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1. परमेश्वर उठे, उसके शत्रु तित्तर बितर हों; और उसके बैरी उसके साम्हने से भाग जाएं।
1. ঈশ্বর উঠুন, তাঁহার শত্রুগণ ছিন্নভিন্ন হউক, তাঁহার বিদ্বেষিগণ তাঁহার সম্মুখ হইতে পলায়ন করুক।
2. जैसे धुआं उड़ जाता है, वैसे ही तू उनको उड़ा दे; जैसे मोम आग की आंच से पिघल जाता है, वैसे ही दुष्ट लोग परमेश्वर की उपस्थिति से नाश हों।
2. যেমন ধূম চালিত হয়, তেমনি তুমি তাহাদিগকে চালিত কর; যেমন অগ্নির সম্মুখে মোম গলিয়া যায়, তেমনি ঈশ্বরের সম্মুখে দুষ্টগণ বিনষ্ট হউক।
3. परन्तु धर्मी आनन्दित हों; वे परमेश्वर के साम्हने प्रफुल्लित हों; वे आनन्द से मगन हों!
3. কিন্তু ধার্ম্মিকগণ আনন্দ করুক, ঈশ্বরের সাক্ষাতে উল্লাস করুক, তাহারা আনন্দে আহ্লাদিত হউক।
4. परमेश्वर का गीत गाओ, उसके नाम का भजन गाओ; जो निर्जल देशों में सवार होकर चलता है, उसके लिये सड़क बनाओ; उसका नाम याह है, इसलिये तुम उसके साम्हने प्रफुल्लित हो!
4. তোমরা ঈশ্বরের উদ্দেশে গীত গাও, তাঁহার নামের কীর্ত্তন কর; যিনি মরুভূমি দিয়া বাহনে আসিতেছেন, তাঁহার জন্য রাজপথ বাঁধ; তাঁহার নাম ‘যাঃ’, তাঁহার সাক্ষাতে উল্লাস কর।
5. परमेश्वर अपने पवित्रा धाम में, अनाथों का पिता और विधवाओं का न्यायी है।
5. ঈশ্বর আপন পবিত্র বাসস্থানে পিতৃহীনদের পিতা ও বিধবাদের বিচারকর্ত্তা।
6. परमेश्वर अनाथों का घर बसाता है; और बन्धुओं को छुड़ाकर भाग्यवान करता है; परन्तु हठीलों को सूखी भूमि पर रहना पड़ता है।।
6. ঈশ্বর সঙ্গিহীনদিগকে পরিবার মধ্যে বাস করান, তিনি বন্দিগণকে মুক্ত করিয়া কুশলে রাখেন; কিন্তু বিদ্রোহীরা দগ্ধ ভূমিতে বাস করে।
7. हे परमेश्वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे आगे चलता था, जब तू निर्जल भूमि में सेना समेत चला,
7. হে ঈশ্বর, তুমি যখন নিজ প্রজাগণের অগ্রে অগ্রে যাইতেছিলে, যখন শুষ্ক ভূমি দিয়া গমন করিতেছিলে, সেলা।
8. तब पृथ्वी कांप उठी, और आकाश भी परमेश्वर के साम्हने टपकने लगा, उधर सीनै पर्वत परमेश्वर, हां इस्राएल के परमेश्वर के साम्हने कांप उठा।इब्रानियों 12:26
8. তখন পৃথিবী কম্পমান হইল, ঈশ্বরের সাক্ষাতে আকাশও জলবিন্দুময় হইল; ঐ সীনয় ঈশ্বরের সাক্ষাতে, ইস্রায়েলের ঈশ্বরের সাক্ষাতে [কাঁপিয়া উঠিল]।
9. हे परमेश्वर, तू ने बहुत से वरदान बरसाए; तेरा निज भाग तो बहुत सूखा था, परन्तू तू ने उसको हरा भरा किया है;
9. হে ঈশ্বর, তুমি জলধারা বর্ষাইলে, তোমার অধিকার ক্লান্ত হইলে তুমিই তাহা সুস্থির করিলে।
10. तेरा झुण्ड उस में बसने लगा; हे परमेश्वर तू ने अपनी भलाई से दीन जन के लिये तैयारी की है।
10. তোমার সমাজ তাহার মধ্যে বাস করিল; হে ঈশ্বর, তুমি আপন মঙ্গলভাবে দুঃখীর নিমিত্ত আয়োজন করিলে।
11. प्रभु आज्ञा देता है, तब शुभ समाचार सुनानेवालियों की बड़ी सेना हो जाती है।
11. প্রভু বাক্য দেন, শুভবার্ত্তার প্রচারিকাগণ মহাবাহিনী।
12. अपनी अपनी सेना समेत राजा भागे चले जाते हैं, और गृहस्थिन लूट को बांट लेती है।
12. বাহিনীগণের রাজারা পলায়ন করেন, পলায়ন করেন, আর গৃহস্বামিনী দ্রব্য বিভাগ করিয়া লয়।
13. क्या तुम भेड़शालों के बीच लेट जाओगे? और ऐसी कबूतरी के समान होगे जिसके पंख चान्दी से और जिसके पर पीले सोने से मढ़े हुए हों?
13. তোমরা কি বাথান মধ্যে শয়ন করিবে, রৌপ্যমণ্ডিত কপোতের পক্ষবৎ হইবে, যাহার পালখ হরিৎ সুবর্ণমণ্ডিত?
14. जब सर्वशक्तिमान ने उस में राजाओं को तित्तर बितर किया, तब मानो सल्मोन पर्वत पर हिम पड़ा।।
14. সর্ব্বশক্তিমান যখন রাজাদিগকে দেশে ছিন্নভিন্ন করিলেন, তখন সল্মোন পর্ব্বতে [যেন] তুষার পড়িল।
15. बाशान का पहाड़ परमेश्वर का पहाड़ है; बाशान का पहाड़ बहुत शिखरवाला पहाड़ है।
15. বাশন পর্ব্বত ঈশ্বরের পর্ব্বত; বাশন পর্ব্বত বহুশৃঙ্গ পর্ব্বত।
16. परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो, जिसे परमेश्वर ने अपने वास के लिये चाहा है, और जहां यहोवा सदा वास किए रहेगा?
16. হে বহুশৃঙ্গ পর্ব্বতগণ, ঈশ্বর আপন নিবাসের নিমিত্ত যে পর্ব্বতে প্রীত হইয়াছেন, তৎপ্রতি তোমরা কেন কুটিল দৃষ্টি করিতেছ? অবশ্য সদাপ্রভু চিরকাল তথায় বাস করিবেন।
17. परमेश्वर के रथ बीस हजार, वरन हजारों हजार हैं; प्रभु उनके बीच में है, जैसे वह सीनै पवित्रास्थान में है।
17. ঈশ্বরের রথ অযুত অযুত ও লক্ষ লক্ষ, প্রভু সে সকলের মধ্যবর্ত্তী; যেমন সীনয়ে, তাঁহার পবিত্র স্থানে ।
18. तू ऊंचे पर चढ़ा, तू लोगों को बन्धुवाई में ले गया; तू ने मनुष्यों से, वरन हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, जिस से याह परमेश्वर उन में वास करे।।इफिसियों 4:8-11
18. তুমি ঊর্দ্ধে উঠিয়াছ, বন্দিগণকে বন্দি করিয়াছ, মনুষ্যদের মধ্যে দান গ্রহণ করিয়াছ; এমন কি, বিদ্রোহীদের মধ্যেও গ্রহণ করিয়াছ, যেন সদাপ্রভু ঈশ্বর [তথায়] বাস করেন।
19. धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है।
19. ধন্য প্রভু, যিনি দিন দিন আমাদের ভার বহন করেন; সেই ঈশ্বর আমাদের পরিত্রাণ। সেলা।
20. वही हमारे लिये बचानेवाला ईश्वर ठहरा; यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है।।
20. ঈশ্বর আমাদের পক্ষে পরিত্রাণসাধক ঈশ্বর; মৃত্যু হইতে উত্তরণ প্রভু সদাপ্রভুরই বশে।
21. निश्चय परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर पर, और जो अधर्म के र्माग पर चलता रहता है, उसके बाल भरे चोंडें पर मार मार के उसे चूर करेगा।
21. ঈশ্বর অবশ্য আপন শত্রুগণের মস্তক ও কুপথগামীর সকেশ-কপাল চূর্ণ করিবেন।
22. प्रभु ने कहा है, कि मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊंगा, मैं उनको गहिरे सागर के तल से भी फेर ले आऊंगा,
22. প্রভু কহিলেন, আমি বাশন হইতে পুনর্ব্বার আনিব, সমুদ্রের গভীর তল হইতে [তাহাদিগকে] পুনর্ব্বার আনিব,
23. कि तू अपने पांव को लोहू में डुबोए, और तेरे शत्रु तेरे कुत्तों का भाग ठहरें।।
23. যেন তোমার চরণ রক্তে ডুবাইতে পার, যেন তোমার কুকুরদের জিহ্বা [তোমার] শত্রুগণ হইতে অংশ পায়।
24. हे परमशॆवर तेरी गति देखी गई, मेरे ईश्वर, मेरे राजा की गति पवित्रास्थान में दिखाई दी है;
24. হে ঈশ্বর, লোকে তোমার গমন দেখিয়াছে; পবিত্র স্থানে আমার ঈশ্বরের, আমার রাজার, গমন [দেখিয়াছে]।
25. गानेवाले आगे आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे पीछे गए, चारों ओर कुमारियां डफ बजाती थीं।
25. অগ্রে গায়কগণ, পশ্চাতে বাদ্যকরগণ চলিল, বাদ্যবাদিনী কুমারীদের মধ্যস্থানে।
26. सभाओं में परमेश्वर का, हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों, प्रभु का धन्यवाद करो।
26. জনসমাগমের মধ্যে ঈশ্বরের ধন্যবাদ কর; তোমরা, যাহারা ইস্রায়েলরূপ উনুই হইতে [উৎপন্ন], তোমরা প্রভুর ধন্যবাদ কর।
27. वहां उनको अध्यक्ष छोटा बिन्यामीन है, वहां यहूदा के हाकिम अपने अनुचरों समेत हैं, वहां जबूलून और नप्ताली के भी हाकिम हैं।।
27. সেখানে আছেন তাহাদের শাসক কনিষ্ঠ বিন্যামীন, যিহূদার অধ্যক্ষগণ ও তাহাদের জনগণ, সবূলূনের অধ্যক্ষগণ, নপ্তালির অধ্যক্ষগণ।
28. तेरे परमेश्वर ने आज्ञा दी, कि तुझे सामर्थ्य मिले; हे परमेश्वर जो कुछ तू ने हमारे लिये किया है, उसे दृढ़ कर।
28. তোমার ঈশ্বর তোমার পরাক্রমের আজ্ঞা দিয়াছেন, হে ঈশ্বর, তুমি আমাদের নিমিত্ত যাহা সাধন করিয়াছ, তাহা পরাক্রান্ত কর।
29. तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं, राजा तेरे लिये भेंट ले आएंगे।
29. যিরূশালেমে তোমার মন্দির আছে বলিয়া, রাজগণ তোমার উদ্দেশে উপহার আনিবেন।
30. नरकटों में रहनेवाले बनैले पशुओं को, सांड़ों के झुण्ड को और देश देश के बछड़ों को झिड़क दे। वे चान्दी के टुकड़े लिये हुए प्रणाम करेंगे; जो लोगे युद्ध से प्रसन्न रहते हैं, उनको उस ने तितर बितर किया है।
30. তুমি নলবনের বন্যপশুকে ভর্ৎসনা কর, বৃষদের মণ্ডলীকে ও জাতিগণের গোবৎসদিগকে ভর্ৎসনা কর; তাহারা প্রত্যেকে রৌপ্যের থান লইয়া পদতলস্থ হউক; যে যে জাতি যুদ্ধ ভালবাসে, তিনি তাহাদিগকে ছিন্নভিন্ন করিলেন।
31. मि से रईस आएंगे; कूशी अपने हाथों को परमेश्वर की ओर फुर्ती से फैलाएंगे।।
31. মিসর হইতে প্রধান প্রধান লোক আসিবে; কূশ শীঘ্র ঈশ্বরের কাছে কৃতাঞ্জলি হইবে।
32. हे पृथ्वी पर के राज्य राज्य के लोगों परमेश्वर का गीत गाओ; प्रभु का भजन गाओ,
32. হে পৃথিবীর রাজ্য সকল, ঈশ্বরের উদ্দেশে গীত গাও; সেই প্রভুর প্রশংসা গান কর, সেলা।
33. जो सब से ऊंचे सनातन स्वर्ग में सवार होकर चलता है; देखो वह अपनी वाणी सुनाता है, वह गम्भीर वाणी शक्तिशाली है।
33. যিনি আদিকালীয় স্বর্গের স্বর্গ দিয়া রথারোহণে গমন করেন; দেখ, তিনি আপন রব, পরাক্রান্ত রব ছাড়েন।
34. परमशॆवर की सामर्थ्य की स्तुति करो, उसका प्रताप इस्राएल पर छाया हुआ है, और उसकी सामर्थ्य आकाशमण्डल में है।
34. ঈশ্বরের পরাক্রম কীর্ত্তন কর; তাঁহার মহিমা ইস্রায়েলের উপরে, তাঁহার পরাক্রম আকাশমণ্ডলে রহিয়াছে।
35. हे परमेश्वर, तू अपने पवित्रास्थानों में भययोग्य है, इस्राएल का ईश्वर ही अपनी प्रजा को सामर्थ्य और शक्ति का देनेवाला है। परमेश्वर धन्य है।।2 थिस्सलुनीकियों 1:10
35. হে ঈশ্বর, তুমি তোমার ধর্ম্মধামে ভয়াবহ; ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তিনিই আপন প্রজাদিগকে পরাক্রম ও শক্তি দেন। ধন্য ঈশ্বর।