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Cross Reference Bible
1. हे पत्नियों, तुम भी अपने पति के आधीन रहो।
1. In like manner also let wives be subject to their husbands: that if any believe not the word, they may be won without the word, by the conversation of the wives.
2. इसलिये कि यदि इन में से कोई ऐसे हो जो वचन को न मानते हों, तौभी तुम्हारे भय सहित पवित्रा चालचलन को देखकर बिना वचन के अपनी अपनी पत्नी के चालचलन के द्वारा खिंच जाएं।
2. Considering your chaste conversation with fear.
3. और तुम्हारा सिंगार, दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूंथने, और सोने के गहने, या भांति भांति के कपड़े पहिनना।
3. Whose adorning let it not be the outward plaiting of the hair, or the wearing of gold, or the putting on of apparel:
4. बरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।
4. But the hidden man of the heart in the incorruptibility of a quiet and a meek spirit, which is rich in the sight of God.
5. और पूर्वकाल में पवित्रा स्त्रियां भी, जो परमेश्वर पर आशा रखती थीं, अपने आप को इसी रीति से संवारती और अपने अपने पति के आधीन रहती थीं।
5. For after this manner heretofore the holy women also, who trusted in God, adorned themselves, being in subjection to their own husbands:
6. जैसे सारा इब्राहीम की आज्ञा में रहती और उसे स्वामी कहती थी: सो तुम भी यदि भलाई करो, और किसी प्रकार के भय से भयभीत न हो तो उस की बेंटियां ठहरोगी।।उत्पत्ति 18:12, उत्पत्ति 18:15, नीतिवचन 3:25
6. As Sara obeyed Abraham, calling him lord: whose daughters you are, doing well, and not fearing any disturbance.
7. वैसे ही हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्रा जानकर उसका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिस से तुम्हारी प्रार्थनाएं रूक न जाएं।।
7. Ye husbands, likewise dwelling with them according to knowledge, giving honour to the female as to the weaker vessel, and as to the co-heirs of the grace of life: that your prayers be not hindered.
8. निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करूणामय, और नम्र बनो।
8. And in fine, be ye all of one mind, having compassion one of another, being lovers of the brotherhood, merciful, modest, humble:
9. बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
9. Not rendering evil for evil, nor railing for railing, but contrariwise, blessing: for unto this are you called, that you may inherit a blessing.
10. क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे।भजन संहिता 34:12-16
10. For he that will love life, and see good days, let him refrain his tongue from evil, and his lips that they speak no guile.
11. वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई की करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे।
11. Let him decline from evil, and do good: let him seek after peace and pursue it:
12. क्योंकि प्रभु की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उस की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करनेवालों के विमुख रहता है।।
12. Because the eyes of the Lord are upon the just, and his ears unto their prayers: but the countenance of the Lord upon them that do evil things.
13. और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है?
13. And who is he that can hurt you, if you be zealous of good?
14. और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।यशायाह 8:12-13
14. But if also you suffer any thing for justice' sake, blessed are ye. And be not afraid of their fear, and be not troubled.
15. पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्रा समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।यशायाह 8:12-13
15. But sanctify the Lord Christ in your hearts, being ready always to satisfy every one that asketh you a reason of that hope which is in you.
16. और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्जित हों।
16. But with modesty and fear, having a good conscience: that whereas they speak evil of you, they may be ashamed who falsely accuse your good conversation in Christ.
17. क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
17. For it is better doing well (if such be the will of God) to suffer, than doing ill.
18. इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
18. Because Christ also died once for our sins, the just for the unjust: that he might offer us to God, being put to death indeed in the flesh, but enlivened in the spirit,
19. उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
19. In which also coming he preached to those spirits that were in prison:
20. जिन्हों ने उस बीते समय में आज्ञा न माना जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात् आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए।उत्पत्ति 6:1-724
20. Which had been some time incredulous, when they waited for the patience of God in the days of Noe, when the ark was a building: wherein a few, that is, eight souls, were saved by water.
21. और उसी पानी का दृष्टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; ( उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है )।
21. Whereunto baptism being of the like form, now saveth you also: not the putting away of the filth of the flesh, but the examination of a good conscience towards God by the resurrection of Jesus Christ.
22. वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं।।भजन संहिता 110:1
22. Who is on the right hand of God, swallowing down death, that we might be made heirs of life everlasting: being gone into heaven, the angels and powers and virtues being made subject to him.