Psalms - भजन संहिता 147 | View All

1. याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है।

1. Praise ye the Lord, for it is good to sing vnto our God: for it is a pleasant thing, and praise is comely.

2. यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।

2. The Lord doth builde vp Ierusalem, and gather together the dispersed of Israel.

3. वह खेदित मनवालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।

3. He healeth those that are broken in heart, and bindeth vp their sores.

4. वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।

4. He counteth the nomber of the starres, and calleth them all by their names.

5. हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।

5. Great is our Lord, and great is his power: his wisdome is infinite.

6. यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है।।

6. The Lord relieueth the meeke, and abaseth the wicked to the ground.

7. धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।

7. Sing vnto the Lord with prayse: sing vpon the harpe vnto our God,

8. वह आकाश को मेघों से छा देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह की तैयारी करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है।
प्रेरितों के काम 14:17

8. Which couereth the heauen with cloudes, and prepareth raine for the earth, and maketh the grasse to growe vpon the mountaines:

9. वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।
लूका 12:24

9. Which giueth to beasts their foode, and to the yong rauens that crie.

10. न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरूष के पैरों से प्रसन्न होता है;

10. He hath not pleasure in the strength of an horse, neither delighteth he in the legs of man.

11. यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात् उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं।।

11. But the Lord deliteth in them that feare him, and attende vpon his mercie.

12. हे यरूशलेम, यहोवा की प्रशंसा कर! हे सिरयोन, अपने परमेश्वर की स्तुति कर!

12. Prayse the Lord, O Ierusalem: prayse thy God, O Zion.

13. क्योंकि उस ने तेरे फाटकों के खम्भों को दृढ़ किया है; और तेरे लड़के बालों को आशीष दी है।

13. For he hath made the barres of thy gates strong, and hath blessed thy children within thee.

14. और तेरे सिवानों में शान्ति देता है, और तुझ को उत्तम से उत्तम गेहूं से तृप्त करता है।

14. He setteth peace in thy borders, and satisfieth thee with the floure of wheate.

15. वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा का प्रचार करता है, उसका वचन अति वेग से दौड़ता है।

15. He sendeth foorth his commandement vpon earth, and his worde runneth very swiftly.

16. वह ऊन के समान हिम को गिराता है, और राख की नाईं पाला बिखेरता है।

16. He giueth snowe like wooll, and scattereth the hoare frost like ashes.

17. वह बर्फ के टुकड़े गिराता है, उसकी की हुई ठण्ड को कौन सह सकता है?

17. He casteth foorth his yce like morsels: who can abide the colde thereof?

18. वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है; वह वायु बहाता है, तब जल बहने लगता है।
प्रेरितों के काम 10:36

18. He sendeth his worde and melteth them: he causeth his winde to blowe, and the waters flowe.

19. वह याकूब को अपना वचन, और इस्राएल को अपनी विधियां और नियम बताता है।
रोमियों 3:2

19. He sheweth his word vnto Iaakob, his statutes and his iudgements vnto Israel.

20. किसी और जाति से उस ने ऐसा बर्ताव नहीं किया; और उसके नियमों को औरों ने नहीं जाता।। याह की स्तुति करो।
रोमियों 3:2

20. He hath not dealt so with euery nation, neither haue they knowen his iudgements. Prayse ye the Lord.



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