Isaiah - यशायाह 9 | View All

1. तौभी संकट- भरा अन्धकार जाता रहेगा। पहिले तो उस ने जबूलून और नप्ताली के देशों का अपमान किया, परन्तु अन्तिम दिनों में ताल की ओर यरदन के पार की अन्यजातियों के गलील को महिमा देगा।
मत्ती 4:15-16

1. Nevertheless [this] darkness [shall] not [be] the same as the affliction that came upon her when they lightly touched the land of Zebulun and the land of Naphtali, nor afterward when they more grievously afflicted [her by] the way of the sea, beyond Jordan, in Galilee of the Gentiles.

2. जो लोग अन्धियारे में चल रहे थे उन्हों ने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।
लूका 1:79, 2 कुरिन्थियों 4:6, 1 पतरस 2:9, मत्ती 4:15-16

2. The people that walked in darkness have seen a great light; those that dwell in the land of the shadow of death, upon them has the light shined.

3. तू ने जाति को बढ़ाया, तू ने उसको बहुत आनन्द दिया; वे तेरे साम्हने कटनी के समय का सा आनन्द करते हैं, और ऐसे मगन हैं जैसे लोग लूट बांटने के समय मगन रहते हैं।

3. As thou hast multiplied the nation, thou hast not increased the joy. They shall rejoice before thee as they rejoice in the harvest [and] as [men] rejoice when they divide the spoil.

4. क्योंकि तू ने उसकी गर्दन पर के भारी जूए और उसके बहंगे के बांस, उस पर अंधेर करनेवाले की लाठी, इन सभों को ऐसा तोड़ दिया है जेसे मिद्यानियों के दिन में किया था।

4. For thou hast broken his heavy yoke and the staff of his shoulder, the rod of his oppressor, as in the day of Midian.

5. क्योंकि युद्ध में लड़नेवाले सिपाहियों के जूते और लोहू में लथड़े हुए कपड़े सब आग का कौर हो जाएंगे।

5. For every battle of him who fights [is] with shaking [of the earth] and the rolling of garments in blood; but [this] shall be with burning [and] consuming of fire.

6. क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्रा दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।
यूहन्ना 1:45, इफिसियों 2:14

6. For unto us a child is born, unto us a son is given, and the government is [placed] upon his shoulder, and his name shall be called The Wonderful [One], The Counsellor, The God, The Mighty [One], The Eternal Father, The Prince of Peace.

7. उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिये वि उसको दाऊद की राजगद्दीपर इस समय से लेकर सर्वदा के लिये न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए ओर संभाले रहेगा। सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।।
लूका 1:32, यूहन्ना 12:34

7. The multitude of [his] dominion and the peace shall have no end upon the throne of David and upon his Kingdom, ordering it and confirming it in judgment and in righteousness from now on even for ever. The zeal of the LORD of the hosts will perform this.

8. प्रभु ने याकूब के पास एक संदेश भेजा है, और वह इस्राएल पर प्रगट हुआ है;

8. The Lord sent a word into Jacob, and it has lighted upon Israel.

9. और सारी प्रजा को, एप्रैमियों और शोमरोनवासियों को मालूम हो जाएगा जो गर्व और कठोरता से बोलते हैं: ईंटें तो गिर गई हैं,

9. And all the people shall know, [even] Ephraim and the inhabitant of Samaria, that say in pride and arrogance of heart,

10. परन्तु हम गढ़ें हुए पत्थरों से घर बनाएंगे; गूलर के वृक्ष तो कट गए हैं परन्तु हम उनकी सन्ती देवदारों से काम लेंगे।

10. The bricks are fallen down, but we will build with hewn stones; the wild fig trees are cut down, but we will put cedars in their place.

11. इस कारण यहोवा उन पर रसीन के बैरियों को प्रबल करेगा,

11. Therefore the LORD shall set up the adversaries of Rezin against him and join his enemies together,

12. और उनके शत्रुओं को अर्थात् पहिले आराम को और तब पलिश्तियों को उभारेगा, और वे मुंह खोलकर इस्राएलियों को निगल लेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।

12. the Syrians before, and the Philistines behind; and they shall devour Israel with open mouth. For all this his anger is not turned away, but his hand [is] stretched out still.

13. तौभी ये लोग अपने मारनेवाले की ओर नहीं फिरे और न सेनाओं के यहोवा की खोज करते हैं।

13. But the people did not turn unto him that smote them, neither did they seek the LORD of the hosts.

14. इस कारण यहोवा इस्राएल में से सिर और पूंछ को, खजूर की डालियों और सरकंडे को, एक ही दिन में काट डालेगा।

14. Therefore the LORD will cut off from Israel head and tail, branch and rush, in one day.

15. पुरनिया और प्रतिष्ठित पुरूष तो सिर हैं, और झूठी बातें सिखानेवाला नबी पूंछ है;

15. The ancient and venerable to look upon is the head; the prophet that teaches lies, he is [the] tail.

16. क्योंकि जो इन लोगों की अगुवाई करते हैं वे इनको भटका देते हैं, और जिनकी अगुवाई होती है वे नाश हो जाते हैं।

16. For the governors of this people are deceivers, and those who are governed by them [are] lost.

17. इस कारण प्रभु न तो इनके जवानों से प्रसन्न होगा, और न इनके अनाथ बालकों और विधवाओं पर दया करेगा; क्योंकि हर एक के मुख से मूर्खता की बातें निकलती हैं। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।

17. Therefore the Lord shall have no joy in their young men, neither shall he have mercy on their fatherless and widows, for every one [is] a hypocrite and an evildoer, and every mouth speaks folly. For all this his anger is not turned away, but his hand [is] stretched out still.

18. क्योंकि दुष्टता आग की नाई धधकती है, वह ऊंटकटारों और कांटों को भस्म करती है, वरन वह घने वन की झाड़ियों में आग लगाती है और वह धुंआ में चकरा चकराकर ऊपर की ओर उठती है।

18. For wickedness burns as the fire, it shall devour the briers and thorns and shall kindle in the thickets of the forest, and they shall mount up [like] the lifting up of smoke.

19. सेनाओं के यहोवा के रोष के मारे यह देश जलाया गया है, और ये लोग आग की ईंधन के समान हैं; वे आपस में एक दूसरे से दया का व्यवहार नहीं करते।

19. Through the wrath of the LORD of the hosts the land is darkened, and the people shall be as the fuel of the fire; no man shall spare his brother.

20. वे दहिनी ओर से भोजनवस्तु छीनकर भी भूखे रहते, और बायें ओर से खाकर भी तृप्त नहीं होते; उन में से प्रत्येक मनुष्य अपनी अपनी बांहों का मांस खाता है,

20. And he shall snatch on the right hand and be hungry, and he shall eat on the left hand, and they shall not be satisfied; they shall eat each man the flesh of his own arm:

21. मनश्शे एप्रैम को और एप्रैम मनश्शे को खाता है, और वे दोनों मिलकर यहूदा के विरूद्ध हैं इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।

21. Manasseh, Ephraim; and Ephraim, Manasseh; [and] they together [shall be] against Judah. For all this his anger is not turned away, but his hand [is] stretched out still.:



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