14. हे मेरी कबूतरी, पहाड़ की दरारों में और टीलों के कुज्ज में तेरा मुख मुझे देखने दे, तेरा बोल मुझे सुनने दे, क्योंकि तेरा बोल मीठा, और तेरा मुख अति सुन्दर है।
14. HE O my dove! In the retreats of the crag, in the hiding-place of the terrace, Let me see thy form, Let me hear thy voice, For, thy voice, is sweet, and, thy form, comely.