Psalms - भजन संहिता 49 | View All

1. हे देश देश के सब लोगों यह सुनो! हे संसार के सब निवासियों, कान लगाओ!

1. A psalm for Asaph. The God of gods, the Lord hath spoken: and he hath called the earth. From the rising of the sun, to the going down thereof:

2. क्या ऊंच, क्या नीच क्या धनी, क्या दरिद्र, कान लगाओ!

2. Out of Sion the loveliness of his beauty.

3. मेरे मुंह से बुद्धि की बातें निकलेंगी; और मेरे हृदय की बातें समझ की होंगी।

3. God shall come manifestly: our God shall come, and shall not keep silence. A fire shall burn before him: and a mighty tempest shall be round about him.

4. मैं नीतिवचन की ओर अपना कान लगाऊंगा, मैं वीणा बजाते हुए अपनी गुप्त बात प्रकाशित करूंगा।।

4. He shall call heaven from above, and the earth, to judge his people.

5. विपत्ति के दिनों में जब मैं अपने अड़ंगा मारनेवालों की बुराइयों से घिरूं, तब मैं क्यों डरूं?

5. Gather ye together his saints to him: who set his covenant before sacrifices.

6. जो अपनी सम्पत्ति पर भरोसा रखते, और अपने धन की बहुतायत पर फूलते हैं,

6. And the heavens shall declare his justice: for God is judge.

7. उन में से कोई अपने भाई को किसी भांति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसकी सन्ती प्रायश्चित्त में कुछ दे सकता है,

7. Hear, O my people, and I will speak: O Israel, and I will testify to thee: I am God, thy God.

8. (क्योंकि उनके प्राण की छुड़ौती भारी है वह अन्त तक कभी न चुका सकेंगे)।

8. I will not reprove thee for thy sacrifices: and thy burnt offerings are always in my sight.

9. कोई ऐसा नहीं जो सदैव जीवित रहे, और कब्र को न देखे।।

9. I will not take calves out of thy house: nor he goats out of thy flocks.

10. क्योंकि देखने में आता है, कि बुद्धिमान भी मरते हैं, और मूर्ख और पशु सरीखे मनुष्य भी दोनों नाश होते हैं, और अपनी सम्पत्ति औरों के लिये छोड़ जाते हैं।

10. For all the beasts of the woods are mine: the cattle on the hills, and the oxen.

11. वे मन ही मन यह सोचते हैं, कि उनका घर सदा स्थिर रहेगा, और उनके निवास पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे; इसलिये वे अपनी अपनी भूमि का नाम अपने अपने नाम पर रखते हैं।

11. I know all the fowls of the air: and with me is the beauty of the field.

12. परन्तु मनुष्य प्रतिष्ठा पाकर भी स्थिर नहीं रहता, वह पशुओं के समान होता है, जो मर मिटते हैं।।

12. If I should be hungry, I would not tell thee: for the world is mine, and the fulness thereof.

13. उनकी यह चाल उनकी मूर्खता है, तौभी उनके बाद लोग उनकी बातों से प्रसन्न होते हैं।

13. Shall I eat the flesh of bullocks? or shall I drink the blood of goats?

14. वे अधोलोक की मानों भेड़- बकरियां ठहराए गए हैं; मृत्यु उनका गड़ेरिया ठहरी; और बिहान को सीधे लोग उन पर प्रभुता करेंगे; और उनका सुन्दर रूप अधोलोक का कौर हो जाएगा और उनका कोई आधार न रहेगा।

14. Offer to God the sacrifice of praise: and pay thy vows to the most High.

15. परन्तु परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, क्योंकि वही मुझे ग्रहण कर अपनाएगा।।

15. And call upon me in the day of trouble: I will deliver thee, and thou shalt glorify me.

16. जब कोई धनी हो जाए और उसके घर का विभव बढ़ जाए, तब तू भय न खाना।

16. But to the sinner God hath said: Why dost thou declare my justices, and take my covenant in thy mouth?

17. क्योंकि वह मर कर कुछ भी साथ न ले जाएगा; न उसका विभव उसके साथ कब्र में जाएगा।

17. Seeing thou hast hated discipline: and hast cast my words behind thee.

18. चाहे वह जीते जी अपने आप को धन्य कहता रहे, (जब तू अपनी भलाई करता है, तब वे लोग तेरी प्रशंसा करते हैं)

18. If thou didst see a thief thou didst run with him: and with adulterers thou hast been a partaker.

19. तौभी वह अपने पुरखाओं के समाज में मिलाया जाएगा, जो कभी उजियाला न देखेंगे।

19. Thy mouth hath abounded with evil, and thy tongue framed deceits.

20. मनुष्य चाहे प्रतिष्ठित भी हों परन्तु यदि वे समझ नहीं रखते, तो वे पशुओं के समान हैं जो मर मिटते हैं।।

20. Sitting thou didst speak against thy brother, and didst lay a scandal against thy mother's son:



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