Hebrews - इब्रानियों 10 | View All

1. क्योंकि व्यवस्था जिस में आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं।

1. For the Law which has a shadow of good things to come, not the very image of the things, appearing year by year with the same sacrifices, which they offer continually, they are never able to perfect those drawing near.

2. नहीं तो उन का चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिये कि जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उन का विवेक उन्हें पापी न ठहराता।

2. For then would they not have ceased to be offered? Because the worshipers, when they had been once for all purged, would have had no more conscience of sin.

3. परन्तु उन के द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है।

3. But in those sacrifices there is a remembrance again of sins every year.

4. क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे।
लैव्यव्यवस्था 16:15, लैव्यव्यवस्था 16:21

4. For it is not possible that the blood of bulls and of goats should take away sins.

5. इसी कारण वह जगत में आने समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया।
भजन संहिता 40:6-8

5. Therefore when He comes into the world, He says, 'Sacrifice and offering You did not desire, but You have prepared a body for Me.

6. होम- बलियों और पाप- बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।

6. In burnt offerings and sacrifices for sin You have had no pleasure.

7. तब मैं ने कहा, देख, मैं आ गया हूं, (पवित्रा शस्त्रा में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूं।

7. Then I said, Lo, I come (in the volume of the Book it is written of Me) to do Your will, O God.'

8. ऊपर तो वह कहता है, कि न तू ने बलिदान और भेंट और होम- बलियों और पाप- बलियों को चाहा, और न उन से प्रसन्न हुआ; यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं।

8. Above, when He said, 'Sacrifice and offering, and burnt offerings and offering for sin You did not desire, neither did You have pleasure in them' (which are offered according to the Law),

9. फिर यह भी कहता है, कि देख, मैं आ गया हूं, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूं; निदान वह पहिले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे।

9. then He said, 'Lo, I come to do Your will, O God.' He takes away the first so that He may establish the second.

10. उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्रा किए गए हैं।
भजन संहिता 40:6-8

10. By this will we are sanctified through the offering of the body of Jesus Christ once for all.

11. और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है।
निर्गमन 29:38

11. And indeed every priest stands daily ministering and offering often the same sacrifices, which can never take away sins.

12. पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दहिने जा बैठा।
भजन संहिता 110:1

12. But this Man, after He had offered one sacrifice for sins forever, sat down on the right of God,

13. और उसी समय से इस की बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें।
भजन संहिता 110:1

13. from then on expecting until His enemies are made His footstool.

14. क्योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्रा किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।

14. For by one offering He has perfected forever those who are sanctified.

15. और पवित्रा आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उस ने पहिले कहा था

15. The Holy Spirit also is a witness to us; for after He had said before,

16. कि प्रभु कहता है; कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उन से बान्धूंगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उन के विवेक में डालूंगा।

16. 'This is the covenant that I will make with them after those days, says the Lord; I will put My Laws into their hearts, and in their minds I will write them,'

17. (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।
यिर्मयाह 31:34

17. also He adds, 'their sins and their iniquities I will remember no more.'

18. और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।।

18. Now where remission of these is, there is no more offering for sin.

19. सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्रा स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है।

19. Therefore, brothers, having boldness to enter into the Holy of Holies by the blood of Jesus,

20. जो उस ने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,

20. by a new and living way which He has consecrated for us through the veil, that is to say, His flesh;

21. और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है।
गिनती 12:7, जकर्याह 6:12-13

21. and having a High Priest over the house of God,

22. तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं।
यहेजकेल 36:25

22. let us draw near with a true heart in full assurance of faith, having our hearts sprinkled from an evil conscience and our bodies having been washed with pure water.

23. और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है।

23. Let us hold fast the profession of our faith without wavering (for He is faithful who promised),

24. और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें।

24. and let us consider one another to provoke to love and to good works,

25. और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।।

25. not forsaking the assembling of ourselves together, as the manner of some is, but exhorting one another, and so much the more as you see the Day approaching.

26. क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।

26. For if we sin willfully after we have received the knowledge of the truth, there remains no more sacrifice for sins,

27. हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
यशायाह 26:11

27. but a certain fearful looking for judgment and fiery indignation, which shall devour the adversaries.

28. जब कि मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।
व्यवस्थाविवरण 17:6, व्यवस्थाविवरण 19:15

28. He who despised Moses' Law died without mercy on the word of two or three witnesses.

29. तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिस ने परमेश्वर के पुत्रा को पांवों से रौंदा, और वाचा के लोहू को जिस के द्वारा वह पवित्रा ठहराया गया था, अपवित्रा जाना हैं, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
निर्गमन 24:8

29. Of how much worse punishment, do you suppose, will he be thought worthy of punishment, the one who has trampled the Son of God, and who has counted the blood of the covenant with which he was sanctified an unholy thing, and has insulted the Spirit of grace?

30. क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिस ने कहा, कि पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूंगा: और फिर यह, कि प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।
व्यवस्थाविवरण 32:35-36, भजन संहिता 135:14

30. For we know Him who has said, 'Vengeance belongs to Me, I will repay, says the Lord.' And again, 'The Lord shall judge His people.'

31. जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।।

31. It is a fearful thing to fall into the hands of the living God.

32. परन्तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।

32. But call to memory the former days, in which (after you were illuminated) you endured a great fight of afflictions,

33. कुछ तो यों, कि तुम निन्दा, और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की दुर्दशा की जाती थीं।

33. indeed being exposed both by reproaches and afflictions, and while you became companions of those who lived so.

34. क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली संपत्ति है।

34. For you both sympathized with my bonds and took joyfully the spoiling of your goods, knowing in yourselves that you have in Heaven a better and an enduring substance.

35. सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।

35. Therefore do not cast away your confidence, which has great recompense of reward.

36. क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।

36. For you have need of patience, so that after you have done the will of God you might receive the promise.

37. क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आनेवाला आएगा, और देर न करेगा।
हबक्कूक 2:3-4

37. For 'yet a little while, and He who shall come will come and will not delay.'

38. और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।

38. Now, 'the Just shall live by faith. But if he draws back, My soul shall have no pleasure in him.'

39. पर हम हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।।

39. But we are not of those withdrawing to destruction, but of those who believe to the preserving of the soul.



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