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1. इसलिये तू अपने परमेश्वर यहोवा से अत्यन्त प्रेम रखना, और जो कुछ उस ने तुझे सौंपा है उसका, अर्थात् उसी विधियों, नियमों, और आज्ञाओं का नित्य पालन करना।
1. 'You must love the LORD your God and obey all his requirements, decrees, regulations, and commands.
2. और तुम आज यह सोच समझ लो (क्योंकि मैं तो तुम्हारे बाल- बच्चों से नहीं कहता,) जिन्हों ने न तो कुछ देखा और न जाना है कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने क्या क्या ताड़ना की, और कैसी महिमा, और बलवन्त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा दिखाई,
2. Keep in mind that I am not talking now to your children, who have never experienced the discipline of the LORD your God or seen his greatness and his strong hand and powerful arm.
3. और मि में वहां के राजा फिरौन को कैसे कैसे चिन्ह दिखाए, और उसके सारे देश में कैसे कैसे चमत्कार के काम किए;
3. They didn't see the miraculous signs and wonders he performed in Egypt against Pharaoh and all his land.
4. और उस ने मि की सेना के घोड़ों और रथों से क्या किया, अर्थात् जब वे तुम्हारा पीछा कर रहे थे तब उस ने उनको लाल समुद्र में डुबोकर किस प्रकार नष्ट कर डाला, कि आज तक उनका पता नहीं;
4. They didn't see what the LORD did to the armies of Egypt and to their horses and chariots-- how he drowned them in the Red Sea as they were chasing you. He destroyed them, and they have not recovered to this very day!
5. और तुम्हारे इस स्थान में पहुंचने तक उस ने जंगल में तुम से क्या क्या किया;प्रेरितों के काम 7:5
5. 'Your children didn't see how the LORD cared for you in the wilderness until you arrived here.
6. औैर उस ने रूबेनी एलीआब के पुत्रा दातान और अबीराम से क्या क्या किया; अर्थात् पृथ्वी ने अपना मुंह पसारके उनको घरानों, और डेरों, और सब अनुचरों समेत सब इस्राएलियों के देखते देखते कैसे निगल लिया;
6. They didn't see what he did to Dathan and Abiram (the sons of Eliab, a descendant of Reuben) when the earth opened its mouth in the Israelite camp and swallowed them, along with their households and tents and every living thing that belonged to them.
7. परन्तु यहोवा के इन सब बड़े बड़े कामों को तुम ने अपनी आंखों से देखा है।
7. But you have seen the LORD perform all these mighty deeds with your own eyes!
8. इस कारण जितनी आज्ञाएं मैं आज तुम्हें सुनाता हूं उन सभों को माना करना, इसलिये कि तुम सामर्थी होकर उस देश में जिसके अधिकारी होने के लिये तुम पार जा रहे हो प्रवेश करके उसके अधिकारी हो जाओ,
8. 'Therefore, be careful to obey every command I am giving you today, so you may have strength to go in and take over the land you are about to enter.
9. और उस देश में बहुत दिन रहने पाओ, जिसे तुम्हें और तुम्हारे वंश को देने की शपथ यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से खाईं थी, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।
9. If you obey, you will enjoy a long life in the land the LORD swore to give to your ancestors and to you, their descendants-- a land flowing with milk and honey!
10. देखो, जिस देश के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो वह मि देश के समान नहीं है, जहां से निकलकर आए हो, जहां तुम बीज बोते थे और हरे साग के खेत की रीति के अनुसार अपने पांव की नलियां बनाकर सींचते थे;
10. For the land you are about to enter and take over is not like the land of Egypt from which you came, where you planted your seed and made irrigation ditches with your foot as in a vegetable garden.
11. परन्तु जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़ों और तराईयों का देश है, और आकाश की वर्षा के जल से सिंचता है;
11. Rather, the land you will soon take over is a land of hills and valleys with plenty of rain--
12. वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है; और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है।।
12. a land that the LORD your God cares for. He watches over it through each season of the year!
13. और यदि तुम मेरी आज्ञाओं को जो आज मैं तुम्हें सुनाता हूं ध्यान से सुनकर, अपने सम्पूर्ण मन और सारे प्राण के साथ, अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो और उसकी सेवा करते रहो,
13. 'If you carefully obey all the commands I am giving you today, and if you love the LORD your God and serve him with all your heart and soul,
14. तो मैं तुम्हारे देश में बरसात के आदि और अन्त दोनों समयों की वर्षा को अपने अपने समय पर बरसाऊंगा, जिस से तू अपना अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल संचय कर सकेगा।याकूब 5:7
14. then he will send the rains in their proper seasons-- the early and late rains-- so you can bring in your harvests of grain, new wine, and olive oil.
15. और मै तेरे पशुओं के लिये तेरे मैदान में घास उपजाऊंगा, और तू पेट भर खाएगा और सन्तुष्ट रहेगा।
15. He will give you lush pastureland for your livestock, and you yourselves will have all you want to eat.
16. इसलिये अपने विषय में सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन धोखा खाएं, और तुम बहककर दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उनको दण्डवत् करने लगो,
16. 'But be careful. Don't let your heart be deceived so that you turn away from the LORD and serve and worship other gods.
17. और यहोवा का कोप तुम पर भड़के, और वह आकाश की वर्षा बन्द कर दे, और भूमि अपनी उपज न दे, और तुम उस उत्तम देश में से जो यहोवा तुम्हें देता है शीघ्र नष्ट हो जाओ।
17. If you do, the LORD's anger will burn against you. He will shut up the sky and hold back the rain, and the ground will fail to produce its harvests. Then you will quickly die in that good land the LORD is giving you.
18. इसलिये तुम मेरे ये वचन अपने अपने मन और प्राण में धारण किए रहना, और चिन्हानी के लिये अपने हाथों पर बान्धना, और वे तुम्हारी आंखों के मध्य में टीके का काम दें।
18. 'So commit yourselves wholeheartedly to these words of mine. Tie them to your hands and wear them on your forehead as reminders.
19. और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते- उठते इनकी चर्चा करके अपने लड़केबालों को सिखाया करना।
19. Teach them to your children. Talk about them when you are at home and when you are on the road, when you are going to bed and when you are getting up.
20. और इन्हें अपने अपने घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना;
20. Write them on the doorposts of your house and on your gates,
21. इसलिये कि जिस देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे तुम्हें दूंगा, उस में तुम्हारे और तुम्हारे लड़केबालों की दीर्घायु हो, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।
21. so that as long as the sky remains above the earth, you and your children may flourish in the land the LORD swore to give your ancestors.
22. इसलिये यदि तुम इन सब आज्ञाओं के मानने में जो मैं तुम्हें सुनाता हूं पूरी चौकसी करके अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, और उसके सब मार्गों पर चलो, और उस से लिपटे रहो,
22. 'Be careful to obey all these commands I am giving you. Show love to the LORD your God by walking in his ways and holding tightly to him.
23. तो यहोवा उन सब जातियों को तुम्हारे आगे से निकाल डालेगा, और तुम अपने से बड़ी और सामर्थी जातियों के अधिकारी हो जाओगे।
23. Then the LORD will drive out all the nations ahead of you, though they are much greater and stronger than you, and you will take over their land.
24. जिस जिस स्थान पर तुम्हारे पांव के तलवे पडें वे सब तुम्हारे ही हो जाएंगे, अर्थात् जंगल से लबानोन तक, और परात नाम महानद से लेकर पश्चिम के समुद्र तक तुम्हारा सिवाना होगा।
24. Wherever you set foot, that land will be yours. Your frontiers will stretch from the wilderness in the south to Lebanon in the north, and from the Euphrates River in the east to the Mediterranean Sea in the west.
25. तुम्हारे साम्हने कोई भी खड़ा न रह सकेगा; क्योंकि जितनी भूमि पर तुम्हारे पांव पडेंगे उस सब पर रहनेवालों के मन में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुम्हारे कारण उन में डर और थरथराहट उत्पन्न कर देगा।
25. No one will be able to stand against you, for the LORD your God will cause the people to fear and dread you, as he promised, wherever you go in the whole land.
26. सुनो, मैं आज के दिन तुम्हारे आगे आशीष और शाप दोनों रख देता हूं।
26. 'Look, today I am giving you the choice between a blessing and a curse!
27. अर्थात् यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की इन आज्ञाओं को जो मैं आज तुम्हे सुनाता हूं मानो, तो तुम पर आशीष होगी,
27. You will be blessed if you obey the commands of the LORD your God that I am giving you today.
28. और यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को नहीं मानोगे, और जिस मार्ग की आज्ञा मैं आज सुनाता हूं उसे तजकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लोगे जिन्हें तुम नहीं जानते हो, तो तुम पर शाप पडेग़ा।
28. But you will be cursed if you reject the commands of the LORD your God and turn away from him and worship gods you have not known before.
29. और जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को उस देश में पहुंचाए जिसके अधिकारी होने को तू जाने पर है, तब आशीष गरीज्जीम पर्वत पर से और शाप एबाल पर्वत पर से सुनाना।यूहन्ना 4:20
29. 'When the LORD your God brings you into the land and helps you take possession of it, you must pronounce the blessing at Mount Gerizim and the curse at Mount Ebal.
30. क्या वे यरदन के पार, सूर्य के अस्त होने की ओर, अराबा के निवासी कनानियों के देश में, गिल्गाल के साम्हने, मोरे के बांज वृक्षों के पास नहीं है?
30. (These two mountains are west of the Jordan River in the land of the Canaanites who live in the Jordan Valley, near the town of Gilgal, not far from the oaks of Moreh.)
31. तुम तो यरदन पार इसी लिये जाने पर हो, कि जो देश तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उसके अधिकारी होकर उस में निवास करोगे;
31. For you are about to cross the Jordan River to take over the land the LORD your God is giving you. When you take that land and are living in it,
32. इसलिये जितनी विधियां और नियम मैं आज तुम को सुनाता हूं उन सभों के मानने में चौकसी करना।।
32. you must be careful to obey all the decrees and regulations I am giving you today.