29. पर यहूदी वही है, जो मन में है; और खतना वही है, जो हृदय का और आत्मा में है; न कि लेख का: ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्वर की ओर से होती है।।
व्यवस्थाविवरण 30:6
29. কিন্তু আন্তরিক যে যিহূদী সেই যিহূদী, এবং হৃদয়ের যে ত্বক্ছেদ, যাহা অক্ষরে নয়, আত্মায়, তাহাই ত্বক্ছেন, তাহার প্রশংসা মনুষ্য হইতে হয় না, কিন্তু ঈশ্বর হইতে হয়।