Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 12 | View All

1. जो देश तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें अधिकार में लेने को दिया है, उस में जब तक तुम भूमि पर जीवित रहो तब तक इन विधियों और नियमों के मानने में चौकसी करना।

1. These are the statutes and judgments, which ye shall observe to do in the land, which YHWH Elohim of thy fathers giveth thee to possess it, all the days that ye live upon the earth.

2. जिन जातियों के तुम अधिकारी होगे उनके लोग ऊंचे ऊंचे पहाड़ों वा टीलों पर, वा किसी भांति के हरे वृक्ष के तले, जितने स्थानों में अपने देवताओं की उपासना करते हैं, उन सभों को तुम पूरी रीति से नष्ट कर डालना;

2. Ye shall utterly destroy all the places, wherein the nations which ye shall possess served their elohim, upon the high mountains, and upon the hills, and under every green tree:

3. उनकी वेदियों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूर्त्तियों को आग में जला देना, और उनके देवताओं की खुदी हुई मूर्त्तियों को काटकर गिरा देना, कि उस देश में से उनके नाम तक मिट जाएं।

3. And ye shall overthrow their altars, and break their pillars, and burn their groves with fire; and ye shall hew down the graven images of their elohim, and destroy the names of them out of that place.

4. फिर जैसा वे करते हैं, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये वैसा न करना।

4. Ye shall not do so unto YHWH your Elohim.

5. किन्तु जो स्थान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सब गोत्रों में से चुन लेगा, कि वहां अपना नाम बनाए रखे, उसके उसी निवासस्थान के पास जाया करना;
यूहन्ना 4:20

5. But unto the place which YHWH your Elohim shall choose out of all your tribes to put his name there, even unto his habitation shall ye seek, and thither thou shalt come:

6. और वहीं तुम अपने होमबलि, और मेलबलि, और दंशमांश, और उठाई हुई भेंट, और मन्नत की वस्तुएं, और स्वेच्छाबलि, और गाय- बैलों और भेड़- बकरियों के पहिलौठे ले जाया करना;

6. And thither ye shall bring your burnt offerings, and your sacrifices, and your tithes, and heave offerings of your hand, and your vows, and your freewill offerings, and the firstlings of your herds and of your flocks:

7. और वहीं तुम अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने भोजन करना, और अपने अपने घराने समेत उन सब कामों पर, जिन में तुम ने हाथ लगाया हो, और जिन पर तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की आशीष मिली हो, आनन्द करना।

7. And there ye shall eat before YHWH your Elohim, and ye shall rejoice in all that ye put your hand unto, ye and your households, wherein YHWH thy Elohim hath blessed thee.

8. जैसे हम आजकल यहां जो काम जिसको भाता है वही करते हैं वैसा तुम न करना;

8. Ye shall not do after all the things that we do here this day, every man whatsoever is right in his own eyes.

9. जो विश्रामस्थान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे भाग में देता है वहां तुम अब तक तो नहीं पहुंचे।

9. For ye are not as yet come to the rest and to the inheritance, which YHWH your Elohim giveth you.

10. परन्तु जब तुम यरदन पार जाकर उस देश में जिसके भागी तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें करता है बस जाओ, और वह तुम्हारे चारों ओर के सब शत्रुओं से तुम्हें विश्राम दे,

10. But when ye go over Jordan, and dwell in the land which YHWH your Elohim giveth you to inherit, and when he giveth you rest from all your enemies round about, so that ye dwell in safety;

11. और तुम निडर रहने पाओ, तब जो स्थान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपने नाम का निवास ठहराने के लिये चुन ले उसी में तुम अपने होमबलि, और मेलबलि, और दशमांश, और उठाई हुईं भेंटें, और मन्नतों की सब उत्तम उत्तम वस्तुएं जो तुम यहोवा के लिये संकल्प करोगे, निदान जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उन सभों को वहीं ले जाया करना।

11. Then there shall be a place which YHWH your Elohim shall choose to cause his name to dwell there; thither shall ye bring all that I command you; your burnt offerings, and your sacrifices, your tithes, and the heave offering of your hand, and all your choice vows which ye vow unto YHWH:

12. और वहां तुम अपने अपने बेटे बेटियों और दास दासियों सहित अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने आनन्द करना, और जो लेवीय तुम्हारे फाटकों में रहे वह भी आनन्द करे, क्योंकि उसका तुम्हारे संग कोई निज भाग वा अंश न होगा।

12. And ye shall rejoice before YHWH your Elohim, ye, and your sons, and your daughters, and your menservants, and your maidservants, and the Levite that is within your gates; forasmuch as he hath no part nor inheritance with you.

13. और सावधान रहना कि तू अपने होमबलियों को हर एक स्थान पर जो देखने में आए न चढ़ाना;

13. Take heed to thyself that thou offer not thy burnt offerings in every place that thou seest:

14. परन्तु जो स्थान तेरे किसी गोत्रा में यहोवा चुन ले वहीं अपने होमबलियों को चढ़ाया करना, और जिस जिस काम की आज्ञा मैं तुझ को सुनाता हूं उसको वहीं करना।

14. But in the place which YHWH shall choose in one of thy tribes, there thou shalt offer thy burnt offerings, and there thou shalt do all that I command thee.

15. परन्तु तू अपने सब फाटकों के भीतर अपने जी की इच्छा और अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आशीष के अनुसार पशु मारके खा सकेगा, शुद्व और अशुद्व मनुष्य दोनों खा सकेंगे, जैसे कि चिकारे और हरिण का मांस।

15. Notwithstanding thou mayest kill and eat flesh in all thy gates, whatsoever thy soul lusteth after, according to the blessing of YHWH thy Elohim which he hath given thee: the unclean and the clean may eat thereof, as of the roebuck, and as of the hart.

16. परन्तु उसका लोहू न खाना; उसे जल की नाई भूमि पर उंडेल देना।

16. Only ye shall not eat the blood; ye shall pour it upon the earth as water.

17. फिर अपने अन्न, वा नये दाखमधु, वा टटके तेल का दशमांश, और अपने गाय- बैलों वा भेड़- बकरियों के पहिलौठे, और अपनी मन्नतों की कोई वस्तु, और अपने स्वेच्छाबलि, और उठाई हुई भेंटें अपने सब फाटकों के भीतर न खाना;

17. Thou mayest not eat within thy gates the tithe of thy corn, or of thy wine, or of thy oil, or the firstlings of thy herds or of thy flock, nor any of thy vows which thou vowest, nor thy freewill offerings, or heave offering of thine hand:

18. उन्हें अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने उसी स्थान पर जिसको वह चुने अपने बेटे बेटियों और दास दासियों के, और जो लेवीय तेरे फाटकों के भीतर रहेंगे उनके साथ खाना, और तू अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने अपने सब कामों पर जिन में हाथ लगाया हो आनन्द करना।

18. But thou must eat them before YHWH thy Elohim in the place which YHWH thy Elohim shall choose, thou, and thy son, and thy daughter, and thy manservant, and thy maidservant, and the Levite that is within thy gates: and thou shalt rejoice before YHWH thy Elohim in all that thou puttest thine hands unto.

19. और सावधान रह कि जब तक तू भूमि पर जीवित रहे तब तक लेवियों को न छोड़ना।।

19. Take heed to thyself that thou forsake not the Levite as long as thou livest upon the earth.

20. जब तेरा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तेरा देश बढ़ाए, और तेरा जी मांस खाना चाहे, और तू सोचने लगे, कि मैं मांस खाऊंगा, तब जो मांस तेरा जी चाहे वही खा सकेगा।

20. When YHWH thy Elohim shall enlarge thy border, as he hath promised thee, and thou shalt say, I will eat flesh, because thy soul longeth to eat flesh; thou mayest eat flesh, whatsoever thy soul lusteth after.

21. जो स्थान तेरा परमेश्वर यहोवा अपना नाम बनाए रखने के लिये चुन ले वह यदि तुझ से बहुत दूर हो, तो जो गाय- बैल भेड़- बकरी यहोवा ने तुझे दी हों, उन में से जो कुछ तेरा जी चाहे, उसे मेरी आज्ञा के अनुसार मारके अपने फाटकों के भीतर खा सकेगा।

21. If the place which YHWH thy Elohim hath chosen to put his name there be too far from thee, then thou shalt kill of thy herd and of thy flock, which YHWH hath given thee, as I have commanded thee, and thou shalt eat in thy gates whatsoever thy soul lusteth after.

22. जैसे चिकारे और हरिण का मांस खाया जाता है वैसे ही उनको भी खा सकेगा, शुद्व और अशुद्व दोनो प्रकार के मनुष्य उनका मांस खा सकेंगे।

22. Even as the roebuck and the hart is eaten, so thou shalt eat them: the unclean and the clean shall eat of them alike.

23. परन्तु उनका लोहू किसी भांति न खाना; क्योंकि लोहू जो है वह प्राण ही है, और तू मांस के साथ प्राण कभी भी न खाना।

23. Only be sure that thou eat not the blood: for the blood is the life; and thou mayest not eat the life with the flesh.

24. उसको न खाना; उसे जल की नाईं भूमि पर उंडेल देना।

24. Thou shalt not eat it; thou shalt pour it upon the earth as water.

25. तू उसे न खाना; इसलिये कि वह काम करने से जो यहोवा की दृष्टि में ठीक हैं तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी भला हो।

25. Thou shalt not eat it; that it may go well with thee, and with thy children after thee, when thou shalt do that which is right in the sight of YHWH.

26. परन्तु जब तू कोई वस्तु पवित्रा करे, वा मन्नत माने, तो ऐसी वस्तुएं लेकर उस स्थान को जाना जिसको यहोवा चुन लेगा,

26. Only thy holy things which thou hast, and thy vows, thou shalt take, and go unto the place which YHWH shall choose:

27. और वहां अपने होमबलियों के मांस और लोहू दोनों को अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी पर चढ़ाना, और मेलबलियों का लोहू उसकी वेदी पर उंडेलकर उनका मांस खाना।

27. And thou shalt offer thy burnt offerings, the flesh and the blood, upon the altar of YHWH thy Elohim: and the blood of thy sacrifices shall be poured out upon the altar of YHWH thy Elohim, and thou shalt eat the flesh.

28. इन बातों को जिनकी आज्ञा मैं तुझे सुनाता हूं चित्त लगाकर सुन, कि जब तू वह काम करे जो तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में भला और ठीक है, तब तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी सदा भला होता रहे।

28. Observe and hear all these words which I command thee, that it may go well with thee, and with thy children after thee for ever, when thou doest that which is good and right in the sight of YHWH thy Elohim.

29. जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन जातियों को जिनका अधिकारी होने को तू जा रहा है तेरे आगे से नष्ट करे, और तू उनका अधिकारी होकर उनके देश में बस जाए,

29. When YHWH thy Elohim shall cut off the nations from before thee, whither thou goest to possess them, and thou succeedest them, and dwellest in their land;

30. तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि उनके सत्यनाश होने के बाद तू भी उनकी नाई फंस जाए, अर्थात् यह कहकर उनके देवताओं के सम्बन्ध में यह पूछपाछ न करना, कि उन जातियों के लोग अपने देवताओं की उपासना किस रीति करते थे? मैं भी वैसी ही करूंगा।

30. Take heed to thyself that thou be not snared by following them, after that they be destroyed from before thee; and that thou enquire not after their elohim, saying, How did these nations serve their elohim? even so will I do likewise.

31. तू अपने परमेश्वर यहोवा से ऐसा व्यवहार न करना; क्योंकि जितने प्रकार के कामों से यहोवा घृणा करता है और बैर- भाव रखता है, उन सभों को उन्हों ने अपने देवताओं के लिये किया है, यहां तक कि अपने बेटे बेटियों को भी वे अपने देवताओं के लिये अग्नि में डालकर जला देते हैं।।

31. Thou shalt not do so unto YHWH thy Elohim: for every abomination to YHWH, which he hateth, have they done unto their elohim; for even their sons and their daughters they have burnt in the fire to their elohim.

32. जितनी बातों की मैं तुम को आज्ञा देता हूं उनको चौकस होकर माना करना; और न तो कुछ उन में बढ़ाना और न उन में से कुछ घटाना।।
प्रकाशितवाक्य 22:18

32. What thing soever I command you, observe to do it: thou shalt not add thereto, nor diminish from it.



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