16. परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जय जयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है।
16. But, I, will sing thy power, And will shout aloud, in the morning, thy lovingkindness, For thou has become a refuge for me, And a place to flee to in the day of my distress.