Ezekiel - यहेजकेल 48 | View All

1. गोत्रों के भाग ये हों; उत्तर सिवाने से लगा हुआ हेतलोन के मार्ग के पास से हमात की घाटी तक, और दमिश्क के सिवाने के पास के हमरेनान से उत्तर ओर हमात के पास तक एक भाग दान का हो; और उसके पूव और पश्चिमी सिवाने भी हों।

1. Now these [are] the names of the tribes. From the side of the north by the way of Hethlon, as one goes to Hamath, Hazarenan, to the border of Damascus northward, to the coast of Hamath; Dan shall have a [portion], his sides being to the east and to the west.

2. दान के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पश्चिम तक आशेर का एक भाग हो।

2. And next to the border of Dan, from the east side unto the side of the sea, Asher shall have a [portion].

3. आशेर के सिवाने से लगा हुआ, पूर्व से पश्चिम तक नप्ताली का एक भाग हो।

3. And next to the border of Asher, from the east side unto the side of the sea, a [portion for] Naphtali.

4. तप्ताली के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पश्चिम तक मनश्शे का एक भाग।

4. And next to the border of Naphtali, from the east side unto the side of the sea, a [portion for] Manasseh.

5. मनश्शे के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक एप्रैम का एक भाग हो।

5. And next to the border of Manasseh, from the east side unto the side of the sea, a [portion for] Ephraim.

6. एप्रैम के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक रूबेन का एक भाग हो।

6. And next to the border of Ephraim, from the east side even unto the side of the sea, a [portion for] Reuben.

7. और रूबेन के सिवाने से लगा हुआ, पूर्व से पच्छिम तक यहूदा का एक भाग हो।

7. And next to the border of Reuben, from the east side unto the side of the sea, a [portion for] Judah.

8. यहूदा के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक वह अर्पण किया हुआ भाग हो, जिसे तुम्हें अर्पण करना होगा, वह पच्चीस हजार बांस चौड़ा और पूर्व से पच्छिम तक किसी एक गोत्रा के भाग के तुल्य लम्बा हो, और उसके बीच में पवित्रास्थान हो।

8. And next to the border of Judah, from the east side unto the side of the sea, shall be the lot which ye shall set apart of twenty-five thousand [reeds in] breadth, and [in] length as one of the [other] portions; [that is], from the east side unto the side of the sea: and the sanctuary shall be in the midst of it.

9. जो भाग तुम्हें यहोवा को अर्पण करना होगा, उसकी लम्बाई पच्चास हजार बांस और चौड़ाई दस हजार बांस की हो।

9. The lot that ye shall separate unto the LORD [shall be] of twenty-five thousand in length, and of ten thousand in breadth.

10. यह अर्पण किया हुआ पवित्रा भाग याजकों को मिले; वह उत्तर ओर पच्चीस हजार बांस लम्बा, पच्छिम ओर दस हजार बांस चौड़ा, पूर्व ओर दस हजार बांस चौड़ा और दक्खिन ओर पच्चीस हजार बांस लम्बा हो; और उसके बीचोबीच यहोवा का पवित्रास्थान हो।

10. And from there shall be the holy lot of the priests; toward the north twenty-five thousand [reeds in length], and toward the west ten thousand in breadth, and toward the east ten thousand in breadth, and toward the south twenty-five thousand in length: and the sanctuary of the LORD shall be in the midst thereof.

11. यह विशेष पवित्रा भाग सादोक की सन्तान के उन याजकों का हो जो मेरी आज्ञाओं को पालते रहे, और इस्राएलियों के भटक जाने के समय लेवियों की नाई न भटके थे।

11. The priests that are sanctified of the sons of Zadok, which have kept my charge, which did not go astray when the sons of Israel went astray, as the Levites went astray.

12. सो देश के अर्पण किए हुए भाग में से यह उनके लिये अर्पण किया हुआ भाग, अर्थात््परमपवित्रा देश ठहरे; और लेवियों के सिवाने से लगा रहे।

12. They shall receive [by lot], separated in the dividing of the land, the most holy part, next to the border of the Levites.

13. और याजकों के सिवाने से लगा हुआ लेवियों का भाग हो, वह पच्चीस हजार बांस लम्बा और दस हजार बांस चौड़ा हो। सारी लम्बाई पच्चीस हजार बांस की और चोड़ाई दस हजार बांस की हो।

13. And the [portion] of the Levites, [shall be] in front the border of the priests, of twenty-five thousand [reeds] in length, and of ten thousand in breadth; all the length [shall be] twenty-five thousand, and the breadth ten thousand.

14. वे उस में से न तो कुछ बेजें, न दूसरी भूमि से बदलें; और न भूमि की पहिली उपज और किसी को दी जाए। क्योंकि वह यहोवा के लिये पवित्रा है।

14. They shall not sell of it, neither exchange nor transpose the firstfruits of the land; for [it is] consecrated unto the LORD.

15. और चौड़ाई के पच्चीस हजार बांस के साम्हने जो पांच हजार बचा रहेगा, वह नगर और बस्ती और चराई के लिये साधारण भाग हो; और नगर उसके बीच में हो।

15. And the five thousand [reeds], that are left in the breadth over against the twenty-five thousand, shall be profane, for the city, for dwelling, and for suburbs: and the city shall be in the midst thereof.

16. ओर नगर की यह माप हो, अर्थात् उत्तर, दक्खिन, पूर्व और पच्छिम ओर साढ़े चार चार हजार हाथ।
प्रकाशितवाक्य 21:16-17

16. And these [shall be] the measures thereof: the north side four thousand five hundred [reeds], and the south side four thousand five hundred, and on the east side four thousand five hundred, and the west side four thousand five hundred.

17. और नगर के पास उत्तर, दक्खिन, पूर्व, पच्छिम, चराइयां हों जो अढ़ाई अढ़ाई सौ बांस चौड़ी हों।
प्रकाशितवाक्य 21:16-17

17. And the suburbs of the city shall be toward the north two hundred and fifty [reeds], and toward the west two hundred and fifty.

19. और इस्राएल के सारे गोत्रों में से जो तगर में परिश्रम करें, वे उसकी खेती किया करें।

19. And those that serve the city shall be from all the tribes of Israel.

20. सारा अर्पण किया हुआ भाग पच्चीस हजार बांस लम्बा और पच्चीस हजार बांस चौड़ा हो; तुम्हें चौकोना पवित्रा भाग अर्पण करना होगा जिस में नगर की विशेष भूमि हो।

20. All the lot of twenty-five thousand by twenty-five thousand square: ye shall separate by lot for the sanctuary and for the possession of the city.

21. और जो भाग रह जाए, वह प्रधान को मिले। पवित्रा अर्पण किए हुए भाग की, और नगर की विशेष भूमि की दोनों ओर अर्थात् उनकी पूर्व और पच्छिम अलंगों के पच्चीस पच्चीस हजार बांस की चौड़ाई के पास, जो ओर गोत्रों के भागों के पास रहे, वह प्रधान को मिले। और अर्पण किया हुआ पवित्रा भाग और भवन का पवित्रास्थान उनके बीच में हो।

21. And the residue [shall be] for the prince, on the one side and on the other of the holy lot, and of the possession of the city, over against the twenty-five thousand [reeds] of the [holy] lot unto the east border, and westward over against the twenty-five thousand unto the west border, over against the [said] portions shall be of the prince; and it shall be a holy lot; and the sanctuary of the house [shall be] in the midst thereof.

22. जो प्रधान का भाग होगा, वह लेवियों के बीच और नगरों की विशेष भूमि हो। प्रधान का भाग यहूदा और बिन्यामीन के सिवाने के बीच में हो।

22. Moreover from the possession of the Levites, and from the possession of the city, in the midst [shall be] that which belongs to the prince, between the border of Judah and the border of Benjamin, shall be [the lot] of the prince.

23. अन्य गोत्रों के भाग इस प्रकार होंे पूर्व से पच्छिम तक बिन्यामीन का एक भाग हो।

23. As for the rest of the tribes, from the east side unto the side of the sea, Benjamin [shall have] a [portion].

24. बिन्यामीन के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक शिमोन का एक भाग।

24. And next to the border of Benjamin, from the east side unto the side of the sea, Simeon [shall have] a [portion].

25. शिमोन के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक इस्साकार का एक भाग।

25. And next to the border of Simeon, from the east side unto the side of the sea, Issachar a [portion].

26. इस्साकार के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक जबूलून का एक भाग।

26. And next to the border of Issachar, from the east side unto the side of the sea, Zebulun a [portion].

27. जबूलून के सिवाने से लगा हुआ पूर्व से पच्छिम तक गाद का एक भाग।

27. And next to the border of Zebulun, from the east side unto the side of the sea, Gad a [portion].

28. और गाद के सिवाने के पास दक्खिन ओर का सिवाना तामार से लेकर कादेश के मरीबोत नाम सोते तक, और मिस्र के नाले ओर महासागर तक पहुंचे।

28. And next to the border of Gad, at the south side southward, the border shall be from Tamar unto the waters of strife, and [from] Kadesh, [and] the river unto the great sea.

29. जो देश तुम्हें इस्राएल के गोत्रों को बांटना होगा वह यही है, और उनके भाग भी ये ही हैं, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

29. This [is] the land which ye shall divide by lot unto the tribes of Israel for inheritance, and these [are] their portions, said the Lord GOD.

30. तगर के निकास ये हों, अर्थात् उत्तर की अलंग जिसकी लम्बाई साढ़े चार हजार बांस की हो।

30. And these [are] the goings out of the city on the north side, four thousand five hundred [reeds] by measure.

31. उस में तीन फाटक हों, अर्थात् एक रूबेन का फाटक, एक यहूदा का फाटक, और एक लेवी का फाटक हो; क्योंकि नगर के फाटकों के नाम इस्राएल के गोत्रों के नामों पर रखने होंगे।
प्रकाशितवाक्य 21:12-13

31. And the gates of the city [shall be] according to the names of the tribes of Israel: three gates northward; the gate of Reuben, one; the gate of Judah, another; the gate of Levi, another.

32. और पूरब की अलंग साढ़े चार हजार बांस लम्बी जो, और उस में तीन फाटक हों; अर्थात् एक यूसुफ का फाटक, एक बिन्यामीन का फाटक, और एक दान का फाटक हो।

32. And at the east side four thousand five hundred [reeds]: and three gates; the gate of Joseph, one; the gate of Benjamin, another; the gate of Dan, another.

33. और दक्खिन की अलंग साढ़े चार हजार बांस लम्बी हो, और उस में तीन फाटक हों; अर्थात् एक शिमोन का फाटक, एक इस्साकार का फाटक, और एक जबूलून का फाटक हो।

33. And at the south side four thousand five hundred [reeds] by measure: and three gates; the gate of Simeon, one; the gate of Issachar, another; the gate of Zebulun, another.

34. और पश्चिम की अलंग साढ़े चार हजार बांस लम्बी हो, और उस में तीन फाटक हों; अर्थत् एक गाद का फाटक, एक आशेर का फाटक और नप्ताली का फाटक हो।

34. At the west side four thousand five hundred [reeds], and their three gates; the gate of Gad, one; the gate of Asher, another; the gate of Naphtali, another.

35. तगर की चारों अलंगों का घेरा अठारह हजार बांस का हो, और उस दिन से आगे को नगर का नाम 'यहोवा शाम्मा' रहेगा।
प्रकाशितवाक्य 3:12

35. [It was] round about eighteen thousand [reeds]: and the name of the city from that day shall be, THE LORD IS HERE.:



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