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1. हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।अय्यूब 34:19, भजन संहिता 24:7-10
1. My brethren, hold not the faith of our Lord Jesus Christ, the Lord of glory, with respect of persons.
2. क्योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्रा पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए।
2. For if there come into your synagogue a man with a gold ring, in fine clothing, and there come in also a poor man in vile clothing;
3. और तुम उस सुन्दर वस्त्रावाले का मुंह देखकर कहो कि तू वहां अच्छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ।
3. and ye have regard to him that weareth the fine clothing, and say, Sit thou here in a good place; and ye say to the poor man, Stand thou there, or sit under my footstool;
4. तो क्या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करनेवाले न ठहरे?
4. are ye not divided in your own mind, and become judges with evil thoughts?
5. हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धर्मी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं?
5. Hearken, my beloved brethren; did not God choose them that are poor as to the world to be rich in faith, and heirs of the kingdom which he promised to them that love him?
6. पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया: क्या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते और क्या वे ही तुम्हें कचहरियों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते?
6. But ye have dishonoured the poor man. Do not the rich oppress you, and themselves drag you before the judgment�seats?
7. क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो?
7. Do not they blaspheme the honourable name by the which ye are called?
8. तौभी यदि तुम पवित्रा शास्त्रा के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज्य व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा करते हो।लैव्यव्यवस्था 19:18
8. Howbeit if ye fulfill the royal law, according to the scripture, Thou shalt love thy neighbour as thyself, ye do well:
9. पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है।व्यवस्थाविवरण 1:17
9. but if ye have respect of persons, ye commit sin, being convicted by the law as transgressors.
10. क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बातों मे दोषी ठहरा।
10. For whosoever shall keep the whole law, and yet stumble in one point, he is become guilty of all.
11. इसलिये कि जिस ने यह कहा, कि तू व्यभिचार न करना उसी ने यह भी कहा, कि तू हत्या न करना इसलिये यदि तू ने व्यभिचार तो नहीं किया, पर हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उलंघन करने वाला ठहरा।निर्गमन 20:13-16, व्यवस्थाविवरण 5:17, व्यवस्थाविवरण 5:18
11. For he that said, Do not commit adultery, said also, Do not kill. Now if thou dost not commit adultery, but killest, thou art become a transgressor of the law.
12. तुम उन लोगों की नाई वचन बोलो, और काम भी करो, जिन का न्याय स्वतंत्राता की व्यवस्था के अनुसार होगा।
12. So speak ye, and so do, as men that are to be judged by a law of liberty.
13. क्योंकि जिस ने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा: दया न्याय पर जयवन्त होती है।।
13. For judgment is without mercy to him that hath shewed no mercy: mercy glorieth against judgment.
14. हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो उस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है?
14. What doth it profit, my brethren, if a man say he hath faith, but have not works? can that faith save him?
15. यदि कोई भाई या बहिन नगें उघाड़े हों, और उन्हें प्रति दिन भोजन की घटी हो।
15. If a brother or sister be naked, and in lack of daily food,
16. और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?
16. and one of you say unto them, Go in peace, be ye warmed and filled; and yet ye give them not the things needful to the body; what doth it profit?
17. वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।
17. Even so faith, if it have not works, is dead in itself.
18. बरन कोई कह सकता है कि तुझे विश्वास है, और मैं कर्म करता हूं: तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाऊंगा।
18. Yea, a man will say, Thou hast faith, and I have works: shew me thy faith apart from thy works, and I by my works will shew thee my faith.
19. तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर है: तू अच्छा करता है: दुष्टात्मा भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं।
19. Thou believest that God is one; thou doest well: the devils also believe, and shudder.
20. पर हे निकम्मे मनुष्य क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?
20. But wilt thou know, O vain man, that faith apart from works is barren?
21. जब हमारे पिता इब्राहीम ने अपने पुत्रा इसहाक को वेदी पर चढ़ाया, तो क्या वह कर्मो से धार्मिक न ठहरा था।उत्पत्ति 22:2, उत्पत्ति 22:9
21. Was not Abraham our father justified by works, in that he offered up Isaac his son upon the altar?
22. सो तू ने देख लिया कि विश्वास ने उस के कामों के साथ मिलकर प्रभाव डाला है और कर्मो से विश्वास सिद्ध हुआ।
22. Thou seest that faith wrought with his works, and by works was faith made perfect;
23. और पवित्रा शास्त्रा का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्रा कहलाया।उत्पत्ति 15:6, 2 इतिहास 20:7, यशायाह 41:8
23. and the scripture was fulfilled which saith, And Abraham believed God, and it was reckoned unto him for righteousness; and he was called the friend of God.
24. सो तुम ने देख लिया कि मनुष्य केवल विश्वास से ही नहीं, बरन कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।
24. Ye see that by works a man is justified, and not only by faith.
25. वैसे ही राहाब वेश्या भी जब उस ने दूतों को अपने घर में उतारा, और दूसरे मार्ग से विदा किया, तो क्या कर्मों से धार्मिक न ठहरी?यहोशू 2:4, यहोशू 2:15, यहोशू 6:17
25. And in like manner was not also Rahab the harlot justified by works, in that she received the messengers, and sent them out another way?
26. निदान, जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है।।
26. For as the body apart from the spirit is dead, even so faith apart from works is dead.