Nehemiah - नहेम्याह 9 | View All

1. फिर उसी महीने के चौबीसवें दिन को इस्राएली उपवास का टाट पहिने और सिर पर धूल डाले हुए, इकट्ठे हो गए।

1. আর ঐ মাসের চতুর্ব্বিংশ দিনে ইস্রায়েল-সন্তানগণ উপবাস, চটপরিধান ও মস্তকে মৃত্তিকা অর্পণ করিয়া একত্র হইল।

2. तब इस्राएल के वंश के लोग सब अन्यजाति लोगों से अलग हो गए, और खड़े होकर, अपने अपने पापों और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों को मान लिया।

2. আর ইস্রায়েল-বংশ সমস্ত বিজাতীয় লোক হইতে আপনাদিগকে পৃথক্‌ করিল, এবং দাঁড়াইয়া আপনাদের পাপ ও আপনাদের পিতৃপুরুষদের অপরাধ স্বীকার করিল।

3. तब उन्हों ने अपने अपने स्थान पर खड़े होकर दिन के एक पहर तक अपने परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक पढ़ते, और एक और पहर अपने पापों को मानते, और अपने परमेश्वर यहोवा को दणडवत करते रहे।

3. আর তাহারা আপন আপন স্থানে দাঁড়াইল ও দিনের চতুর্থাংশ পর্য্যন্ত আপনাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর ব্যবস্থা-পুস্তক পাঠ করিল, পরে দিনের [আর এক] চতুর্থাংশ পর্য্যন্ত আপনাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর কাছে পাপ স্বীকার ও প্রণিপাত করিল।

4. और येशू, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी ने लेवियों की सीढ़ी पर खड़े होकर ऊंचे स्वर से अपने परमेश्वर यहोवा की दोहाई दी।

4. আর যেশূয় ও বানি, কদ্‌মীয়েল, শবনিয়, বুন্নি, শেরেবিয়, বানি, কনানী, ইহারা লেবীয়দের সোপানে দাঁড়াইয়া আপনাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর কাছে উচ্চৈঃস্বরে ক্রন্দন করিল।

5. फिर येशू, कदमीएल, बानी, हशब्नयाह, शेरेब्याह, होदिरयाह, शबन्याह, और पतह्माह नाम लेवियों ने कहा, खड़े हो; अपने परमेश्वर यहोवा को अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य कहो। तेरा महिमायुक्त नाम धन्य कहा जाए, जो सब धन्यवाद और स्तुति से परे है।

5. পরে যেশূয় ও কদ্‌মীয়েল, বানি, হশব্‌নিয়, শেরেবিয়, হোদিয়, শবনিয়, পথাহিয়, এই কয়েক জন লেবীয় এই কথা কহিল, উঠ; তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর ধন্যবাদ কর, যিনি অনাদিকাল হইতে অনন্তকাল পর্য্যন্ত [ধন্য]। তোমার প্রতাপান্বিত নামের ধন্যবাদ হউক, যাহা যাবতীয় ধন্যবাদ ও প্রশংসার অতীত।

6. तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन सब से ऊंचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उस में है, और समुद्र और जो कुछ उस में है, सभों को तू ही ने बनाया, और सभों की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दणडवत करती हैं।
प्रकाशितवाक्य 10:5

6. কেবলমাত্র তুমিই সদাপ্রভু; তুমি স্বর্গ ও স্বর্গের স্বর্গ এবং তাহার সমস্ত বাহিনী, পৃথিবী ও তথাকার সমস্ত এবং সমুদ্র ও তন্মধ্যস্থ সমস্ত নির্ম্মাণ করিয়াছ, আর তুমি তাহাদের সকলের স্থিতি করিতেছ, এবং স্বর্গের বাহিনী তোমার কাছে প্রণিপাত করে।

7. हे यहोवा ! तू वही परमेश्वर है, जो अब्राहाम को चुनकर कसदियों के ऊर नगर में से निकाल लाया, और उसका नाम इब्राहीम रखा;

7. তুমিই সদাপ্রভু ঈশ্বর; তুমি অব্রামকে মনোনীত করিয়াছিলে, কল্‌দীয় দেশের ঊর হইতে বাহির করিয়া আনিয়াছিলে, ও তাঁহার নাম অব্রাহাম রাখিয়াছিলে;

8. और उसके मन को अपने साथ सच्चा पाकर, उस से वाचा बान्धी, कि मैं तेरे वंश को कनानियों, हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, यबूसियों, और गिर्गाशियों का देश दूंगा; और तू ने अपना वह वचन पूरा भी किया, क्योंकि तू धम है।

8. এবং আপনার সাক্ষাতে তাঁহার অন্তঃকরণ বিশ্বস্ত দেখিয়া কনানীয়, হিত্তীয়, ইমোরীয়, পরিষীয়, যিবূষীয় ও গির্গাশীয়ের দেশ তাঁহার বংশকে দিবার জন্য, তাঁহার সহিত নিয়ম করিয়াছিলে, আর তুমি আপনার বাক্য অটল রাখিয়াছ, কেননা তুমি ধর্ম্মময়।

9. फिर तू ने मिस्र में हमारे पुरखाओं के दु:ख पर दृष्टि की; और लाल समुद्र के तट पर उनकी दोहाई सुनी।

9. আর তুমি মিসরে আমাদের পিতৃপুরুষদের দুঃখ দেখিয়াছিলে, ও সূফসাগরের তীরে তাহাদের ক্রন্দন শুনিয়াছিলে;

10. और फ़िरौन और उसके सब कर्मचारी वरन उसके देश के सब लोगों को दणड देने के लिये चिन्ह और चमत्कार दिखाए; क्योंकि तू जानता था कि वे उन से अभिमान करते हैं; और तू ने अपना ऐसा बड़ा नाम किया, जैसा आज तक वर्तमान है।

10. এবং ফরৌণে, তাঁহার সমস্ত দাসগণে ও তাঁহার দেশের প্রজা সকলে নানা চিহ্ন ও অদ্ভুত লক্ষণ দেখাইয়াছিলে; কেননা তুমি জানিতে যে, মিস্রীয়েরা তাহাদের বিরুদ্ধে গর্ব্ব করিত; ইহাতে তুমি আপনার নাম প্রতিষ্ঠিত করিলে, যেমন অদ্য রহিয়াছে।

11. और तू ने उनके आगे समुद्र को ऐसा दो भाग किया, कि वे समुद्र के बीच स्थल ही स्थल चलकर पार हो गए; और जो उनके पीछे पड़े थे, उनको तू ने गहिरे स्थानों में ऐसा डाल दिया, जैसा पत्थ्र महाजलराशि में डाला जाए।

11. আর তুমি তাহাদের সম্মুখে সমুদ্রকে দ্বিভাগ করিলে, তাহাতে তাহারা সমুদ্রের মধ্যস্থলে শুষ্ক পথ দিয়া অগ্রসর হইল; কিন্তু প্রবল জলে যেমন প্রস্তর, তেমনি তুমি তাহাদের পশ্চাদ্ধাবনকারী লোকদিগকে অগাধ জলে নিক্ষেপ করিলে।

12. फिर तू ने दिन को बादल के खम्भे में होकर और रात को आग के खम्भे में होकर उनकी अगुआई की, कि जिस मार्ग पर उन्हें चलना था, उस में उनको उजियाला मिले।

12. আর তুমি দিবসে মেঘস্তম্ভ দ্বারা, ও রাত্রিতে তাহাদের গন্তব্য পথে দীপ্তি দিবার জন্য অগ্নিস্তম্ভ দ্বারা তাহাদিগকে গমন করাইতে।

13. फिर तू ने सीनै पर्वत पर उतरकर आकाश में से उनके साथ बातें की, और उनको सीधे नियम, सच्ची व्यवस्था, और अच्छी विधियां, और आज्ञाएं दीं।

13. তুমি সীনয় পর্ব্বতের উপরে নামিয়া আসিলে, স্বর্গ হইতে তাহাদের সহিত কথা বলিলে, আর যথার্থ শাসন, সত্য ব্যবস্থা, উত্তম বিধি ও আজ্ঞা তাহাদিগকে দিলে;

14. और उन्हें अपने पवित्रा विश्राम दिन का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा के द्वारा आज्ञाएं और विधियां और व्यवस्था दीं।

14. এবং আপনার পবিত্র বিশ্রামবার তাহাদিগকে জ্ঞাত করিলে, এবং আপন দাস মোশি দ্বারা তাহাদিগকে আজ্ঞা, বিধি ও ব্যবস্থা দিলে;

15. और उनकी भूख मिटाने को आकाश से उन्हें भोजन दिया और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिये पानी निकाला, और उन्हें आज्ञा दी कि जिस देश को तुम्हें देने की मैं ने शपथ खाई है उसके अधिकारी होने को तुम उस में जाओ।
यूहन्ना 6:31

15. আর তাহাদের ক্ষুধা নিবারণার্থে স্বর্গ হইতে তাহাদিগকে ভক্ষ্য দিলে, ও তাহাদের পিপাসা নিবারণার্থে শৈল হইতে জল বাহির করিলে; আর তুমি তাহাদিগকে যে দেশ দিবার জন্য হস্ত উত্তোলন করিয়াছিলে, তাহা অধিকার করণার্থে তথায় প্রবেশ করিতে আজ্ঞা দিলে।

16. परन्तु उन्हों ने और हमारे पुरखाओं ने अभिमान किया, और हठीले बने और तेरी आज्ञाएं न मानी;

16. তথাপি তাহারা ও আমাদের পিতৃপুরুষেরা গর্ব্ব করিল, আপন আপন গ্রীবা শক্ত করিল, এবং তোমার আজ্ঞায় কর্ণপাত করিল না;

17. और आज्ञा मनने से इनकार किया, और जो आश्चर्यकर्म तू ने उनके बीच किए थे, उनका स्मरण न किया, वरन हठ करके यहां तक बलवा करनेवाले बने, कि एक प्रधान ठहराया, कि अपने दासत्व की दशा में लौटे। परन्तु तू क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अतिकरूणामय ईश्वर है, तू ने उनको न त्यागा।

17. আর তাহারা কথা শুনিতে অস্বীকার করিল, এবং তুমি তাহাদের মধ্যে যে সকল অদ্ভুত কার্য্য করিয়াছিলে, তাহা স্মরণে রাখিল না, কিন্তু আপন আপন গ্রীবা শক্ত করিল, দাসত্বে ফিরিয়া যাইবার নিমিত্তে বিদ্রোহভাবে এক সেনাপতিকে নিযুক্ত করিল; কিন্তু তুমি ক্ষমাবান্‌ ঈশ্বর, কৃপাময় ও স্নেহশীল, ক্রোধে ধীর ও দয়াতে মহান্‌, তাই তাহাদিগকে ত্যাগ করিলে না।

18. वरन जब दन्हों ने बछड़ा ढालकर कहा, कि तुम्हारा परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है, और तेरा बहुत तिरस्कार किया,

18. এমন কি, তাহারা যখন আপনাদের জন্য ছাঁচে ঢালা এক গোবৎস নির্ম্মাণ করিল, এবং বলিল, এই তোমার দেবতা, যিনি মিসর হইতে তোমাকে বাহির করিয়া আনিয়াছেন, এইরূপে যখন মহা অসন্তোষকর কার্য্য করিল,

19. तब भी तू जो अति दयालु है, उनको जंगल में न त्यागा; न तो दिन को अगुआई करनेवाला बादल का खम्भा उन पर से हटा, और न रात को उजियाला देनेवाला और उनका मार्ग दिखानेवाला आग का खम्भा।

19. তখনও তুমি আপন প্রচুর করুণা প্রযুক্ত প্রান্তরে তাহাদিগকে ত্যাগ করিলে না; দিবসে তাহাদের পথ দেখাইবার জন্য মেঘস্তম্ভ, এবং রাত্রিতে গন্তব্য পথে দীপ্তি দিবার জন্য অগ্নিস্তম্ভ তাহাদের উপর হইতে সরিয়া গেল না।

20. वरन तू ने उन्हें समझाने के लिये अपने आत्मा को जो भला है दिया, और अपना मान्ना उन्हें खिलाना न छोड़ा, और उनकी प्यास बुझाने को पानी देता रहा।

20. আর তুমি শিক্ষা দিবার জন্য আপন মঙ্গলময় আত্মা তাহাদিগকে দান করিলে, এবং তাহাদের মুখ হইতে তোমার মান্না নিবৃত্ত করিলে না, ও তাহাদিগকে পিপাসা নিবারণার্থে জল দিলে।

21. चालीस वर्ष तक तू जंगल में उनका ऐसा पालन पोषण करता रहा, कि उनको कुछ घटी न हुई; न तो उनके वस्त्रा पुराने हुए और न उनके पांव में सूजन हुई।

21. আর চল্লিশ বৎসর পর্য্যন্ত প্রান্তরে তাহাদিগকে প্রতিপালন করিলে, তাহাদের অভাব হইল না; তাহাদের বস্ত্র জীর্ণ হইল না, ও তাহাদের পা ফুলিল না।

22. फिर तू ने राज्य राज्य और देश देश के लोगों को उनके वश में कर दिया, और दिशा दिशा में उनको बांट दिया; यों वे हेशबोन के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग दोनों के देशों के अधिकारी हो गए।

22. পরে তুমি তাহাদিগকে নানা রাজ্য ও নানা জাতি প্রদান করিয়া সর্ব্বদিকে তাহাদের অংশ নিরূপণ করিলে; তাহাতে তাহারা সীহোনের দেশ, অর্থাৎ হিষ্‌বোণের রাজার দেশ ও বাশন-রাজ ওগের দেশ অধিকার করিল।

23. फिर तू ने उनकी सन्तान को आकाश के तारों के समान बढ़ाकर उन्हें उस देश में पहुंचा दिया, जिसके विषय तू ने उनके पूर्वजों से कहा था; कि वे उस में जाकर उसके अधिकारी हो जाएंगे।

23. আর তুমি তাহাদের সন্তানদিগকে আকাশের তারার ন্যায় বহুসংখ্যক করিলে, এবং সেই দেশে তাহাদিগকে আনিলে, যে দেশের বিষয়ে তুমি তাহাদের পিতৃপুরুষদের কাছে বলিয়াছিলে যে, তাহারা তাহা অধিকার করিবার জন্য তথায় প্রবেশ করিবে।

24. सो यह सन्तान जाकर उसकी अधिकारिन हो गई, और तू ने उनके द्वारा देश के निवासी कनानियों को दबाया, और राजाओं और देश के लोगों समेत उनको, उनके हाथ में कर दिया, कि वे उन से जो चाहें सो करें।

24. পরে সেই সন্তানগণ সেই দেশে প্রবেশ করিয়া তাহা অধিকার করিল, এবং তুমি সেই দেশনিবাসী কনানীয়দিগকে তাহাদের সম্মুখে নত করিলে, এবং উহাদিগকে ও উহাদের রাজগণকে ও দেশস্থ সকল জাতিকে তাহাদের হস্তে সমর্পণ করিলে, উহাদের প্রতি যাহা ইচ্ছা তাহা করিতে দিলে।

25. और उन्हों ने गढ़वाले नगर और उपजाऊ भूमि ले ली, और सब भांति की अच्छी वस्तुओं से भरे हुए घरों के, और खुदे हुए हौदों के, और दाख और जलपाई बारियों के, और खाने के फलवाले बहुत से वृक्षों के अधिकारी हो गए; वे उसे खा खाकर तृप्त हुए, और हृष्ट- पुष्ट हो गए, और तेरी बड़ी भलाई के कारण सुख भोगते रहे।

25. তাহাতে তাহারা প্রাচীরবেষ্টিত অনেক নগর ও উর্ব্বরা ভূমি লইল, এবং সমুদয় উত্তম দ্রব্যে পরিপূর্ণ গৃহ, খনিত কূপ, দ্রাক্ষাক্ষেত্র, জিতক্ষেত্র ও প্রচুর ফলবৃক্ষ অধিকার করিল, এবং ভোজন করিয়া তৃপ্ত ও পুষ্ট হইল, এবং তোমার কৃত মহা মঙ্গলে আপ্যায়িত হইল।

26. परन्तु वे तुझ से फिरकर बलवा करनेवाले बन गए और तेरी व्यवस्था को त्याग दिया, और तेरे जो नबी तेरी ओर उन्हें फेरने के लिये उनको चिताते रहे उनको उन्हों ने घात किया, और तेरा बहुत तिरस्कार किया।

26. তথাপি তাহারা অবাধ্য হইয়া তোমার বিরুদ্ধে বিদ্রোহাচরণ করিল, তোমার ব্যবস্থা পশ্চাৎ দিকে ফেলিল, এবং তোমার যে ভাববাদিগণ তোমার প্রতি তাহাদিগকে ফিরাইবার জন্য তাহাদের বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিতেন, তাঁহাদিগকে বধ করিল, ও মহা অসন্তোষকর কার্য্য করিল।

27. इस कारण तू ने उनको उनके शत्रुओं के हाथ में कर दिया, और उन्हों ने उनको संकट में डाल दिया; तौभी जब जब वे संकट में पड़कर तेरी दोहाई देते रहे तब तब तू स्वर्ग से उनकी सुनता रहा; और तू जो अतिदयालु है, इसलिये उनके छुड़ानेवाले को भेजता रहा जो उनको शत्रुओं के हाथ से छुड़ाते थे।

27. পরে তুমি তাহাদিগকে বিপক্ষদের হস্তে সমর্পণ করিলে তাহারা তাহাদিগকে কষ্ট দিল; কিন্তু কষ্টের সময়ে যখন তাহারা তোমার কাছে কাঁদিত, তখন তুমি স্বর্গ হইতে তাহা শুনিতে, এবং তোমার প্রচুর করুণা প্রযুক্ত তাহাদিগকে নিস্তারকর্ত্তৃগণ দিতে, যাঁহারা বিপক্ষদের হস্ত হইতে তাহাদিগকে নিস্তার করিতেন।

28. परन्तु जब जब उनको चैन मिला, तब तब वे फिर तेरे साम्हने बुराई करते थे, इस कारण तू उनको शत्रुओं के हाथ में कर देता था, और वे उन पर प्रभुता करते थे; तौभी जब वे फिरकर तेरी दोहाई देते, तब तू स्वर्ग से उनकी सुनता और तू जो दयालु है, इसलिये बार बार उनको छुड़ाता,

28. তথাপি বিশ্রাম পাইলে পর তাহারা আবার তোমার সাক্ষাতে কদাচারণ করিত, তাহাতে তুমি তাহাদিগকে শত্রুহস্তে সমর্পণ করিতে, এবং সেই শত্রুগণ তাহাদের উপরে কর্ত্তৃত্ব করিত; কিন্তু তাহারা ফিরিলে ও তোমার কাছে ক্রন্দন করিলে তুমি স্বর্গ হইতে তাহা শুনিতে; এবং আপন করুণানুসারে অনেক বার তাহাদিগকে উদ্ধার করিতে;

29. और उनको जिताता था कि उनको फिर अपनी व्यवस्था के अधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएं नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिनको यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरूद्ध पाप करते, और हठ करके अपना कन्धा हटाते और न सुनते थे।

29. আর আপন ব্যবস্থা-পথে তাহাদিগকে ফিরাইয়া আনিবার নিমিত্তে তাহাদের বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিতে; তথাপি তাহারা গর্ব্ব করিল, ও তোমার আজ্ঞায় কর্ণপাত করিত না, কিন্তু যাহা পালন করিলে মনুষ্য বাঁচে, তোমার সেই সকল শাসনের প্রতিকূলে পাপ করিত, ও স্কন্ধ সরাইত, গ্রীবা শক্ত করিত, কথা শুনিত না।

30. तू तो बहुत वर्ष तक उनकी सहता रहा, और अपने आत्मा से नबियों के द्वारा उन्हें चिताता रहा, परन्तु वे कान नहीं लगाते थे, इसलिये तू ने उन्हें देश देश के लोगों के हाथ में कर दिया।

30. তথাপি তুমি বহু বৎসর তাহাদের ব্যবহার সহ্য করিলে ও তোমার ভাববাদিগণের দ্বারা তোমার আত্মাকর্ত্তৃক তাহাদের বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিলে; কিন্তু তাহারা কর্ণপাত করিল না, তজ্জন্য তুমি তাহাদিগকে নানাদেশীয় জাতিগণের হস্তে সমর্পণ করিলে।

31. तौभी तू ने जो अतिदयालु है, उनका अन्त नहीं कर डाला और न उनको त्याग दिया, क्योंकि तू अनुग्रहकारी और दयालु ईश्वर है।

31. তথাপি তোমার প্রচুর করুণা প্রযুক্ত তাহাদিগকে নিঃশেষ কর নাই ও ত্যাগ কর নাই, কারণ তুমি কৃপাময় ও স্নেহশীল ঈশ্বর।

32. अब तो हे हमारे परमेश्वर ! हे महान पराक्रमी और भययोग्य ईश्वर ! जो अपनी वाचा पालता और करूणा करता रहा है, जो बड़ा कष्ट, अश्शूर के राजाओं के दिनों से ले आज के दिन तक हमें और हमारे राजाओं, हाकिमों, याजकों, नबियों, पुरखाओं, वरन तेरी समस्त प्रजा को भोगना पड़ा है, वह तेरी दृष्टि में थोड़ा न ठहरे।

32. অতএব, হে আমাদের ঈশ্বর, মহান্‌, বিক্রান্ত ও ভয়ঙ্কর ঈশ্বর, তুমি নিয়ম ও দয়া পালন করিয়া থাক; অশূর-রাজগণের সময়াবধি অদ্য পর্য্যন্ত আমাদের উপরে, আমাদের রাজাদের, অধ্যক্ষদের, যাজকদের ভাববাদীদের, পিতৃপুরুষদের ও তোমার সকল প্রজার উপরে যে সমস্ত ক্লেশ ঘটিতেছে, সে সকল তোমার দৃষ্টিতে ক্ষুদ্র বোধ না হউক।

33. तौभी जो कुछ हम पर बीता है उसके विष्य तू तो धम है; तू ने तो सच्चाई से काम किया है, परन्तु हम ने दुष्टता की है।

33. আমাদের প্রতি এই সকল ঘটিলেও তুমি ধর্ম্মময়; কেননা তুমি সত্য ব্যবহার করিয়াছ, কিন্তু আমরা দুষ্কর্ম্ম করিয়াছি।

34. और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उनको चिताया था।

34. আর আমাদের রাজগণ, অধ্যক্ষগণ, যাজকগণ ও পিতৃপুরুষেরা তোমার ব্যবস্থা পালন করেন নাই, এবং তোমার আজ্ঞায় ও যদ্দ্বারা তুমি তাহাদের বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিতে, তোমার সেই সাক্ষ্যকথায় কর্ণপাত করেন নাই।

35. उन्हों ने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।

35. আর তাহাদের রাজত্বকালে, তোমার প্রদত্ত প্রচুর মঙ্গল সত্ত্বেও তোমাকর্ত্তৃক তাঁহাদের হস্তে সমর্পিত প্রশস্ত ও উর্ব্বর দেশে তাহারা তোমার সেবা করে নাই, এবং আপন আপন দুষ্ক্রিয়া সকল হইতে নিবৃত্ত হয় নাই।

36. देख, हम आज कल दास हैं; जो देश तू ने हमारे पितरों को दिया था कि उसकी उत्तम उपज खाएं, इसी में हम दास हैं।
यूहन्ना 8:33

36. দেখ, অদ্য আমরা দাস, ফলে তুমি আমাদের পিতৃপুরুষদিগকে যে দেশ দিয়া তদুৎপন্ন ফলের ও উত্তম দ্রব্যের অধিকারী করিয়াছিলে, দেখ, আমরা এই দেশমধ্যে দাস হইয়া রহিয়াছি।

37. इसकी उपज से उन राजाओं को जिन्हें तू ने हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर ठहराया है, बहुत धन मिलता है; और वे हमारे शरीरों और हमारे पशुओं पर अपनी अपनी इच्छा के अनुसार प्रभुता जताते हैं, इसलिये हम बड़े संकट में पड़े हैं।

37. আর তুমি আমাদের পাপ প্রযুক্ত আমাদের উপরে যে রাজগণকে নিযুক্ত করিয়াছ, দেশোৎপন্ন দ্রব্যবাহুল্য তাঁহাদেরই স্বত্ব; আর তাঁহারা আমাদের শরীরের উপরে ও আমাদের পশুগণের উপরে স্বেচ্ছামত প্রভুত্ব করিতেছেন, আর আমরা মহা সঙ্কটের মধ্যে আছি।

38. इस सब के कारण, हम सच्चई के साथ वाचा बान्धते, और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, लेवीय और याजक उस पर छाप लगाते हैं।

38. এই সকল ঘটিলেও আমরা নিশ্চিত নিয়ম করিয়া লিখিতেছি; এবং আমাদের অধ্যক্ষগণ, আমাদের লেবীয়েরা ও আমাদের যাজকগণ তাহাতে মুদ্রাঙ্ক দিতেছে।



Shortcut Links
नहेम्याह - Nehemiah : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |