Ezekiel - यहेजकेल 20 | View All

1. सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन को इस्राएल के कितने पुरनिये यहोवा से प्रश्न करने को आए, और मेरे साम्हने बैठ गए।

1. সপ্তম বৎসরের পঞ্চম মাসে, মাসের দশম দিনে ইস্রায়েলের প্রাচীনবর্গের মধ্যে কয়েক জন পুরুষ সদাপ্রভুর কাছে অন্বেষণ করিবার জন্য আসিয়া আমার সম্মুখে বসিল।

2. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2. তখন সদাপ্রভুর এই বাক্য আমার নিকটে উপস্থিত হইল,

3. हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएली पुरनियों से यह कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, क्या तुम मुझ से प्रश्न करने को आए हो? प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, तुम मुझ से प्रश्न करने न पाओगे।

3. হে মনুষ্য-সন্তান, তুমি ইস্রায়েলের প্রাচীনবর্গের সহিত আলাপ করিয়া তাহাদিগকে বল, প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, তোমরা কি আমার কাছে অন্বেষণ করিতে আসিয়াছ? প্রভু সদাপ্রভু কহেন, আমার জীবনের দিব্য, আমি তোমাদিগকে আমার কাছে অন্বেষণ করিতে দিব না।

4. हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू उनका न्याय न करेगा? क्या तू उनका न्याय न करेगा? उनके पुरखाओं के घिनौने काम उन्हें जता दे,

4. হে মনুষ্য-সন্তান, তুমি কি তাহাদের বিচার করিবে? তুমি কি তাহাদের বিচার করিবে? তবে তাহাদের পিতৃপুরুষদের ঘৃণার্হ ক্রিয়া সকল তাহাদিগকে জ্ঞাত কর;

5. और उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, जिस दिन मैं ने इस्राएल को चुन लिया, और याकूब के घराने के वंश से शपथ खाई, और मिस्र देख में अपने को उन पर प्रगट किया, और उन से शपथ खाकर कहा, मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ,

5. আর তাহাদিগকে বল, প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, আমি যে দিন ইস্রায়েলকে মনোনীত করিয়াছিলাম, যাকোবের কুলজাত বংশের পক্ষে হস্ত উত্তোলন করিয়াছিলাম, মিসর দেশে তাহাদের কাছে আপনার পরিচয় দিয়াছিলাম, যখন তাহাদের পক্ষে হস্ত উত্তোলন করিয়া বলিয়াছিলাম, আমিই তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু;

6. उसी दिन मैं ने उन से यह भी शपथ खाई, कि मैं तुम को मिस्र देश से निकालकर एक देश में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने तुम्हारे लिये चुन लिया है; वह सब देशों का शिरोमणि है, और उस में दूध और मधु की धराएं बहती हैं।

6. সেই দিন তাহাদের পক্ষে হস্ত উত্তোলন করিয়া [বলিয়াছিলাম] যে, আমি তাহাদিগকে মিসর দেশ হইতে বাহির করিব, এবং তাহাদের জন্য যে দেশ অনুসন্ধান করিয়াছি, সর্ব্ব দেশের ভূষণস্বরূপ সেই দুগ্ধমধুপ্রবাহী দেশে লইয়া যাইব;

7. फिर मैं ने उन से कहा, जिन घिनौनी वस्तुओं पर तुम में से हर एक की आंखें लगी हैं, उन्हें फेंक दो; और मिस्र की मूरतों से अपने को अशुद्ध न करो; मैं ही तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

7. আর আমি তাহাদিগকে বলিয়াছিলাম, তোমরা প্রত্যেক জন আপন আপন নয়নরঞ্জন ঘৃণার্হ বস্তু সকল দূর কর, এবং মিসরের পুত্তলিগণ দ্বারা আপনাদিগকে অশুচি করিও না; আমিই তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু।

8. परन्तु वे मुझ से बिगड़ गए और मेरी सुननी न चाही; जिन घिनौनी वस्तुओं पर उनकी आंखें लगी थीं, उनकी किसी ने फेंका नहीं, और न मिस्र की मूरतों को छोड़ा। तब मैं ने कहा, मैं यहीं, मिस्र देश के बीच मुम पर अपनी जलजलाहट भड़काऊंगा। और पूरा कोप दिखाऊंगा।

8. কিন্তু তাহারা আমার বিরুদ্ধাচারী হইল, আমার কথা শুনিতে অসম্মত হইল, আপন আপন নয়নরঞ্জন ঘৃণার্হ বস্তু সকল দূর করিল না, এবং মিসরের পুত্তলিগণকেও ছাড়িল না; তাহাতে আমি বলিলাম, আমি তাহাদের উপরে আমার কোপ ঢালিব, মিসর দেশের মধ্যে তাহাদিগেতে আমার ক্রোধ সাধন করিব।

9. तौभी मैं ने अपने नाम के निमित्त ऐसा किया कि जिनके बीच वे थे, और जिनके देखते हुए मैं ने उनको मिस्र देश से निकलने के लिये अपने को उन पर प्रगट किया था उन जातियों के साम्हने वे अपवित्रा न ठहरे।

9. কিন্তু আমি আপন নামের অনুরোধে কার্য্য করিলাম; যেন আমার নাম সেই জাতিগণের সাক্ষাতে অপবিত্রীকৃত না হয়, যাহাদের মধ্যে তাহারা বাস করিতেছিল, ও যাহাদের সাক্ষাতে আমি তাহাদিগকে মিসর দেশ হইতে বাহির করিয়া আনাতে আপনার পরিচয় দিয়া ছিলাম।

10. मैं उनको मिस्र देश से निकालकर जंगल में ले आया।

10. পরে আমি তাহাদিগকে মিসর দেশ হইতে বাহির করিয়া প্রান্তরে আনিলাম।

11. वहां उनको मैं ने अपनी विधियां बताई और अपने नियम भी बताए कि जो मतुष्य उनको माने, वह उनके कारण जीवित रहेगा।

11. আর আমি তাহাদিগকে আমার বিধিকলাপ দিলাম, ও আমার শাসনকলাপ জ্ঞাত করিলাম, যাহা পালন করিলে তদ্দ্বারা মনুষ্য বাঁচে।

12. फिर मैं ने उनके लिये अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिन्ह ठहरें; कि वे जानें कि मैं यहोवा उनका पवित्रा करनेवाला हूँ।

12. আর আমিই যে তাহাদের পবিত্রকারী সদাপ্রভু, ইহা জানাইবার জন্য আমার ও তাহাদের মধ্যে চিহ্নস্বরূপে আমার বিশ্রামদিন সকলও তাহাদিগকে দিলাম।

13. तौभी इस्राएल के घराने ने जंगल में मुझ से बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, और मेरे नियमों को तुच्छ जाना, जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; और उन्हों ने मेरे विश्रामदिनों को अति अपवित्रा किया। तब मैं ने कहा, मैं जंगल में इन पर अपनी जलजलाहट भड़काकर इनका अन्त कर डालूंगा।

13. কিন্তু ইস্রায়েল-কুল সেই প্রান্তরে আমার বিরুদ্ধাচারী হইল; আমার বিধিপথে চলিল না, এবং আমার শাসনকলাপ অগ্রাহ্য করিল, যাহা পালন করিলে তদ্দ্বারা মনুষ্য বাঁচে; আর আমার বিশ্রামদিন সকল অতিশয় অপবিত্র করিল; তখন আমি কহিলাম, আমি তাহাদিগকে সংহার করিবার জন্য প্রান্তরে তাহাদের উপরে আমার কোপ ঢালিব।

14. परन्तु मैं ने अपने नाम के निमित्त ऐसा किया कि वे उन जातियों के साम्हने, जिनके देखते मैं उनको निकाल लाया था, अपवित्रा न ठहरे।

14. কিন্তু আমি আপন নামের অনুরোধে কার্য্য করিলাম, যেন সেই জাতিগণের সাক্ষাতে আমার নাম অপবিত্রীকৃত না হয়, যাহাদের সাক্ষাতে তাহাদিগকে বাহির করিয়া আনিয়াছিলাম।

15. फिर मैं ने जंगल में उन से शपथ खाई कि जो देश मैं ने उनको दे दिया, और जो सब देशों का शिरोमणि है, जिस में दूध और मधु की धराएं बहती हैं, उस में उन्हें न पहुंचाऊंगा,

15. অধিকন্তু আমি প্রান্তরে তাহাদের বিপক্ষে হস্ত উত্তোলন করিলাম, বলিলাম, আমি সর্ব্ব দেশের ভূষণ যে দুগ্ধমধুপ্রবাহী দেশ তাহাদিগকে প্রদান করিয়াছি, সেই দেশে তাহাদিগকে লইয়া যাইব না;

16. क्योंकि उन्हों ने मेरे नियम तुच्छ जाने और मेरी विधियों पर न चले, और मेरे विश्रामदिन अपवित्रा किए थे; इसलिये कि उनका मन उनकी मूरतों की ओर लगा रहा।

16. কারণ তাহারা আমার শাসনকলাপ অগ্রাহ্য করিত, আমার বিধিপথে চলিত না, ও আমার বিশ্রামদিন অপবিত্র করিত, কেননা তাহাদের অন্তঃকরণ তাহাদের পুত্তলিগণের অনুগামী ছিল।

17. लौभी मैं ने उन पर कृपा की दृष्टि की, और उन्हें नाश न किया, और न जंगल में पूरी रीति से उनका अन्त कर डाला।

17. কিন্তু তাহাদিগকে বিনাশ সাধনে আমার চক্ষুলজ্জা হইল, এই জন্য আমি সেই প্রান্তরে তাহাদিগকে সংহার করিলাম না।

18. फिर मैं ने जंगल में उनकी सन्तान से कहा, अपने पुरखाओं की विधियों पर न चलो, न उनकी िीति यों को मानो और न उनकी मूरतें पूजकर अपने को अशुुद्ध करो।

18. আর সেই প্রান্তরে আমি তাহাদের সন্তানগণকে কহিলাম, তোমরা আপনাদের পিতৃগণের বিধিপথে চলিও না, তাহাদের শাসনকলাপ মানিও না, ও তাহাদের পুত্তলিগণ দ্বারা আপনাদিগকে অশুচি করিও না;

19. मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, मेरी विधियों पर चलो, ओर मेरे नियमों के मानने में चौकसी करो,

19. আমিই তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু; আমারই বিধিপথে চল, ও আমারই শাসনকলাপ রক্ষা কর, পালন কর;

20. और मेरे विश्रामदिनों को पवित्रा मानो कि वे मेरे और तुम्हारे बीच चिन्ह ठहरें, और जिस से तुम जानो कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

20. আর আমার বিশ্রামদিন পবিত্র কর, তাহাই আমার ও তোমাদের মধ্যে চিহ্নস্বরূপ হইবে, যেন তোমরা জানিতে পার যে, আমিই তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু।

21. परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझ से बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्हों ने अपवित्रा किया। तब मैं ने कहा, मैं जंगल में उन पर अपनी जलजलाहट भड़काकर अपना कोप दिखलाऊंगा।

21. তথাপি সেই সন্তানগণ আমার বিরুদ্ধাচারী হইল; তাহারা আমার বিধিপথে চলিল না, এবং আমার শাসনকলাপ পালনার্থে রক্ষা করিল না, যাহা পালন করিলে তদ্দ্বারা মনুষ্য বাঁচে; তাহারা আমার বিশ্রামদিনও অপবিত্র করিল; তখন আমি কহিলাম, আমি তাহাদের উপরে আপন কোপ ঢালিব, প্রান্তরে তাহাদিগেতে আপন ক্রোধ সাধন করিব।

22. तौभी मैं ने हाथ खींच लिया, और अपने नाम के निमित्त ऐसा किया, कि उन जातियों के साम्हने जिनके देखते हुए मैं उन्हें निकाल लाया था, वे अपवित्रा न ठहरे।

22. তথাপি আমি হস্ত আকর্ষণ করিলাম, আপন নামের অনুরোধে কার্য্য করিলাম, যেন সেই জাতিগণের সাক্ষাতে আমার নাম অপবিত্রীকৃত না হয়, যাহাদের সাক্ষাতে তাহাদিগকে বাহির করিয়া আনিয়াছিলাম।

23. फिर मैं ने जंगल में उन से शपथ खाई, कि मैं तुम्हें जाति जाति में तितर- बितर करूंगा, और देश देश में छितरा दूंगा,

23. অধিকন্তু আমি প্রান্তরে তাহাদের বিপক্ষে হস্ত উত্তোলন করিলাম, বলিলাম, তাহাদিগকে জাতিগণের মধ্যে ছিন্নভিন্ন করিব, নানা দেশে বিকীর্ণ করিব;

24. क्योंकि उन्हों ने मेरे नियम न माने, मेरी विधियों को तुच्छ जाना, मेरे विश्रामदिनों को अपवित्रा किया, और अपने पुरखाओं की मूरतों की ओर उनकी आंखें लगी रहीं।

24. কারণ তাহারা আমার শাসনকলাপ পালন করিল না, আমার বিধিকলাপ অগ্রাহ্য করিল, আমার বিশ্রামদিন অপবিত্র করিল, ও তাহাদের পিতাদের পুত্তলিগণে তাহাদের চক্ষু আসক্ত থাকিল।

25. फिर मैं ने उनके लिये ऐसी ऐसी विधियां ठहराई जो अच्छी न थी और ऐसी ऐसी रीतियां जिनके कारण वे जीवित न रह सकें;

25. অধিকন্তু যাহা মঙ্গলজনক নয়, এমন বিধিকলাপ, এবং যদ্দ্বারা কেহ বাঁচিতে পারে না, এমন শাসনকলাপ, তাহাদিগকে দিলাম।

26. अर्थात् वे अपने सब पहिलौठों को आग में होम करने लगे; इस रीति मैं ने उन्हें उनहीं की भेंटों के द्वारा अशुद्ध किया जिस से उन्हें निर्वश कर डालूं; और तब वे जान लें कि मैं यहोवा हूँ।

26. তাহারা গর্ভ উন্মোচক সমস্ত সন্তানকে [অগ্নির মধ্য দিয়া] গমন করাইত, তাই আমি তাহাদিগকে আপন আপন উপহারে অশুচি হইতে দিলাম, যেন আমি তাহাদিগকে ধ্বংস করি, যেন তাহারা জানিতে পারে যে, আমিই সদাপ্রভু।

27. हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, तुम्हारे पुरखाओं ने इस में भी मेरी निन्दा की कि उन्हों ने मेरा विश्वासघात किया।

27. অতএব, হে মনুষ্য-সন্তান, তুমি ইস্রায়েল-কুলের সহিত আলাপ করিয়া তাহাদিগকে বল, প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, তোমাদের পিতৃপুরুষেরা আমার বিরুদ্ধে সত্যলঙ্ঘন করিয়াছে, ইহাতেই আমার নিন্দা করিয়াছে।

28. क्योंकि जब मैं ने उनको उस देश में पहुंचाया, जिसके उन्हें देने की शपथ मैं ने उन से खाई थी, तब वे हर एक ऊंचे टीले और हर एक घने वृक्ष पर दृष्टि करके वहीं अपने मेलबलि करने लगे; और वहीं रिस दिलानेवाली अपनी भेंटें चढ़ाने लगे और वहीं अपना सुखदायक सुगन्धद्रव्य जलाने लगे, और वहीं अपने तपावन देने लगे।

28. কারণ আমি তাহাদিগকে যে দেশ দিব বলিয়া হস্ত উত্তোলন করিয়াছিলাম, যখন সেই দেশে আনিলাম, তখন তাহারা যে কোন স্থানে কোন উচ্চ পর্ব্বত কিম্বা কোন ঝোপাল বৃক্ষ দেখিতে পাইত, সেই স্থানে বলিদান করিত, সেই স্থানে [আমার] অসন্তোষজনক নৈবেদ্য উৎসর্গ করিত, সেই স্থানে আপনাদের সৌরভার্থক দ্রব্যও রাখিত, এবং সেই স্থানে আপনাদের পেয় নৈবেদ্য ঢালিত।

29. तब मैं ने उन से पूछा, जिस ऊंचे स्थान को तुम लोग जाते हो, उस से क्या प्रयोजन है? इसी से उसका नाम आज तक बामा कहलाता है।

29. তাহাতে আমি তাহাদিগকে কহিলাম, তোমরা যে উচ্চস্থলীতে উঠিয়া যাও, উহা কি? এইরূপে অদ্য পর্য্যন্ত তাহার নাম বামা [উচ্চস্থলী] হইয়া রহিয়াছে।

30. इसलिये इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा तुम से यह पूछता है, क्या तुम भी अपने पुरखाओं की रीति पर चलकर अशुद्ध होकर, और उनके घिनौने कामों के अनुसार व्यभिचारिणी की नाई काम करते हो?

30. অতএব তুমি ইস্রায়েল-কুলকে বল, প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, তোমরা কি আপন আপন পিতৃপুরুষদের রীতিতে আপনাদিগকে অশুচি করিতেছ? তাহাদের ঘৃণার্হ বস্তু সকলের অনুগমনে ব্যভিচার করিতেছ?

31. आज तक जब जब तुम अपनी भेंटें चढ़ाते और अपने लड़केबालों को होम करके आग में चढ़ाते हो, तब तब तुम अपनी मूरतों के निमित्त अशुद्ध ठहरते हो। हे इस्राएल के घराने, क्या तुम मुझ से पूघने पाओगे? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की शपथ तुम मुझ से पूछने न पाओगे।

31. তোমরা যখন আপনাদের উপহার দেও, যখন আপন আপন সন্তানদিগকে অগ্নির মধ্য দিয়া গমন করাও, তখন অদ্য পর্য্যন্ত আপনাদের সমস্ত পুত্তলির দ্বারা কি আপনাদিগকে অশুচি করিতেছ? তবে, হে ইস্রায়েল-কুল, আমি কি তোমাদিগকে আমার কাছে অন্বেষণ করিতে দিব? প্রভু সদাপ্রভু কহেন, আমার জীবনের দিব্য, আমি তোমাদিগকে আমার কাছে অন্বেষণ করিতে দিব না।

32. जो बात तुम्हारे मन में आती है कि हम काठ और पत्थर के उपासक होकर अन्यजातियों और देश देश के कुलों के समान हो जाएंगे, वह किसी भांति पूरी नहीं होने की।

32. আর তোমরা যাহা মনে করিয়া থাক, তাহা কোন ক্রমে হইবে না; তোমরা ত বলিতেছ, আমরা জাতিদের তুল্য হইব, ভিন্ন ভিন্ন দেশের গোষ্ঠীদের তুল্য হইব, কাষ্ঠ ও প্রস্তরের পরিচর্য্যা করিব।

33. प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की शपथ मैं निश्चय बली हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भड़काई इई जलजलाहट के साथ तुम्हारे ऊपर राज्य करूंगा।
2 कुरिन्थियों 6:17

33. প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, আমার জীবনের দিব্য, আমি বলবান হস্ত, বিস্তারিত বাহু ও কোপের বর্ষণ দ্বারা তোমাদের উপরে রাজত্ব করিব।

34. मैं बली हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भड़काई हुई जलजलाहट के साथ तुम्हें देश देश के लोगों में से अलग करूंगा, और उन देशें से जिन में तुम तितर- बितर हो गए थे, इकट्ठा करूंगा;

34. আমি বলবান হস্ত, বিস্তারিত বাহু ও কোপের বর্ষণ দ্বারা জাতিগণের মধ্য হইতে তোমাদিগকে বাহির করিব, এবং যে সকল দেশে তোমরা ছিন্নভিন্ন হইয়া রহিয়াছ, সেই সকল দেশ হইতে তোমাদিগকে একত্র করিব।

35. और मैं तुम्हें देश देश के लोगों के जंगल में ले जाकर, वहां आम्हने- साम्हने तुम से मुक़ मा लड़ूंगा।

35. আমি জাতিসমূহের প্রান্তরে আনিয়া সম্মুখাসম্মুখি হইয়া সেই স্থানে তোমাদের সহিত বিচার করিব।

36. जिस प्रकार मैं तुम्हारे पूर्वजों से मिस्र देशरूपी जंगल में मुक़ मा लड़ता था, उसी प्रकार तुम से मुक़ मा लड़ूंगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

36. আমি মিসর দেশের প্রান্তরে যেমন তোমাদের পিতৃপুরুষদের সহিত বিচার করিয়াছিলাম, তোমাদের সহিত তেমনি বিচার করিব, ইহা প্রভু সদাপ্রভু কহেন।

37. मैं तुम्हें लाठी के तले चलाऊंगा। और तुम्हें वाचा के बन्धन में डालूंगा।

37. আর আমি তোমাদিগকে পাঁচনীর নীচে দিয়া গমন করাইব, ও নিয়মরূপ বন্ধনে আবদ্ধ করিব।

38. मैं तुम में से सब बलवाइयों को निकालकर जो मेरा अपराध करते है; तुम्हें शुद्ध करूंगा; और जिस देश में वे टिकते हैं उस में से मैं उन्हें निकाल दूंगा; परन्तु इस्राएल के देश में घुसने न दूंगा। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

38. পরে বিদ্রোহী ও আমার বিরুদ্ধে অধর্ম্মাচারী সকলকে ঝাড়িয়া তোমাদের মধ্য হইতে দূর করিব; তাহারা যে দেশে প্রবাস করে, তথা হইতে তাহাদিগকে বাহির করিয়া আনিব বটে, কিন্তু তাহারা ইস্রায়েল-দেশে প্রবেশ করিবে না; তাহাতে তোমরা জানিবে যে, আমিই সদাপ্রভু।

39. और हे इस्राएल के घराने तुम से तो प्रभु यहोवा यों कहता है कि जाकर अपनी अपनी मूरतों की उपासना करो; और यदि तुम मेरी न सुनोगे, तो आगे को भी यही किया करो; परन्तु मेरे पवित्रा नाम को अपनी भेंटों ओर मूरतों के द्वारा फिर अपवित्रा न करना।

39. পরন্তু হে ইস্রায়েল-কুল, প্রভু সদাপ্রভু তোমাদের বিষয়ে এই কথা বলেন, তোমরা যাও, প্রত্যেকে আপন আপন পুত্তলিগণের সেবা কর; কিন্তু উত্তরকালে তোমরা আমার কথায় অবধান করিবেই করিবে; তখন আপন আপন উপহার ও পুত্তলিগণ দ্বারা আমার পবিত্র নাম আর অপবিত্র করিবে না।

40. क्योंकि प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल का सारा घरानाा अपने देश में मेरे पवित्रा पर्वत पर, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, सब का सब मेरी उपासना करेगा; वही मैं उन से प्रसन्न हूंगा, और वहीं मैं तुम्हारी उठाई हुई भेंटें और चढ़ाई हुई उत्तम उत्तम वस्तुएं, और तुमहारी सब पवित्रा की हुई वस्तुएं तुम से लिया करूंगा।

40. কারণ, প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, আমার পবিত্র পর্ব্বতে, ইস্রায়েলের উচ্চতার পর্ব্বতে, ইস্রায়েলের সমস্ত কুল, তাহারা সকলেই, দেশমধ্যে আমার সেবা করিবে; সেই স্থানে আমি তাহাদিগকে গ্রাহ্য করিব, সেই স্থানে তোমাদের সমস্ত পবিত্র বস্তুর সহিত তোমাদের উপহার ও তোমাদের নৈবেদ্যের অগ্রিমাংশ চাহিব।

41. जब मैं तुम्हें देश देश के लोगों में से अलग करूं और उन देशों से जिन में तुम तितर- बितर हुए हो, इकट्ठा करूं, तब तुम को सुखदायक सुगन्ध जानकर ग्रहण करूंगा, और अन्य जातियों के साम्हने तुम्हारे द्वारा पवित्रा ठहराया जाऊंगा।
इफिसियों 5:12, 2 कुरिन्थियों 6:17, फिलिप्पियों 4:18

41. যখন জাতিগণের মধ্য হইতে তোমাদিগকে আনিব, এবং যে সকল দেশে তোমরা ছিন্নভিন্ন হইয়া রহিয়াছ, সেই সকল দেশ হইতে তোমাদিগকে একত্র করিব, তখন আমি সৌরভার্থক দ্রব্যের ন্যায় তোমাদিগকে গ্রাহ্য করিব; আর তোমাদের দ্বারা জাতিগণের সাক্ষাতে পবিত্র বলিয়া মান্য হইব।

42. और जब मैं तुम्हें इस्राएल के देश में पहुंचाऊं, जिसके देने की शपथ मैं ने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी, तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

42. আর আমি তোমাদের পিতৃপুরুষদিগকে যে দেশ দিব বলিয়া হস্ত উত্তোলন করিয়াছিলাম, সেই ইস্রায়েল-দেশে যখন তোমাদিগকে আনিব, তখন তোমরা জানিবে যে, আমিই সদাপ্রভু।

43. और वहां तुम अपनी चाल चलन और अपने सब कामों को जिनके करने से तुम अशुद्ध हुए हो स्मरण करोगे, और अपने सब बुरे कामों के कारण अपनी दृष्टि में घिनौने ठहरोगे।

43. আর সেখানে তোমরা সেই আচার ব্যবহার ও সমস্ত ক্রিয়াকাণ্ড স্মরণ করিবে, যদ্দ্বারা আপনাদিগকে অশুচি করিয়াছ; আর তোমাদের কৃত সমস্ত কুক্রিয়া প্রযুক্ত তোমরা আপনাদের দৃষ্টিতে আপনাদিগকে ঘৃণা করিবে।

44. और हे इस्राएल के घराने, जब मैं तुम्हारे साथ तुत्हारे बुरे चालचलन और बिगड़े हुए कामों के अनुसार नहीं, परन्तु अपने ही नाम के निमित्त बर्ताव करूं, तब तुम जान लोगे कि मेैं यहोवा हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

44. হে ইস্রায়েল-কুল, প্রভু সদাপ্রভু বলেন, আমি যখন তোমাদের মন্দ আচার ব্যবহার অনুসারে নয় ও তোমাদের দুষ্ট ক্রিয়াকাণ্ড অনুসারে নয়, কিন্তু আপন নামের অনুরোধে তোমাদের সহিত ব্যবহার করিব, তখন তোমরা জানিবে যে, আমিই সদাপ্রভু।

45. और यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

45. আর সদাপ্রভুর এই বাক্য আমার নিকটে উপস্থিত হইল,

46. हे मनुष्य के सन्तान, अपना मुख दक्खिन की ओर कर, दक्खिन की ओर वचन सुना, और दक्खिन देश के वन के विषय में भविष्यद्वाणी कर;

46. হে মনুষ্য-সন্তান, তুমি দক্ষিণদিকে আপন মুখ রাখ, দক্ষিণ দেশের দিকে বাক্য বর্ষণ কর, ও দক্ষিণ প্রান্তরস্থ অরণ্যের বিপরীতে ভাববাণী বল।

47. और दक्खिन देश के वन से कह, यहोवा का यह वचन सुन, प्रभु यहोवा यों कहता हेै, मैं तुझ में आग लगाऊंगा, और तुझ में क्या हरे, क्या सूखे, जितने पेड़ हैं, सब को वह भस्म करेगी; असकी धधकती ज्वाला न बुझेगी, और उसके कारण दक्खिन से उत्तर तक सब के मुख झुलस जाएंगे।

47. আর দক্ষিণের অরণ্যকে বল, তুমি সদাপ্রভুর বাক্য শুন; প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, দেখ আমি তোমার মধ্যে অগ্নি জ্বালাইব, তাহা তোমার মধ্যে সমস্ত সতেজ বৃক্ষ ও সমস্ত শুষ্ক বৃক্ষ গ্রাস করিবে; সেই জলন্ত অগ্নি নির্ব্বাণ হইবে না; দক্ষিণ অবধি উত্তর পর্য্যন্ত সমুদয় মুখ তদ্দ্বারা দগ্ধ হইবে।

48. तब सब प्राणियों को सूझ पड़ेगा कि वह आग यहोवा की लगाई हुई है; और वह कभी न बुझेगी।

48. তাহাতে সমস্ত প্রাণী দেখিবে যে, আমি সদাপ্রভু তাহা প্রজ্বলিত করিয়াছি; তাহা নির্ব্বাণ হইবে না।

49. तब मैं ने कहा, हाय परमेश्वर यहोवा ! लोग तो मेरे विषय में कहा करते हैं कि क्या वह दृष्टान्त ही का कहनेवाला नहीं है?

49. তখন আমি কহিলাম, হাঁ প্রভু সদাপ্রভু, তাহারা আমার বিষয়ে বলে, ঐ ব্যক্তি কি উপমাবাদী নয়?



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