23. और हे राजा, तू ने जो एक पवित्रा पहिरूए को स्वर्ग से उतरते और यह कहते देखा कि वृक्ष को काट डालो और उसका नाश करो, तौभी उसके ठूंठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बान्धकर मैदान की हरी घास के बीच में रहने दो; वह आकाश की ओस से भीगा करे, और उसको मैदान के पशुओं के संग ही भाग मिले; और जब तक सात युग उस पर बीत न चुकें, तब तक उसकी ऐसी ही दशा रहे।
23. আর মহারাজ দেখিয়াছেন, এক জন প্রহরী, এক পবিত্র ব্যক্তি, স্বর্গ হইতে নামিয়া আসিতেছেন, আর বলিতেছেন, ‘বৃক্ষটা ছেদন কর ও বিনষ্ট কর, কিন্তু ভূমিতে উহার মূলের কাণ্ডকে লৌহ ও পিত্তলের শৃঙ্খলে বদ্ধ করিয়া ক্ষেত্রের কোমল তৃণমধ্যে রাখ; সে আকাশের শিশিরে ভিজুক, মাঠের পশুদের সহিত তাহার অংশ হউক, যে পর্য্যন্ত না তাহার উপরে সাত কাল ঘূরে।’