cleansed, and upon the thumb of his right hand, and upon the great toe of his right foot, upon the blood of the guilt-bearer;

18. और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होनेवाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

18. and that which remaineth of the oil that is on the palm of the priest's hand, he shall put upon the head of him that is to be cleansed, so shall the priest put a propitiatory-covering over him, before Yahweh.

19. और याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित्त करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके:

19. Then shall the priest offer the sin-bearer, and shall put a propitiatory-covering over him that is to be cleansed because of his uncleanness, and, afterwards, shall he slay the ascending-sacrifice.

20. अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, और वह शुद्ध ठहरेगा।।

20. And the priest shall cause the ascending-sacrifice, and the meal-offering to ascend at the altar, so shall the priest put a propitiatory-covering over him, and he shall be clean.

21. परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित्त करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;

21. But if he be poor and his hand hath not enough, then shall he take one he-lamb as a guilt-bearer to be waved to put a propitiatory-covering over him, and one-tenth of fine meal, overflowed with oil for a meal-offering, and a log of oil,

22. और दो पंडुक, वा कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।

22. and two turtle-doves or two young pigeons, for which his hand hath enough, so shall one be a sin-bearer, and the other an ascending-sacrifice.

23. और आठवें दिन वह इन सभों को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सम्मुख, याजक के पास ले आए;

23. And he shall bring them in on the eighth day, for his cleansing, unto the priest, unto the entrance of the tent of meeting, before Yahweh.

24. तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बलिवाले भेड़ के बच्चे को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए।

24. Then shall the priest take the guilt-bearing lamb and the log of oil, and the priest shall wave them as a wave-offering, before Yahweh.

25. फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लोहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

25. Then shall the guilt-bearing lamb be slain, and the priest shall take of the blood of the guilt-bearer, and put upon the tip of the right ear of him that is to be cleansed, and upon the thumb of his right hand, and upon the great toe of his right foot;

26. फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएं हाथ की हथेली पर डालकर,

26. also of the oil, shall the priest pour out, on the palm of his own left hand;

27. अपने दहिने हाथ की उंगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल मे से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के;

27. and the priest shall sprinkle with his right finger, of the oil that is on the palm of his left hand, seven times, before Yahweh;

28. फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरनेवाले के दहिने कान के सिरे पर, और उसके दहिने हाथ और दहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के स्थान पर, लगाए।

28. then shall the priest put, of the oil that is on the palm of his hand, upon the tip of the right ear of him that is to be cleansed, and upon the thumb of his right hand, and upon the great toe of his right foot, upon the place of the blood of the guilt-offering;

29. और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करने को उसके सिर पर डाल दे।

29. and that which remaineth of the oil which is on the palm of the priest's hand, shall he put upon the head of him that is to be cleansed, to put a propitiatory-covering over him before Yahweh.

30. तब वह पंडुकों वा कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए,

30. Then shall he offer one of the turtle-doves, or of the young pigeons, of that for which his hand hath enough;

31. अर्थात् जो पक्षी वह ला सका हो, उन में से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

31. even that for which his hand hath enough, the one as a sin-bearer and the other as an ascending-sacrifice, upon the meal-offering, so shall the priest put a propitiatory-covering over him that is to be cleansed before Yahweh.

32. जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके, तो उसके लिये यही व्यवस्था है।।

32. This is the law for him in whom hath been the plague of leprosy, whose hand hath not enough for that which pertaineth to his cleansing.

33. फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

33. And Yahweh spake unto Moses and unto Aaron saying:

34. जब तुम लोग कनान देश में पहुंचो, जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूं, उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊं,

34. When ye enter into the land of Canaan which I am about to give you for a possession, and I put a plague-mark of leprosy in a house, of the land of your possession,

35. तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे, कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानों कोई व्याधि है।

35. then shall he that owneth the house come in, and tell the priest, saying, A kind of plague-mark, appeareth to me in the house;

36. तब याजक आज्ञा दे, कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहिले उसे खाली करो, कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और पीछे याजक घर देखने को भीतर जाए।

36. and the priest shall give command, and they shall empty the house, ere yet the priest cometh in to view the mark, so that he do not pronounce unclean all that is in the house, and, after this, shall the priest come in to view the house:

37. तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी हरी वा लाल लाल मानों खुदी हुई लकीरों के रूप में हो, और ये लकीरें दीवार में गहिरी देख पड़ती हों,

37. then shall he view the mark and lo! if the mark is in the walls of the house, with sunken places greenish yellow or reddish, and they appear to be lower than the surface of the wall,

38. तो याजक घर से बाहर द्वार पर जाकर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे।

38. then shall the priest come forth out of the house, unto the entrance of the house, and shall shut up the house seven days;

39. और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो,

39. and the priest shall return on the seventh day, and take a view, and lo! if the mark hath spread in the walls of the house,

40. तो याजक आज्ञा दे, कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकाल कर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें;

40. then shall the priest give command, and they shall pull out the stones, wherein is the mark, and cast them forth outside the city, into an unclean place;

41. और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए, और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए;

41. and, the house itself, shall he cause to be scraped on the inside round about, and they shall pour out the mortar which they have scraped off, outside the city, into an unclean place;

42. और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर लेकर लगाएं और याजक ताजा गारा लेकर घर की जुड़ाई करे।

42. and shall take other stones, and put in the place of the stones, and, other mortar, shall he take and plaster the house.

43. और यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,

43. But if the mark again breaketh out in the house, after the taking out of the stones, and after the scraping of the house and after the plastering,;

44. तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो, तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है।

44. then shall the priest come in, and take a view, and lo! if the mark hath spread in the house, a fretting leprosy, it is in the house unclean, it is,

45. और वह सब गारे समेत पत्थर, लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे।

45. and he shall pull down the house, the stones thereof, and the timber thereof and all the mortar of the house, and shall carry them forth outside the city, into an unclean place.

46. और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उस में जाए तो वह सांझ तक अशुद्ध रहे;

46. And as for him that entereth into the house, all the days it is shut up, he shall be unclean until the evening;

47. और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए।

47. And, he that lieth in the house, shall wash his clothes, and he that eateth in the house shall wash his clothes.

48. और यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उस में व्याधि नहीं फैली है, तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है, घर को शुद्ध ठहराए।

48. But, though the priest do come, into the house, and take a view, yet lo! if the plague-mark hath not spread in the house after the house was plastered, then shall the priest pronounce the house clean, for, healed, is the plague.

49. और उस घर को पवित्रा करने के लिये दो पक्षी, देवदारू की लकड़ी, लाल रंग का कपड़ा और जूफा लिवा लाए,

49. Then shall he take to cleanse, the house, two birds, and cedar wood, and crimson, and hyssop;

50. और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्रा में बलिदान करे,

50. and shall kill one bird, within an earthen vessel over living water;

51. तब वह देवदारू की लकड़ी लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभों को लेकर बलिदान किए हुए पक्षी के लोहू में और बहते हुए जल में डूबा दे, और उस घर पर सात बार छिड़के।

51. and take the cedar wood and the hyssop, and the crimson and the living bird, and dip them in the blood of the slain bird, and in the living water, and sprinkle the house seven times;

52. और वह पक्षी के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्रा करे;

52. and so cleanse the house, with the blood of the bird and with the living water, and with the living bird, and with the cedar wood and with the hyssop, and with the crimson;

53. तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

53. and shall let go the living bird unto the outside of the city, unto the face of the field, so shall he put a propitiatory-covering over the house and it shall be clean.

54. सब भांति के कोढ़ की व्याधि, और सेहुएं,

54. This, is the law, for every plague-mark of leprosy and for scall;

55. और वस्त्रा, और घर के कोढ़,

55. and for garment leprosy, and for house leprosy ;

56. और सूजन, और पपड़ी, और फूल के विषय में,

56. and for rising, and for scab and for a bright spot;

57. शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है।।

57. to give instruction, on the day of declaring unclean, and on the day of declaring clean, This is the law of leprosy.



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