Psalms - भजन संहिता 31 | View All

1. हे यहोवा मेरा भरोसा तुझ पर है; मुझे कभी लज्जित होना न पड़े; तू अपने धर्मी होने के कारण मुझै छुड़ा ले!

1. In Thee, O LORD, do I put my trust; let me never be ashamed; deliver me in Thy righteousness.

2. अपना कान मेरी ओर लगाकर तुरन्त मुझे छुड़ा ले!

2. Bow down Thine ear to me, deliver me speedily; be Thou my strong rock, a house of defense to save me.

3. क्योंकि तू ने मेरे लिये चट्टान और मेरा गढ़ है; इसलिये अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई कर, और मुझे आगे ले चल।

3. For Thou art my rock and my fortress; therefore for the sake of Thy name, lead me and guide me.

4. जो जाल उन्हों ने मेरे लिये बिछाया है उस से तू मुझ को छुड़ा ले, क्योंकि तू ही मेरा दृढ़ गढ़ है।

4. Pull me out of the net that they have laid privily for me, for Thou art my strength.

5. मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूं; हे यहोवा, हे सत्यवादी ईश्वर, तू ने मुझे मोल लेकर मुक्त किया है।।
लूका 23:46, प्रेरितों के काम 7:59, 1 पतरस 4:19

5. Into Thine hand I commit my spirit; Thou hast redeemed me, O LORD God of truth.

6. जो व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, उन से मैं घृणा करता हूं; परन्तु मेरा भरोसा यहोवा ही पर है।

6. I have hated them that have regard for lying vanities; but I trust in the LORD.

7. मैं तेरी करूणा से मगन और आनन्दित हूं, क्योंकि तू ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है, मेरे कष्ट के समय तू ने मेरी सुधि ली है,

7. I will be glad and rejoice in Thy mercy, for Thou hast considered my trouble. Thou hast known my soul in adversities,

8. और तू ने मुझे शत्रु के हाथ में पड़ने नहीं दिया; तू ने मेरे पांवों को चौड़े स्थान में खड़ा किया है।।

8. And hast not delivered me into the hands of the enemy; Thou hast set my feet in a large room.

9. हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर क्योंकि मैं संकट में हूं; मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं।

9. Have mercy upon me, O LORD, for I am in trouble; mine eye is consumed with grief, yea, my soul and my belly.

10. मेरा जीवन शोक के मारे और मेरी अवस्था कराहते कराहते घट चली है; मेरा बल मेरे अधर्म के कारण जाता रह, ओर मेरी हडि्डयां घुल गई।।

10. For my life is spent with grief, and my years with sighing; my strength faileth because of mine iniquity, and my bones are consumed.

11. अपने सब विरोधियों के कारण मेरे पड़ोसियों में मेरी नामधराई हुई है, अपने जानपहिचानवालों के लिये डर का कारण हूं; जो मुझ को सड़क पर देखते है वह मुझ से दूर भाग जाते हैं।

11. I am a reproach among all mine enemies, but especially among my neighbors, and a fear to mine acquaintances; they that see me in the streets flee from me.

12. मैं मृतक की नाई लोगों के मन से बिसर गया; मैं टूटे बासन के समान हो गया हूं।

12. I am forgotten as a dead man, out of mind; I am like a broken vessel.

13. मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना, चारों ओर भय ही भय है! जब उन्हों ने मेरे विरूद्ध आपस में सम्मति की तब मेरे प्राण लेने की युक्ति की।।

13. For I have heard the slander of many; fear was on every side; while they took counsel together against me, they schemed to take away my life.

14. परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है।

14. But I have trusted in Thee, O LORD; I said, 'Thou art my God.'

15. मेरे दिन तेरे हाथ में है; तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सतानेवालों के हाथ से छुडा।

15. My times are in Thy hand; deliver me from the hand of mine enemies and from them that persecute me.

16. अपने दास पर अपने मुंह का प्रकाश चमका; अपनी करूणा से मेरा उद्धार कर।।

16. Make Thy face to shine upon Thy servant; save me for Thy mercies' sake.

17. हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे क्योंकि मैं ने तुझ को पुकारा है; दुष्ट लज्जित हों और वे पाताल में चुपचाप पड़े रहें।

17. Let me not be ashamed, O LORD, for I have called upon Thee; let the wicked be ashamed, and let them be silent in the grave.

18. जो अंहकार और अपमान से धर्मी की निन्दा करते हैं, उनके झूठ बोलनेवाले मुंह बन्द किए जाएं।।

18. Let the lying lips be put to silence, which speak grievous things proudly and contemptuously against the righteous.

19. आहा, तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है, और अपने शरणागतों के लिये मनुष्यों के साम्हने प्रगट भी की है!

19. O how great is Thy goodness which Thou hast laid up for them that fear Thee, which Thou hast wrought for them that trust in Thee before the sons of men!

20. तू उन्हें दर्शन देने के गुप्तस्थान में मनुष्यों की बुरी गोष्ठी से गुप्त रखेगा; तू उनको अपने मण्डप में झगड़े- रगड़े से छिपा रखेगा।।

20. Thou shalt hide them in the safety of Thy presence from the pride of man; Thou shalt keep them secretly in a pavilion from the strife of tongues.

21. यहोवा धन्य है, क्योंकि उस ने मुझे गढ़वाले नगर में रखकर मुझ पर अद्धभुत करूणा की है।

21. Blessed be the LORD, for He hath shown me His marvelous kindness in a stronghold city!

22. मैं ने तो घबराकर कहा था कि मैं यहोवा की दृष्टि से दूर हो गया। तौभी जब मैं ने तेरी दोहाई दी, तब तू ने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुन लिया।।

22. For I said in my haste, 'I am cut off from before Thine eyes!' Nevertheless Thou heard the voice of my supplications when I cried unto Thee.

23. हे यहोवा के सब भक्तों उस से प्रेम रखो! यहोवा सच्चे लोगों की तो रक्षा करता है, परन्तु जो अहंकार करता है, उसको वह भली भांति बदला देता है।

23. O love the LORD, all ye His saints! For the LORD preserveth the faithful, but plentifully rewardeth the proud doer.

24. हे यहोवा पर आशा रखनेवालों हियाव बान्धों और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें!
1 कुरिन्थियों 16:13

24. Be of good courage, and He shall strengthen your heart, all ye that hope in the LORD.



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