1 Samuel - 1 शमूएल 20 | View All

1. फिर दाऊद रामा के नबायोत से भागा, और योनातन के पास जाकर कहने लगा, मैं ने क्या किया है? मुझ से क्या पाप हुआ? मैं ने तेरे पिता की दृष्टि में ऐसा कौन सा अपराध किया है, कि वह मेरे प्राण की खोज में रहता है?

1. And David fled from Naioth, in Ramah, and came in, and said before Jonathan What have I done? What is my transgression, and what my sin, before thy father, that he seeketh my life?

2. उस ने उस से कहा, ऐसी बात नहीं है; तू मारा न जाएगा। सुन, मेरा पिता मुझ को बिना जताए न तो कोई बड़ा काम करता है और न कोई छोटा; फिर वह ऐसी बात को मुझ से क्यों छिपाएगा? ऐसी कोई बात नहीं है।

2. And he said unto him Far be it! thou shalt not die. Lo! my father doeth nothing, great or small, without unveiling mine ear, wherefore, then, should my father hide from me, this thing? There is, nothing, in this.

3. फिर दाऊद ने शपथ खाकर कहा, तेरा पिता निश्चय जानता है कि तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर है; और वह सोचता होगा, कि योनातन इस बात को न जानने पाए, ऐसा न हो कि वह खेदित हो जाए। परन्तु यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, नि:सन्देह, मेरे और मृत्यु के बीच डग ही भर का अन्तर है।

3. But David sware yet further, and said Thy father, doth know, that I have found favour in thine eyes, therefore saith he, Do not let Jonathan know this, lest he grieve; but, indeed, by the life of Yahweh, and by the life of thine own soul, surely there is but as it were a step betwixt me and death!

4. योनातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरा जी चाहे वही मैं तेरे लिये करूंगा।

4. And Jonathan said unto David, Whatsoever thy soul shall desire, I will do for thee.

5. दाऊद ने योनातान से कहा, सुन कल नया चाँद होगा, और मुझे उचित है कि राजा के साथ बैठकर भोजन करूं; परन्तु तू मुझे विदा कर, और मैं परसों सांझ तक मैदान में छिपा रहूंगा।

5. And David said unto Jonathan Lo! the new moon, is to-morrow, and, I, must not sit with the king, to eat, let me go then, and hide myself in the field, until the evening.

6. यदि तेरा पिता मेरी कुछ चिन्ता करे, तो कहना, कि दाऊद ने अपने नगर बेतलेहेम को शीघ्र जाने के लिये मुझ से बिनती करके छुट्टी मांगी है; क्योंकि वहां उसके समस्त कुल के लिये वार्षिक यज्ञ है।

6. If thy father, enquire, for me, then shalt thou say David, did ask leave, of me, to run to Bethlehem, his own city, for, a yearly sacrifice, is to be held there for all the family.

7. यदि वह यों कहे, कि अच्छा! तब तो तेरे दास के लिये कुशल होगा; परन्तु यदि उसका कोप बहुत भड़क उठे, तो जान लेना कि उस ने बुराई ठानी है।

7. If, thus, he say It is well, thy servant shall have, peace, but, if it, anger, him, know that harm hath been determined by him.

8. और तू अपने दास से कृपा का व्यवहार करना, क्योंकि तू ने यहोवा की शपथ खिलाकर अपने दास को अपने साथ वाचा बन्धाई है। परन्तु यदि मुझ से कुछ अपराध हुआ हो, तो तू आप मुझे मार डाल; तू मुझे अपने पिता के पास क्यों पहुंचाए?

8. Thus shalt thou do a lovingkindness for thy servant, for, into a covenant of Yahweh, hast thou brought thy servant, with thee, But, if there is in me transgression, put me to death, thyself, for, unto thy father, wherefore shouldst thou bring me in?

9. योनातन ने कहा, ऐसी बात कभी न होगी! यदि मैं निश्चय जानता कि मेरे पिता ने तुझ से बुराई करनी ठानी है, तो क्या मैं तुझ को न बताता?

9. And Jonathan said Far be it from thee! but, if I, get to know, that harm is determined by my father, to bring it upon thee, is not, that, the thing that I will tell thee?

10. दाऊद ने योनातन से कहा, यदि तेरा पिता तुझ को कठोर उत्तर दे, तो कौन मुझे बताएगा?

10. Then said David unto Jonathan, Who shall tell me, if thy father answer thee aught that is, harsh?

11. योनातन ने दाऊद से कहा, चल हम मैदान को निकल जाएं। और वे दोनो मैदान की ओर चले गए।।

11. And Jonathan said unto David, Come! and let us go out into the field. And they two went out into the field.

12. तब योनातन दाऊद से कहने लगा; इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की शपथ, जब मैं कल वा परसों इसी समय अपने पिता का भेद पांऊ, तब यदि दाऊद की भलाई देखूं, तो क्या मैं उसी समय तेरे पास दूत भेजकर तुझे न बताऊंगा?

12. Then said Jonathan unto David Witness be Yahweh God of Israel, that I will sound my father about this time to-morrow or the third day, and lo! if there he good towards David, will I not, then, send unto thee, and unveil thine ear?

13. यदि मेरे पिता का मन तेरी बुराई करने का हो, और मैं तुझ पर यह प्रगट करके तुझे विदा न करूँ कि तू कुशल के साथ चला जाए, तो यहोवा योनातन से ऐसा ही वरन इस से भी अधिक करे। और यहोवा तेरे साथ वैसा ही रहे जैसा वह मेरे पिता के साथ रहा।

13. So, let Yahweh do unto Jonathan, and, so, let him add when harm against thee seemeth good unto my father, then will I unveil thine ear, and let thee go, and thou shall depart in peace, then Yahweh be with thee, as he hath been with my father.

14. और न केवल जब तक मैं जीवित रहूं, तब तक मुझ पर यहोवा की सी कृपा ऐसा करना, कि मैं न मरूं;

14. And, not only while I yet live, shalt thou deal with me in the lovingkindness of Yahweh, that I die not:

15. परन्तु मेरे घराने पर से भी अपनी कृपादृष्टि कभी न हटाना! वरन जब यहोवा दाऊद के हर एक शत्रु को पृथ्वी पर से नाश कर चुकेगा, तब भी ऐसा न करना।

15. but thou shalt not cut off thy lovingkindness from my house, unto times age-abiding, no! not when Yahweh hath cut off the enemies of David, every one from off the face of the ground.

16. इस प्रकार योनातन ने दाऊद के घराने से यह कहकर वाचा बन्धाई, कि यहोवा दाऊद के शत्रुओं से पलटा ले।

16. Thus Jonathan solemnised a covenant with the house of David saying , So let Yahweh require it, at the hand of the enemies of David.

17. और योनातन दाऊद से प्रेम रखता था, और उस ने उसको फिर शपथ खिलाई; क्योंकि वह उस ने अपने प्राण के बारबर प्रेम रखता था।

17. And again Jonathan sware unto David, by his love to him, for, as he loved his own soul, so loved he him.

18. तब योनातन ने उस से कहा, कल नया चाँद होगा; और तेरी चिन्ता की जाएगी, क्योंकि तेरी कुर्सी खाली रहेगी।

18. Then said Jonathan unto him To-morrow, is the new moon, and thou wilt be missed, for thy seat will be empty;

19. और तू तीन दिन के बीतने पर तुरन्त आना, और उस स्थान पर जाकर जहां तू उस काम के दिन छिपा था, अर्थात् एजेल नाम पत्थर के पास रहना।

19. and, when thou hast tarried three days, thou shalt come down quickly and enter the place, where thou didst hide thyself on the day of the deed, and shall remain by the side of this mound.

20. तब मैं उसकी अलंग, मानो अपने किसी ठहराए हुए चिन्ह पर तीन तीर चलाऊंगा।

20. And, as for me three arrows to the side, will I shoot, as though I shot at a mark.

21. फिर मैं अपने टहलुए छोकरे को यह कहकर भेजूंगा, कि जाकर तीरों को ढूंढ ले आ। यदि मैं उस छोकरे से साफ साफ कहूं, कि देख तीर इधर तेरी इस अलंग पर हैं, तो तू उसे ले आ, क्योंकि यहोवा के जीवन की शपथ, तेरे लिये कुशल को छोड़ और कुछ न होगा।

21. And lo! I will send the boy saying , Go, find the arrow! If I, say, to the boy Lo! the arrows, are on this side of thee take them, then come, for there is peace for thee, and no cause for fear , by the life of Yahweh.

22. परन्तु यदि मैं छोकरे से यों कहूं, कि सुन, तीर उधर तेरे उस अलंग पर है, तो तू चला जाना, क्योंकि यहोवा ने तुझे विदा किया है।

22. But, if, thus, I say to the youth, Lo! the arrows are beyond thee, depart, for Yahweh hath sent thee away.

23. और उस बात के विषय जिसकी चर्चा मैं ने और तू ने आपस में की है, यहोवा मेरे और तेरे मध्य में सदा रहे।।

23. But, as touching the matter whereof we spake I and thou, lo! Yahweh, be betwixt me and thee, unto times age-abiding.

24. इसलिये दाऊद मैदान में जा छिपा; और जब नया चाँद हुआ, तक राजा भोजन करने को बैठा।

24. So David hid himself in the field and, when the new moon had come, the king sat down to eat, food,

25. राजा तो पहिले की नाईं अपने उस आसन पर बैठा जो भीत के पास था; और योनातन खड़ा हुआ, और अब्नेर शाऊल के निकट बैठा, परन्तु दाऊद का स्थान खाली रहा।

25. yea the king sat down on his seat, as at other times, by the seat against the wall, and, when Jonathan arose, Abner seated himself by the side of Saul, but David's place was empty.

26. उस दिन तो शाऊल यह सोचकर चुप रहा, कि इसका कोई न कोई कारण होगा; वह अशुद्ध होगा, नि:सन्देह शुद्ध न होगा।

26. Saul, however, spake nothing that day, for he said to himself It is, an accident, he is, not clean, because he hath not been cleansed.

27. फिर नये चाँद के दूसरे दिन को दाऊद का स्थान खाली रहा। और शाऊल ने अपने पुत्रा योनातन से पूछा, क्या कारण है कि यिशै का पुत्रा न तो कल भोजन पर आया था, और न आज ही आया है?

27. And it came to pass, on the morrow, the second of the month, that David's place was empty, and Saul said unto Jonathan his son, Wherefore hath not the son of Jesse come in, either yesterday or to-day, to meat?

28. योनातन ने शाऊल से कहा, दाऊद ने बेतलेहेम जाने के लिये मुझ से बिनती करके छुट्टी मांगी;

28. And Jonathan answered Saul, David, asked leave, of me, to go as far as Bethlehem;

29. और कहा, मुझे जाने दे; क्योंकि उस नगर में हमारे कुल का यज्ञ है, और मेरे भाई ने मुझ को वहां उपस्थित होने की आज्ञा दी है। और अब यदि मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो, तो मुझे जाने दे कि मैं अपने भाइयों से भेंट कर आऊं। इसी कारण वह राजा की मेज पर नहीं आया।

29. and said Let me go, I pray thee, for, a family sacrifice, have we in the city, and my brethren have commanded me, now, therefore, if I have found favour in thine eyes, let me slip away, I pray thee, that I may see my brethren. For this cause, hath he not come in unto the table of the king.

30. तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उस ने उस से कहा, हे कुटिला राजद्रोही के पुत्रा, क्या मैं नहीं जानता कि तेरा मन तो यिशै के पुत्रा पर लगा है? इसी से तेरी आशा का टूटना और तेरी माता का अनादर ही होगा।

30. Then was Saul's anger kindled against Jonathan, and he said unto him, Thou son of rebellious perversity! do I not know that thou art, confederate, with the son of Jesse to thine own confusion, and to the confusion of the shame of thy mother?

31. क्योंकि जब तक यिशै का पुत्रा भूमि पर जीवित रहेगा, तब तक न तो तू और न तेरा राज्य स्थिर रहेगा। इसलिये अभी भेजकर उसे मेरे पास ला, क्योंकि निश्चय वह मार डाला जाएगा।

31. For, as long as, the son of Jesse, liveth on the ground, thou wilt not be established, thou nor thy kingdom, Now, therefore, send and fetch him unto me, for, doomed to death, is he!

32. योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उस ने क्या किया है?

32. And Jonathan responded to Saul his father, and said unto him Wherefore must he be put to death, What hath he done?

33. तब शाऊल ने उसको मारने के लिये उस पर भाला चलाया; इससे योनातन ने जान लिया, कि मेरे पिता ने दाऊद को मार डालना ठान लिया है।

33. And Saul hurled his spear at him, to smite him. So Jonathan knew that it was, determined, of his father, to put David to death.

34. तब योनातन क्रोध से जलता हुआ मेज पर से उठ गया, और महीने के दूसरे दिन को भोजन न किया, क्योंकि वह बहुत खेदित था, इसलिये कि उसके पिता ने दाऊद का अनादर किया था।।

34. Jonathan therefore rose up from the table, in a glow of anger, and did eat no food on the second day of the month, for he was grieved for David, because his father had reviled him.

35. बिहान को योनातन एक छोटा लड़का संग लिए हुए मैदान में दाऊद के साथ ठहराए हुए स्थान को गया।

35. And it came to pass in the morning, that Jonathan went forth into the field, to the place appointed with David, a little lad, being with him.

36. तब उस ने अपने छोकरे से कहा, दौड़कर जो जो तीर मैं चलाऊं उन्हें ढूंढ़ ले आ। छोकरा दौड़ता ही था, कि उस ने एक तीर उसके परे चलाया।

36. And he said to his lad Run, find, I pray thee, the arrows which I am about to shoot. The boy, ran, but, he, shot the arrow beyond him.

37. जब छोकरा योनातन के चलाए तीर के स्थान पर पहुंचा, तब योनातन ने उसके पीछे से पुकारके कहा, तीर तो तेरी परली ओर है।

37. And, when the lad came as far as the place of the arrow which Jonathan had shot, Jonathan cried after the lad, and said, Is not the arrow, beyond, thee?

38. फिर योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकारकर कहा, बड़ी फुर्ती कर, ठहर मत। और योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकारके कहा, बड़ी फुर्ती कर, ठहर मत! और योनातन का छोकरा तीरों को बटोरके अपने स्वामी के पास ल आया।

38. And Jonathan cried after the lad, Haste thee be quick, do not stay! so Jonathan's lad picked up the arrows and brought them unto his master.

39. इसका भेद छोकरा तो कुछ न जानता था; केवल योनातन और दाऊद इस बात को जानते थे।

39. But, the lad, knew, nothing, only Jonathan and David, knew the matter.

40. और योनातन ने अपने हथियार अपने छोकरे को देकर कहा, जा, इन्हें नगर को पहुंचा।

40. So Jonathan gave his weapons unto his lad, and said to him, Go carry them into the city.

42. तब योनातन ने दाऊद से कहा, कुशल से चला जा; क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे से यह कहके यहोवा के नाम की शपथ खाई है, कि यहोवा मेरे और तेरे मध्य, और मेरे और तेरे वंश के मध्य में सदा रहे। तब वह उठकर चला गया; और योनातन नगर में गया।।
मरकुस 5:34

42. Then said Jonathan unto David Go in peace, remembering that, we, have both sworn in the name of Yahweh, saying, Yahweh shall be between me and thee, and between my seed and thy seed, unto times age-abiding. And he arose, and departed, and, Jonathan, entered the city.



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