6. और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
6. And, if he have come to see me, Falsehood, doth he speak, His own heart, gathereth iniquity to itself, he goeth forth, abroad he telleth it.