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1. और बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमान जिनको यहोवा ने ऐसी बुद्धि और समझ दी हो, कि वे यहोवा की सारी आज्ञाओं के अनुसार पवित्रास्थान की सेवकाई के लिये सब प्रकार का काम करना जानें, वे सब यह काम करें।।
1. অতএব সদাপ্রভুর সমস্ত আজ্ঞানুসারে পবিত্র স্থানের কার্য্য সকল কিরূপে করিতে হইবে, তাহা জানিতে সদাপ্রভু বৎসলেল ও অহলীয়াব এবং আর যাঁহাদিগকে বিজ্ঞতা ও বুদ্ধি দিয়াছেন, সেই সকল বিজ্ঞমনা লোক কর্ম্ম করিবেন।
2. तब मूसा ने बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमानों को जिनके हृदय में यहोवा ने बुद्धि का प्रकाश दिया था, अर्थात् जिस जिसको पास आकर काम करने का उत्साह हुआ था उन सभों को बुलवाया।
2. পরে মোশি বৎসলেল ও অহলীয়াবকে এবং সদাপ্রভু যাঁহাদের হৃদয়ে বিজ্ঞতা দিয়াছিলেন, সেই অন্য সকল বিজ্ঞমনা লোককে ডাকিলেন, অর্থাৎ সেই কর্ম্ম করিবার নিমিত্তে উপস্থিত হইতে যাঁহাদের মনে প্রবৃত্তি জন্মিল, তাঁহাদিগকে ডাকিলেন।
3. और इस्त्राएली जो जो भेंट पवित्रास्थान की सेवकाई के काम और उसके बनाने के लिये ले आए थे, उन्हें उन पुरूषों ने मूसा के हाथ से ले लिया। तब भी लोग प्रति भोर को उसके पास भेंट अपनी इच्छा से लाते रहें;
3. তাহাতে তাঁহারা পবিত্র স্থানের কার্য্যের উপাদান সম্পন্ন করণার্থে ইস্রায়েল-সন্তানগণের আনীত সমস্ত উপহার মোশির নিকট হইতে গ্রহণ করিলেন। আর লোকেরা তখনও প্রতি-প্রভাতে তাঁহার নিকটে ইচ্ছাপূর্ব্বক আরও দ্রব্য আনিতেছিল।
4. और जितने बुद्धिमान पवित्रास्थान का काम करते थे वे सब अपना अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए,
4. তখন পবিত্র স্থানের সমস্ত কার্য্যে ব্যাপৃত বিজ্ঞ লোক সকল আপন আপন কর্ম্ম হইতে আসিয়া মোশিকে কহিলেন,
5. और कहने लगे, जिस काम के करने की आज्ञा यहोवा ने दी है उसके लिये जितना चाहिये उससे अधिक वे ले आए हैं।
5. সদাপ্রভু যাহা যাহা রচনা করিতে আজ্ঞা করিয়াছিলেন, লোকেরা সেই রচনাকার্য্যের জন্য অতিরিক্ত অধিক বস্তু আনিতেছে।
6. तब मूसा ने सारी छावनी में इस आज्ञा का प्रचार करवाया, कि क्या पुरूष, क्या स्त्री, कोई पवित्रास्थान के लिये और भेंट न लाए, इस प्रकार लोग और भेंट लाने से रोके गए।
6. তাহাতে মোশি আজ্ঞা দিয়া শিবিরের সর্ব্বত্র এই ঘোষণা করিয়া দিলেন যে, পুরুষ কিম্বা স্ত্রীলোক পবিত্র স্থানের জন্য আর উপহার প্রস্তুত না করুক।
7. क्योंकि सब काम बनाने के लिये जितना सामान आवश्यक था उतना वरन उससे अधिक बनाने वालों के पास आ चुका था।।
7. তাহাতে লোকেরা আনিতে নিবৃত্ত হইল। কেননা সকল কর্ম্ম করণার্থে তাহাদের যথেষ্ট, এমন কি, প্রয়োজনের অতিরিক্ত দ্রব্য প্রস্তুত ছিল।
8. और काम करनेवाले जितने बुद्धिमान थे उन्हों ने निवास के लिये बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के दस पटों को काढ़े हुए करूबों सहित बनाया।
8. পরে কর্ম্মকারী বিজ্ঞমনা লোক সকল পাকান সাদা মসীনা সূত্র, নীল, বেগুনে ও লাল সূত্রনির্ম্মিত দশ যবনিকা দ্বারা আবাস প্রস্তুত করিলেন; এবং সেই যবনিকা সমূহে শিল্পকারের কৃত করূবগণের আকৃতি ছিল।
9. एक एक पट की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; सब पट एक ही नाप के बने।
9. প্রত্যেক যবনিকা আটাইশ হস্ত দীর্ঘ, ও প্রত্যেক যবনিকা চারি হস্ত প্রস্থ, সমস্ত যবনিকার একই পরিমাণ ছিল।
10. उस ने पांच पट एक दूसरे से जोड़ दिए, और फिर दूसरे पांच पट भी एक दूसरे से जोड़ दिए।
10. পরে তিনি তাহার পাঁচ যবনিকা একত্র যোগ করিলেন, এবং অন্য পাঁচ যবনিকাও একত্র যোগ করিলেন।
11. और जहां ये पट जोड़े गए वहां की दोनों छोरों पर उस ने पीली नीली फलियां लगाईं।
11. আর যোড়স্থানে প্রথম অন্ত্য যবনিকার মুড়াতে নীলবর্ণ ঘুন্টীঘরা করিলেন, এবং যোড়স্থানের দ্বিতীয় অন্ত্য যবনিকার মুড়াতেও তদ্রূপ করিলেন।
12. उस ने दोनों छोरों में पचास पचास फलियां इस प्रकार लगाई कि वे आम्हने- साम्हने हुई।
12. প্রথম যবনিকাতে পঞ্চাশ ঘুন্টীঘরা করিলেন, এবং যোড়স্থানের দ্বিতীয় যবনিকার মুড়াতেও পঞ্চাশ ঘুন্টীঘরা করিলেন; সেই দুই ঘুন্টীঘরাশ্রেণী পরস্পর সম্মুখীন হইল।
13. और उस ने सोने की पचास घुंडियां बनाई, और उनके द्वारा पटों को एक दूसरे से ऐसा जोड़ा कि निवास मिलकर एक हो गया।
13. পরে তিনি স্বর্ণের পঞ্চাশটী ঘুন্টী গড়িয়া সেই ঘুন্টীতে যবনিকা সকল পরস্পর যোড়া দিলেন, তাহাতে একই আবাস হইল।
14. फिर निवास के ऊपर के तम्बू के लिये उस ने बकरी के बाल के ग्यारह पट बनाए।
14. পরে তিনি আবাসের উপরে আচ্ছাদনার্থক তাম্বুর নিমিত্তে ছাগলোমজাত যবনিকা সকল প্রস্তুত করিলেন; একাদশ যবনিকা প্রস্তুত করিলেন।
15. एक एक पट की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; और ग्यारहों पट एक ही नाप के थे।
15. তাহার প্রত্যেক যবনিকা ত্রিশ হস্ত দীর্ঘ, ও প্রত্যেক যবনিকা চারি হস্ত প্রস্থ; একাদশ যবনিকার একই পরিমাণ ছিল।
16. इन में से उस ने पांच पट अलग और छ: पट अलग जोड़ दिए।
16. পরে তিনি পাঁচ যবনিকা পৃথক্ যোড়া দিলেন, ও ছয় যবনিকা পৃথক্ যোড়া দিলেন।
17. और जहां दोनों जोड़े गए वहां की छोरों में उस ने पचास पचास फलियां लगाईं।
17. আর যোড়স্থানের অন্ত্য যবনিকার মুড়াতে পঞ্চাশ ঘুন্টীঘরা করিলেন, এবং দ্বিতীয় যোড়স্থানের অন্ত্য যবনিকার মুড়াতেও পঞ্চাশ ঘুন্টীঘরা করিলেন।
18. और उस ने तम्बू के जोड़ने के लिये पीतल की पचास घुंडियां भी बनाई जिस से वह एक हो जाए।
18. আর যোড় দিয়া একই তাম্বু করণার্থে পিত্তলের পঞ্চাশ ঘুন্টী গড়িলেন।
19. और उस ने तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेंढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर के लिये सूइसों की खालों का भी एक ओढ़ना बनाया।
19. পরে রক্তীকৃত মেষচর্ম্মে তাম্বুর এক ছাদ, আবার তাহার উপরে তহশচর্ম্মের এক ছাদ প্রস্তুত করিলেন।
20. फिर उस ने निवास के लिये बबूल की लकड़ी के तख्तों को खड़े रहने के लिये बनाया।
20. পরে তিনি আবাসের জন্য শিটীম কাষ্ঠের দাঁড় করান তক্তা সকল নির্ম্মাণ করিলেন।
21. एक एक तख्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हुई।
21. এক এক তক্তা দীর্ঘে দশ হস্ত ও প্রত্যেক তক্তা প্রস্থে দেড় হস্ত।
22. एक एक तख्ते में एक दूसरी से जोड़ी हुई दो दो चूलें बनीं, निवास के सब तख्तों के लियें उस ने इसी भंाति बनाईं।
22. প্রত্যেক তক্তাতে পরস্পর সংযুক্ত দুই দুই পায়া ছিল; এইরূপে তিনি আবাসের সকল তক্তা প্রস্তুত করিলেন।
23. और उस ने निवास के लिये तख्तों को इस रीति से बनाया, कि दक्खिन की ओर बीस तख्ते लगे।
23. তিনি আবাসের নিমিত্তে তক্তা প্রস্তুত করিলেন, দক্ষিণদিকে দক্ষিণ পার্শ্বের নিমিত্তে বিংশতি তক্তা;
24. और इन बीसों तख्तों के नीचे चांदी की चालीस कुर्सियां, अर्थात् एक एक तख्ते के नीचे उसकी दो चूलों के लिये उस ने दो कुर्सियां बनाईं।
24. আর সেই বিংশতি তক্তার নীচে রৌপ্যের চল্লিশ চুঙ্গি গড়িলেন, এক তক্তার নীচে তাহার দুই পায়ার নিমিত্তে দুই চুঙ্গি, এবং অন্য অন্য তক্তার নীচেও তাহাদের দুই দুই পায়ার নিমিত্তে দুই দুই চুঙ্গি গড়িলেন।
25. और निवास की दूसरी अलंग, अर्थात् उत्तर की ओर के लिये भी उस ने बीस तख्ते बनाए।
25. আর আবাসের দ্বিতীয় পার্শ্বের নিমিত্তে উত্তরদিকে বিংশতি তক্তা করিলেন,
26. और इनके लिये भी उस ने चांदी की चालीस कुर्सियां, अर्थात् एक एक तख्ते के नीचे दो दो कुर्सियां बनाईं।
26. ও সেইগুলির জন্য চল্লিশটী রৌপ্যের চুঙ্গি গড়িয়া দিলেন; এক তক্তার নীচে দুই দুই চুঙ্গি, ও অন্য অন্য তক্তার নীচেও দুই দুই চুঙ্গি হইল।
27. और निवास की पिछली अलंग, अर्थात् पश्चिम ओर के लिये उस ने छ: तख्ते बनाए।
27. আর পশ্চিমদিকে আবাসের পশ্চাৎ পার্শ্বের নিমিত্তে ছয় খানি তক্তা করিলেন।
28. और पिछली अलंग में निवास के कोनों के लिये उस ने दो तख्ते बनाए।
28. আর আবাসের সেই পশ্চাৎ ভাগে দুই কোণে দুই খানি তক্তা রাখিলেন।
29. और वे नीचे से दो दो भाग के बने, और दोनों भाग ऊपर से सिरे तक उन दोनों तख्तों का ढब ऐसा ही बनाया।
29. সেই দুই তক্তার নীচে দোহারা ছিল, এবং সেইরূপে মাথাতেও প্রথম কড়ার নিকটে অখণ্ড ছিল; এইরূপে তিনি দুই কোণের তক্তা বদ্ধ করিলেন।
30. इस प्रकार आठ तख्ते हुए, और उनकी चांदी की सोलह कुर्सियां हुईं, अर्थात् एक एक तख्ते के नीचे दो दो कुर्सियां हुईं।
30. তাহাতে আটখানি তক্তা, এবং সে গুলির রৌপ্যের ষোলটী চুঙ্গি হইল, এক এক তক্তার নীচে দুই দুই চুঙ্গি হইল।
31. फिर उस ने बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनाए, अर्थात् निवास की एक अलंग के तख्तों के लिये पांच बेंड़े,
31. পরে তিনি শিটীম কাষ্ঠ দ্বারা অর্গল প্রস্তুত করিলেন;
32. और निवास की दूसरी अलंग के तख्तों के लिये पांच बेंड़े, और निवास की जो अलंग पश्चिम ओर पिछले भाग में थी उसके लिये भी पांच बेंड़े, बनाए।
32. আবাসের এক পার্শ্বের তক্তার জন্য পাঁচ অর্গল, আবাসের অন্য পার্শ্বের তক্তার জন্য পাঁচ অর্গল, এবং পশ্চিমদিকে আবাসের পশ্চাৎ পার্শ্বের তক্তার জন্য পাঁচ অর্গল।
33. और उस ने बीचवाले बेंड़े को तख्तों के मध्य में तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंचने के लिये बनाया।
33. আর মধ্যবর্ত্তী অর্গলটীকে তক্তাগুলির মধ্যস্থান দিয়া এক প্রান্ত অবধি অন্য প্রান্ত পর্য্যন্ত বিস্তার করিলেন।
34. और तख्तों को उस ने सोने से मढ़ा, और बेंड़ों के घर को काम देनेवाले कड़ों को सोने के बनाया, और बेंड़ों को भी सोने से मढ़ा।।
34. পরে তিনি তক্তাগুলি স্বর্ণে মুড়িলেন, এবং অর্গলের ঘর হইবার জন্য স্বর্ণের কড়া গড়িয়া অর্গলও স্বর্ণে মুড়িলেন।
35. फिर उस ने नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का बीचवाला पर्दा बनाया; वह कढ़ाई के काम किये हुए करूबों के साथ बना।लूका 23:45, 2 कुरिन्थियों 3:13
35. আর তিনি নীল, বেগুনে, লাল ও পাকান সাদা মসীনা সূত্র দিয়া তিরস্করিণী প্রস্তুত করিলেন, তাহাতে করূবাকৃতি করিলেন, তাহা শিল্পকারের কর্ম্ম।
36. और उस ने उसके लिये बबूल के चार खम्भे बनाए, और उनको सोने से मढ़ा; उनकी घुंडियां सोने की बनी, और उस ने उनके लिये चांदी की चार कुर्सियां ढालीं।
36. আর তাহার নিমিত্তে শিটীম কাষ্ঠের চারি স্তম্ভ নির্ম্মাণ করিয়া স্বর্ণে মুড়িলেন, এবং তাহাদের আঁকড়াও স্বর্ণের করিলেন, এবং তাহার জন্য রৌপ্যের চারি চুঙ্গি ঢালিলেন।
37. और उस ने तम्बू के द्वार के लिये नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ पर्दा बनाया।
37. পরে তিনি তাম্বুর দ্বারের নিমিত্তে নীল, বেগুনে, লাল ও পাকান সাদা মসীনা সূত্র দ্বারা সূচি-ক্রিয়াবিশিষ্ট এক পর্দ্দা নির্ম্মাণ করিলেন।
38. और उस ने घुंडियों समेत उसके पांच खम्भे भी बनाए, और उनके सिरों और जोड़ने की छड़ों को सोने से मढ़ा, और उनकी पांच कुर्सियां पीतल की बनाईं।।
38. আর তাহার পাঁচ স্তম্ভ ও সেগুলির আঁকড়া করিলেন এবং ঐ সকলের মাথলা ও শলাকা স্বর্ণে মুড়িলেন, কিন্তু সেগুলির পাঁচ চুঙ্গি পিত্তল দিয়া গড়িলেন।