Daniel - दानिय्येल 4 | View All

1. नबूकदनेस्सर राजा की ओर से देश- देश और जाति जाति के लोगों, और भिन्न- भिन्न भाषा बोलनेवाले जितने सारी पृथ्वी पर रहते हैं, उन सभों को यह वचन मिला, तुम्हारा कुशल क्षेम बएे़!

1. সমস্ত পৃথিবী-নিবাসী সকল লোক, জাতি ও ভাষাবাদীর প্রতি নবূখদ্‌নিৎসর রাজার বিজ্ঞাপন।

2. मुझे यह अच्छा लगा, कि परमप्रधान परमेश्वर ने मुझे जो जो चिन्ह और चमत्कार दिखाए हैं, उनको प्रगट करूं।
यूहन्ना 4:48

2. তোমাদের মহতী শান্তি হউক। পরাৎপর ঈশ্বর আমার পক্ষে যে সকল চিহ্ন-কার্য্য ও আশ্চর্য্য কার্য্য সাধন করিয়াছেন, তাহা আমি প্রচার করা বিহিত বুঝিলাম।

3. उसके दिखाए हुए चिन्ह क्या ही बड़े, और उसके चमत्कारों में क्या ही बड़ी शक्ति प्रगट होती है! उसका राज्य तो सदा का और उसकी प्रभुता पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।।

3. আহা! তাঁহার চিহ্ন সকল কেমন মহৎ! তাঁহার আশ্চর্য্য কার্য্য সকল কেমন পরাক্রমশালী! তাঁহার রাজ্য অনন্তকালীন রাজ্য, ও তাঁহার কর্ত্তৃত্ব পুরুষানুক্রমে স্থায়ী।

4. मैं नबूकदनेस्सर अपने भवन में चैन से और प्रफुल्लित रहता था।

4. আমি নবূখদ্‌নিৎসর আপন গৃহে শান্তিযুক্ত ও আপন প্রাসাদে তেজস্বী ছিলাম।

5. मैं ने ऐसा स्वप्न देखा जिसके कारण मैं डर गया; और पलंग पर पड़े पड़े जो विचार मेरे मन में आए और जो बातें मै ने देखीं, उनके कारण मैं घबरा गया था।

5. আমি এক স্বপ্ন দেখিলাম, তাহা আমার ত্রাসজনক হইল, এবং শয্যার উপরে নানা চিন্তা ও মনের দর্শন আমাকে বিহ্বল করিল।

6. तब मैं ने आज्ञा दी कि बाबुल के सब पण्डित मेरे स्वप्न का फल मुझे बताने के लिये मेरे साम्हने हाजिर किए जाएं।

6. অতএব সেই স্বপ্নের তাৎপর্য্য আমাকে জানাইবার জন্য আমি বাবিলের সমস্ত বিদ্বান্‌ লোককে আমার নিকটে আনিতে আজ্ঞা করিলাম।

7. तब ज्योतिषी, तन्त्री, कसदी और होनहार बतानेवाले भीतर आए, और मैं ने उनको अपना स्वप्न बताया, परन्तु वे उसका फल न बता सके।

7. পরে মন্ত্রবেত্তা, গণক, কল্‌দীয় ও জ্যোতির্ব্বেত্তারা আমার কাছে আসিলে আমি তাহাদের কাছে সেই স্বপ্ন বলিলাম; কিন্তু তাহারা আমাকে তাহার তাৎপর্য্য বলিতে পারিল না।

8. निदान दानिरयेल मेरे सम्मुख आया, जिसका नाम मेरे देवता के नाम के कारण बेलतशस्सर रखा गया था, और जिस में पवित्रा ईश्वरों की आत्मा रहती है; और मैं ने उसको अपना स्वप्न यह कहकर बता दिया,

8. অবশেষে দানিয়েল, যাঁহার নাম আমার দেবের নামানুসারে বেল্টশৎসর, যাঁহার অন্তরে পবিত্র দেবগণের আত্মা আছেন, তিনি আমার সম্মুখে আসিলেন, আর আমি তাঁহার কাছে সেই স্বপ্ন বলিলাম; যথা—

9. कि, हे बेलेतश्स्सर तू तो सब ज्योतिषियों का प्रधान है, मैं जानता हूं कि तुझ में पवित्रा ईश्वरों की आत्मा रहती है, और तू किसी भेद के कारण नहीं घबराता; इसलिये जो स्वपन मैं ने देखा है उसे फल समेत मुझे बताकर समझा दे।

9. হে মন্ত্রবেত্তাগণের অধ্যক্ষ বেল্টশৎসর, আমি জানি, পবিত্র দেবগণের আত্মা তোমার অন্তরে আছেন, এবং কোন নিগূঢ় বাক্য তোমার পক্ষে কষ্টকর নহে; আমি স্বপ্নে যে যে দর্শন পাইয়াছি, তাহা ও তাহার তাৎপর্য্য আমাকে জ্ঞাত কর।

10. जो दर्शन मैं ने पलंग पर पाया वह यह है: मैं ने देखा, कि पृथ्वी के बीचोबीच एक वृक्ष लगा है; उसकी ऊंचाई बहुत बड़ी है।

10. শয্যার উপরে আমার মনের দর্শন এই; আমি দৃষ্টিপাত করিলাম, আর দেখ পৃথিবীর মধ্যস্থলে এক বৃক্ষ রহিয়াছে, তাহা উচ্চে বৃহৎ।

11. वह वृक्ष बड़ा होकर दृढ़ हो गया, और उसकी ऊंचाई स्वर्ग तक पहुंची, और वह सारी पृथ्वी की छोर तक देख पड़ता था।

11. সেই বৃক্ষ বৃদ্ধি পাইয়া বলবান ও উচ্চতায় গগনস্পর্শী হইল, সমস্ত পৃথিবীর প্রান্ত পর্য্যন্ত দৃশ্যমান হইল।

12. उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहां तक कि उस में सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियां बसेरा करता थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे।।
मत्ती 13:32, मरकुस 4:32, लूका 13:19

12. তাহার সুন্দর সুন্দর পত্র ও বিস্তর ফল ছিল; তাহার মধ্যে সকলের জন্য খাদ্য ছিল; তাহার তলে মাঠের পশুগণ ছায়া প্রাপ্ত হইত, তাহার শাখায় আকাশের পক্ষিগণ বাস করিত, এবং সমস্ত প্রাণী তাহা হইতে খাদ্য পাইত।

13. मैं ने पलंग पर दर्शन पाते समय क्या देखा, कि एक पवित्रा पहरूआ स्वर्ग से उतर आया।

13. পরে আমি আমার শয্যার উপরে মনের দর্শনে দৃষ্টিপাত করিলাম, আর দেখ, এক জন প্রহরী, এক পবিত্র ব্যক্তি, স্বর্গ হইতে নামিয়া আসিলেন।

14. उस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर यह कहा, वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छांट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल छितरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएं, और चिड़ियें उसकी डालियों पर से उड़ जाएं।

14. তিনি উচ্চৈঃস্বরে এই কথা কহিলেন, বৃক্ষটী ছেদন কর, উহার শাখা কাটিয়া ফেল, উহার পত্র ঝাড়িয়া ফেল, এবং উহার ফল ছড়াইয়া দেও; উহার তল হইতে পশুগণ ও উহার শাখা হইতে পক্ষিগণ চলিয়া যাউক।

15. तौभी उसके ठूंठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बान्धकर मैदान की हरी घास के बीच रहने दो। वह आकाश की ओस से भींगा करे और भूमि की घास खाने में मैदान के पशुओं के संग भागी हो।

15. কিন্তু ভূমিতে উহার মূলের কাণ্ডকে লৌহ ও পিত্তলের শৃঙ্খলে বদ্ধ করিয়া ক্ষেত্রের কোমল তৃণমধ্যে রাখ; আর সে আকাশের শিশিরে ভিজুক, এবং পশুদের সহিত পৃথিবীর তৃণে তাহার অংশ হউক;

16. उसका मन बदले और मनुष्य का न रहे, परन्तु पशु का सा बन जाए; और उस पर सात काल बीतें।

16. তাহার হৃদয় মানুষের না থাকিয়া পরিবর্ত্তিত হউক, ও তাহাকে পশুর হৃদয় দত্ত হউক; এবং তাহার উপরে সাত কাল ঘুরুক।

17. यह आज्ञा पहरूओं के निर्णय से, और यह बात पवित्रा लोगों के वचन से निकली, कि जो जीवित हैं वे जान लें कि परमप्रधान परमशॆवर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और उसको जिसे चाहे उसे दे देता है, और वह छोटे से छोटे मनुष्य को भी उस पर नियुक्त कर देता है।

17. এই বার্ত্তা প্রহরীবর্গের আদেশে, ও এই বিষয়টী পবিত্রগণের কথায় দত্ত হইল; অভিপ্রায় এই, যেন জীবিত লোকেরা জানিতে পারে যে, মনুষ্যদের রাজ্যে পরাৎপর কর্ত্তৃত্ব করেন, যাহাকে তাহা দিতে ইচ্ছা করেন, তাহাকে তাহা দেন, ও মনুষ্যদের মধ্যে অতি নীচ ব্যক্তিকে তাহার উপরে নিযুক্ত করেন।

18. मुझ नबूकदनेस्सर राजा ने यही स्वपन देखा। सो हे बेलतशस्सर, तू इसका फल बता, क्योंकि मेरे राज्य में और कोई पण्डित इसका फल मुझे समझा नहीं सकता, परन्तु तुझ में तो पवित्रा ईश्वरों की आत्मा रहती है, इस कारण तू उसे समझा सकता है।।

18. আমি রাজা নবূখদ্‌নিৎসর এই স্বপ্ন দেখিয়াছি; এখন হে বেল্টশৎসর, তুমি তাৎপর্য্য বল, কেননা আমার রাজ্যস্থ কোন বিদ্বান্‌ আমাকে তাৎপর্য্য বলিতে পারে না, কিন্তু তুমি বলিতে পার, কেননা তোমার অন্তরে পবিত্র দেবগণের আত্মা আছেন।

19. तब दानिरयेल जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, घड़ी भर घबराता रहा, और सोचते सोचते व्याकुल हो गया। तब राजा कहने लगा, हे बेलतशस्सर इस स्वप्न से, वा इसके फल से तू व्याकुल मत हो। बेलतशस्सर ने कहा, हे मेरे प्रभु, यह स्वप्न तेरे बैरियों पर, और इसका अर्थ तेरे द्रोहियों पर फले!

19. তখন দানিয়েল, যাঁহার নাম বেল্টশৎসর, কিয়ৎকাল স্তম্ভিত হইয়া রহিলেন, ভাবনাতে বিহ্বল হইলেন। রাজা কহিলেন, হে বেল্টশৎসর, সেই স্বপ্ন ও তাহার তাৎপর্য্য তোমাকে বিহ্বল না করুক। বেল্টশৎসর উত্তর করিলেন, হে আমার প্রভু, এই স্বপ্ন আপনার শত্রুগণের প্রতি ঘটুক, ও ইহার তাৎপর্য্য আপনার বিপক্ষ লোকদের প্রতি ঘটুক।

20. जिस वृक्ष हो तू ने देखा, जो बड़ा और दृढ़ हो गया, और जिसकी ऊंचाई स्वर्ग तक पहुंची और जो पृथ्वी के सिरे तक दिखाई देता था;

20. আপনি যে বৃক্ষটী দেখিয়াছেন, যাহা বৃদ্ধি পাইল, বলবান হইয়া উঠিল, যাহার উচ্চতা আকাশ পর্য্যন্ত পৌঁছিল, ও যাহা সমস্ত পৃথিবীতে দৃশ্যমান হইল,

21. जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिस में सभों के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिड़ियां बसेरा करती थीं,
लूका 13:19

21. যাহার পত্র সুন্দর ও ফল বিস্তর ছিল, যাহাতে সকলের জন্য খাদ্য ছিল, যাহার তলে মাঠের পশুগণ বাস করিত, এবং যাহার শাখাতে আকাশের পক্ষিগণ বসতি করিত; হে রাজন, সেই বৃক্ষ আপনি।

22. हे राजा, वह तू ही है। तू महान और सामर्थी हो गया, तेरी महिमा बढ़ी और स्वर्ग तक पहुंच गई, और तेरी प्रभुता पृथ्वी की छोर तक फैली है।

22. আপনি বৃদ্ধি পাইয়াছেন, বলবান হইয়া উঠিয়াছেন, আপনার মহিমা বৃদ্ধি পাইয়াছে, আকাশ পর্য্যন্ত পৌঁছিয়াছে, এবং আপনার কর্ত্তৃত্ব পৃথিবীর প্রান্ত পর্য্যন্ত ব্যাপিয়াছে।

23. और हे राजा, तू ने जो एक पवित्रा पहिरूए को स्वर्ग से उतरते और यह कहते देखा कि वृक्ष को काट डालो और उसका नाश करो, तौभी उसके ठूंठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बान्धकर मैदान की हरी घास के बीच में रहने दो; वह आकाश की ओस से भीगा करे, और उसको मैदान के पशुओं के संग ही भाग मिले; और जब तक सात युग उस पर बीत न चुकें, तब तक उसकी ऐसी ही दशा रहे।

23. আর মহারাজ দেখিয়াছেন, এক জন প্রহরী, এক পবিত্র ব্যক্তি, স্বর্গ হইতে নামিয়া আসিতেছেন, আর বলিতেছেন, ‘বৃক্ষটা ছেদন কর ও বিনষ্ট কর, কিন্তু ভূমিতে উহার মূলের কাণ্ডকে লৌহ ও পিত্তলের শৃঙ্খলে বদ্ধ করিয়া ক্ষেত্রের কোমল তৃণমধ্যে রাখ; সে আকাশের শিশিরে ভিজুক, মাঠের পশুদের সহিত তাহার অংশ হউক, যে পর্য্যন্ত না তাহার উপরে সাত কাল ঘূরে।’

24. हे राजा, इसका फल जो परमप्रधान ने ठाना है कि राजा पर घटे, वह यह है,

24. হে রাজন্‌, ইহার তাৎপর্য্য এই; আর আমার প্রভু মহারাজের উপরে যাহা আসিয়াছে, তাহা পরাৎপরেরই নিরূপণ।

25. कि तू मनुष्यों के बीच से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; तू बैलों की नाई घास चरेगा; और सात युग तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान ही प्रभुता करता है, और जिसे चाहे वह उसे दे देता है।

25. আপনি মানব-সমাজ হইতে দূরীকৃত হইবেন, মাঠের পশুদের সহিত আপনার বসতি হইবে, বলদের ন্যায় আপনাকে তৃণ ভোজন করিতে দেওয়া যাইবে, আপনি আকাশের শিশিরে ভিজিবেন, এবং আপনার উপরে সাত কাল ঘূরিবে; যে পর্য্যন্ত না আপনি জানিবেন যে, মনুষ্যদের রাজ্যে পরাৎপর কর্ত্তৃত্ব করেন, ও যাহাকে তাহা দিতে ইচ্ছা করেন, তাহাকে তাহা দেন।

26. और उस वृक्ष के ठूंठ को जड़ समेत छोड़ने की आज्ञा जो हुई है, इसका अर्थ यह है कि तेरा राज्य तेरे लिये बना रहेगा; और जब तू जान लेगा कि जगत का प्रभु स्वर्ग ही में है, तब तू फिर से राज्य करने पाएगा।

26. আর বৃক্ষমূলের কাণ্ড রাখিবার আজ্ঞা প্রদত্ত হইয়াছিল; সুতরাং আপনি যখন জানিতে পাইবেন যে, স্বর্গই কর্ত্তৃত্ব করে, তখন আপনার হস্তে আপনার রাজত্ব স্থির হইবে।

27. इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़कर धर्म करने लगे, और अधर्म छोड़कर दीन- हीनों पर दया करने लगे, तो सम्भव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे।।

27. অতএব, হে রাজন্‌, আপনি আমার পরামর্শ গ্রাহ্য করুন; আপনি ধার্ম্মিকতা দ্বারা আপন পাপ সকল, ও দুঃখীদের প্রতি কৃপা প্রদর্শন দ্বারা আপন অপরাধ সকল মুছিয়া ফেলুন; হয় ত আপনার শান্তিকাল বৃদ্ধি পাইবে।

28. यह सब कुछ नबूकदनेस्सर राजा पर घट गया।

28. সে সমস্তই রাজা নবূখদ্‌নিৎসরে ফলিল।

29. बारह महीने बीतने पर जब वह बाबुल के राजभवन की छत पर टहल रहा था, तब वह कहने लगा,

29. বারো মাসের শেষে তিনি বাবিলের রাজপ্রাসাদের উপরে বেড়াইতেছিলেন।

30. क्या यह बड़ा बाबुल नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?
प्रकाशितवाक्य 14:8, प्रकाशितवाक्य 16:19, प्रकाशितवाक्य 17:5, प्रकाशितवाक्य 18:2-10

30. রাজা এই কথা কহিলেন, এ কি সেই মহতী বাবিল নয়, যাহা আমি আপন বলের প্রভাবে ও আপন প্রতাপের মহিমার্থে রাজধানী করিবার জন্য নির্ম্মাণ করিয়াছি?

31. यह वचन राजा के मुंह से निकलने भी न पाया था कि आकाशवाणी हुई, हे राजा नबूकदनेस्सर तेरे विषय में यह आज्ञा निकलती है कि राज्य तेरे हाथ से निकल गया,

31. রাজার মুখ হইতে এই বাক্য নির্গত হইতে না হইতে এই আকাশবাণী হইল, হে রাজন্‌ নবূখদ্‌নিৎসর! তোমাকে বলা হইতেছে, তোমার রাজত্ব তোমা হইতে গেল।

32. और तू मनुष्यों के बीच में से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; और बैलों की नाईं घास चरेगा९ और सात काल तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहे वह उसे दे देता है।

32. আর তুমি মানব-সমাজ হইতে দূরীকৃত হইবে, মাঠের পশুদের সহিত তোমার বসতি হইবে, বলদের ন্যায় তোমাকে তৃণ ভোজন করান যাইবে, ও তোমার উপরে সাত কাল ঘূরিবে; যে পর্য্যন্ত না তুমি জানিবে যে, মনুষ্যদের রাজ্যে পরাৎপর কর্ত্তৃত্ব করেন, ও যাহাকে তাহা দিতে ইচ্ছা করেন, তাহাকে তাহা দেন।

33. उसी घड़ी यह वचन नबूकदनेस्सर के विषय में पूरा हुआ। वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलों की नाईं घास चरने लगा, और उसकी देह आकाश की ओस से भीगती थी, यहां तक कि उसके बाल उकाब पक्षियों के परों से और उसके नाखून चिड़ियों के चंगुलों के समान बढ़ गए।।

33. সেই দণ্ডে নবূখদ্‌নিৎসরের সম্বন্ধে সেই বাক্য সিদ্ধ হইল; তিনি মানব-সমাজ হইতে দূরীকৃত হইলেন, বলদের ন্যায় তৃণ ভোজন করিতে লাগিলেন, তাঁহার শরীর আকাশের শিশিরে ভিজিল, ক্রমে তাঁহার কেশ ঈগল পক্ষীর পালখের ন্যায়, ও তাঁহার নখ পক্ষীর নখরের ন্যায় হইয়া উঠিল।

34. उन दिनों के बीतने पर, मुझ नबूकदनेस्सर ने अपनी आंखें स्वर्ग की ओर उठाईं, और मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; तब मैं ने परमप्रधान को धन्य कहा, और जो सदा जीवित है उसकी स्तुति और महिमा यह कहकर करने लगा: उसकी प्रभुता सदा की है और उसका राज्य पीढ़ी से पीढ़ी तब बना रहनेवाला है।
प्रकाशितवाक्य 4:9-10

34. আর সেই সময়ের শেষে আমি নবূখদ্‌নিৎসর স্বর্গের দিকে চক্ষু তুলিলাম, ও আমার বুদ্ধি আমাতে ফিরিয়া আসিল; তাহাতে আমি পরাৎপরের ধন্যবাদ করিলাম, এবং অনন্তজীবী ঈশ্বরের প্রশংসা ও সমাদর করিলাম; কারণ তাঁহার কর্ত্তৃত্ব অনন্তকালীন কর্ত্তৃত্ব ও তাঁহার রাজ্য পুরুষানুক্রমে স্থায়ী;

35. पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके साम्हने तुच्छ गिने जाते हैं, और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहनेवालों के बीच अपनी इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोककर उस से नहीं कह सकता है, तू ने यह क्या किया है?

35. আর পৃথিবীনিবাসিগণ সকলে অবস্তুবৎ গণ্য; তিনি স্বর্গীয় বাহিনীর ও পৃথিবীনিবাসীদের মধ্যে আপন ইচ্ছানুসারে কার্য্য করেন; এবং এমন কেহ নাই যে, তাঁহার হস্ত থামাইয়া দিবে, কিম্বা তাঁহাকে বলিবে, তুমি কি করিতেছ?

36. उसी समय, मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; और मेरे राज्य की महिमा के लिये मेरा प्रताप और मुकुट मुझ पर फिर आ गया। और मेरे मन्त्री और प्रधान लोग मुझ से भेंट करने के लिये आने लगे, और मैं राज्य में स्थिर हो गया; और मेरी और अधिक प्रशंसा होने लगी।

36. সেই সময়ে আমার বুদ্ধি আমাতে ফিরিয়া আসিল, এবং আমার রাজ্যের গৌরবার্থে আমার প্রতাপ ও তেজ আমাতে ফিরিয়া আসিল; আর আমার মন্ত্রিগণ ও আমার মহল্লোক সকল আমার অন্বেষণ করিল, এবং আমি আপন রাজ্যে পুনঃস্থাপিত হইলাম, ও আমার মহিমা অতিশয় বৃদ্ধি পাইল।

37. अब मैं नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा को सराहता हूं, और उसकी स्तुति और महिमा करता हूं क्योंकि उसके सब काम सच्चे, और उसके सब व्यवहार न्याय के हैं; और जो लोग घमण्ड से चलते हैं, उन्हें वह नीचा कर सकता है।।
यूहन्ना 4:48

37. এখন আমি নবূখদ্‌নিৎসর সেই স্বর্গরাজ্যের প্রশংসা, প্রতিষ্ঠা ও সমাদর করিতেছি; কেননা তাঁহার সমস্ত ক্রিয়া সত্য, ও তাঁহার পথ সকল ন্যায্য; আর যাহারা স্বগর্ব্বে চলে, তিনি তাহাদিগকে খর্ব্ব করিতে পারেন।



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