Ezekiel - यहेजकेल 17 | View All

1. यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

1. And the word of the LORD came unto me, saying,

2. हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के घराने से यह पहेली और दृष्टान्त कह; प्रभू यहोवा यों कहता हे,

2. 'Son of man, put forth a riddle, and speak a parable unto the house of Israel,

3. एक लम्बे पंखवाले, परों से भरे और रडंगे बिरडंगे बडे उकाब पक्षी ने लबानोन जाकर एक देवदार की फुनगी नोच ली।

3. and say, `Thus saith the Lord GOD: A great eagle with great wings, longwinged, full of feathers which had divers colors, came unto Lebanon and took the highest branch of the cedar.

4. तब उस ने उस फुनगी की सब से ऊपर की पतली टहनी को तोड़ लिया, और उसे लेन देन करनेवालों के देश में ले जाकर व्योपारियों के एक नगर में लगाया।

4. He cropped off the top of it young twigs and carried it into a land of traffic; he set it in a city of merchants.

5. तब उस ने देश का कुछ बीज लेकर एक उपजाऊ खेत में बोया, और उसे बहुत जल भरे स्थान में मजनू की नाई लगाया।

5. He took also of the seed of the land and planted it in a fruitful field. He placed it by great waters and set it as a willow tree.

6. और वह उगकर छोटी फैलनेवाली अंगूर की लता हो गई जिसकी डालियां उसकी ओर झुकीं, और उसकी सोर उसके नीचे फैलीं; इस प्रकार से वह अंगूर की लता होकर कनखा फोड़ने और पत्तों से भरने लगी।

6. And it grew and became a spreading vine of low stature, whose branches turned toward him and the roots thereof were under him. So it became a vine, and brought forth branches and shot forth sprigs.

7. फिर और एक लम्बे पंखवाला और परों से भरा हुआ बड़ा उकाब पक्षी था; और वह अंगूर की लता उस स्थान से जहां वह लगाई गई थी, उस दूसरे उकाब की ओर अपनी सोर फैलाने और अपनी डालियां झुकाने लगी कि वह उसे खचा करे।

7. '`There was also another great eagle with great wings and many feathers; and behold, this vine did bend her roots toward him and shot forth her branches toward him, that he might water it by the furrows of her planting.

8. परन्तु वह तो इसलिये अच्छी भूमि में बहुत जल के पास लगाई गई थी, कि कनखएं फोड़े, और फले, और उत्तम अंगूर की लता बने।

8. It was planted in a good soil by great waters, that it might bring forth branches and that it might bear fruit, that it might be a goodly vine.'

9. सो तू यह कह, कि प्रभु यहोवा यों पूछता है, क्या वह फूले फलेगी? क्या वह उसको जड़ से न उखाड़ेगा, और उसके फलों को न झाड़ डालेगा कि वह अपनी सब हरी नई पत्तियों समेत सूख जाए? इसे जड़ से उखाड़ने के लिये अधिक बल और बहुत से मनुष्यों की आवश्यकता न होगी।

9. Say thou, `Thus saith the Lord GOD: Shall it prosper? Shall he not pull up the roots thereof and cut off the fruit thereof, that it wither? It shall wither in all the leaves of her spring, even without great power or many people to pluck it up by the roots thereof.

10. चाहे, वह लगी भी रहे, तौभी क्या वह फूले फलेगी? जब पुरवाई उसे लगे, तब क्या वह बिलकुल सूख न जाएगी? वह तो जहां उगी है उसी क्यारी में सूख जाएगी।

10. Yea, behold, being planted, shall it prosper? Shall it not utterly wither when the east wind toucheth it? It shall wither in the furrows where it grew.''

11. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, उस बलवा करनेवाले घराने से कह,

11. Moreover the word of the LORD came unto me, saying,

12. क्या तुम इन बातों का अर्थ नहीं समझते? फिर उन से कह, बाबुल के राजा ने यरूशलेम को जाकर उसके राजा और और प्रधानों को लेकर अपने यहां बाबुल में पहुंचाया।

12. 'Say now to the rebellious house: `Know ye not what these things mean?' Tell them: `Behold, the king of Babylon is come to Jerusalem, and hath taken the king thereof and the princes thereof, and led them with him to Babylon;

13. तब राजवंश में से एक पुरूष को लेकर उस से वाचा बान्धी, और उसको वश में रहने की शपथ खिलाई, और देश के सामथ पुरूषों को ले गया

13. and hath taken of the king's seed and made a covenant with him, and hath taken an oath from him. He hath also taken the mighty of the land,

14. कि वह राज्य निर्बल रहे और सिर न उठा सके, वरन वाचा पालने से स्थिर रहे।

14. that the kingdom might be base, that it might not lift itself up, but that by keeping of his covenant it might stand.

15. तौभी इस ने घोड़े और बड़ी सेना मांगने को अपने दूत मिस्र में भेजकर उस से बलवा किया। क्या वह फूले फलेगा? क्या ऐसे कामों का करनेवाला बचेगा? क्या वह अपनी वाचा तोड़ने पर भी बच जाएगा?

15. But he rebelled against him in sending his ambassadors into Egypt, that they might give him horses and many people. Shall he prosper? Shall he escape that doeth such things? Or shall he break the covenant and be delivered?

16. प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध, जिस राजा की खिलाई हुई शपथ उस ने तुच्छ जानी, और जिसकी वाचा उस ने तोड़ी, उसके यहां जिस ने उसे राजा बनाया था, अर्थात् बाबुल में ही वह उसके पास ही मर जाएगा।

16. As I live, saith the Lord GOD, surely in the place where the king dwelleth that made him king, whose oath he despised and whose covenant he broke, even with him in the midst of Babylon he shall die.

17. और जब वे बहुत से प्राणियों को नाश करने के लिये दमदमा बान्धे, और गढ़ बनाएं, तब फिरौन अपनी बड़ी सेना और बहुतों की मण्डली रहते भी युठ्ठ में उसकी सहायता न करेगा।

17. Neither shall Pharaoh with his mighty army and great company help him in the war, by casting up siege mounds and building forts to cut off many persons.

18. क्योंकि उस न शपथ को तुच्छ जाना, और वाचा को तोड़ा; देखो, उस ने वचन देने पर भी ऐसे ऐसे काम किए हैं, सो वह बचने न पाएगा।

18. Seeing he despised the oath by breaking the covenant, when, lo, he had given his hand and hath done all these things, he shall not escape.

19. प्रभु यहोवा यों कहता है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, उस ने मेरी शपथ तुच्छ जानी, और मेरी वाचा तोड़ी है; यह पाप मैं उसी के सिर पर डालूंगा।

19. Therefore thus saith the Lord GOD: As I live, surely Mine oath that he hath despised and My covenant that he hath broken, even it will I recompense upon his own head.

20. और मैं अपना जाल उस पर फैलाऊंगा और वह मेरे फन्दे में फंसेगा; और मैं उसको बाबुल में पहुंचाकर उस विश्वासघात का मुक़ मा उस से लड़ूंगा, जो उस ने मुझ से किया है।

20. And I will spread My net upon him, and he shall be taken in My snare, and I will bring him to Babylon and will plead with him there for his trespass that he hath trespassed against Me.

21. और उसके सब दलों में से जितने भागें वे सब तलवार से मारे जाएंगे, और जो रह जाएं सो चारों दिशाओं में तितर- बितर हो जाएंगे। तब तुम लोग जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने ऐसा कहा है।

21. And all his fugitives with all his troops shall fall by the sword, and they that remain shall be scattered toward all winds; and ye shall know that I, the LORD, have spoken it.

22. फिर प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं भी देवदार की ऊंची फुनगी में से कुछ लेकर लगाऊंगा, और उसकी सब से ऊपरवाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़कर एक अति ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा।
मत्ती 13:32, मरकुस 4:32, लूका 13:19

22. '`Thus saith the Lord GOD: I will also take of the highest branch of the high cedar, and will set it; I will crop off from the top of his young twigs a tender one, and will plant it upon a high mountain and eminent.

23. अर्थात् इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा; सो वह डालियां फोड़कर बलवन्त और उत्तम देवदार बन जाएगा, और उसके नीचे अर्थात् उसकी डालियों की छाया में भांति भांति के सब पक्षी बसेरा करेंगे।
मत्ती 13:32, मरकुस 4:32

23. In the mountain of the height of Israel will I plant it; and it shall bring forth boughs and bear fruit and be a goodly cedar, and under it shall dwell all fowl of every wing; in the shadow of the branches thereof shall they dwell.

24. तब मैदान के सब वृक्ष जान लेंगे कि मुझ यहोवा ही ने ऊंचे वृक्ष को नीचा और नीचे पृक्ष को ऊंचा किया, हरे वृक्ष को सुखा दिया, और सूखे वृक्ष को फुलाया फलाया है। मुझ यहोवा ही ने यह कहा और वैसा ही कर भी दिया है।

24. And all the trees of the field shall know that I, the LORD, have brought down the high tree, have exalted the low tree, have dried up the green tree, and have made the dry tree to flourish. I, the LORD, have spoken and have done it.''



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