18. सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर रिता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे: क्योंकि उसका भाग यही है।
18. Behold, I have seen good, that it is a fine thing [for a man] to eat and to drink, and to see good in all his labor in which he may labor under the sun; [all] the number of the days of his life which God has given to him; for it is his portion.