Luke - लूका 8 | View All

1. इस के बाद वह नगर नगर और गांव गांव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा।

1. ইহার পরেই তিনি ঘোষণা করিতে করিতে এবং ঈশ্বরের রাজ্যের সুসমাচার প্রচার করিতে করিতে নগরে নগরে ও গ্রামে গ্রামে ভ্রমণ করিলেন, আর তাঁহার সঙ্গে সেই বারো জন,

2. और वे बाहर उसके साथ थे: और कितनी स्त्रियां भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं, मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी, जिस में से सात दुष्टात्माएं निकली थीं।

2. এবং যাঁহারা দুষ্ট আত্মা কিম্বা রোগ হইতে মুক্তা হইয়াছিলেন, এমন কএকটী স্ত্রীলোক ছিলেন, মগ্দলীনী নাম্নী মরিয়ম, যাঁহা হইতে সাত ভূত বাহির হইয়াছিল,

3. और हेरोदेस के भण्डारी खोजा की पत्नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियां: ये तो अपनी सम्पत्ति से उस की सेवा करती थीं।।

3. যোহানা, যিনি হেরোদের বিষয়াধ্যক্ষ কূষের স্ত্রী, এবং শোশন্না ও অন্য অনেকগুলি স্ত্রীলোক ছিলেন; তাঁহারা আপন আপন সম্পত্তি হইতে তাঁহাদের পরিচর্য্যা করিতেন।

4. जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उस ने दृष्टान्त में कहा।

4. আর যখন বিস্তর লোক সমাগত হইতেছিল, এবং ভিন্ন ভিন্ন নগর হইতে লোকেরা তাঁহার নিকট আসিতেছিল, তখন তিনি দৃষ্টান্ত দ্বারা কহিলেন,

5. कि एक बोने वाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया।

5. বীজবাপক আপন বীজ বপন করিতে গেল। বপনের সময়ে কতক বীজ পথের পার্শ্বে পড়িল, তাহাতে তাহা পদতলে দলিত হইল, ও আকাশের পক্ষিগণ তাহা খাইয়া ফেলিল।

6. और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु तरी न मिलने से सूख गया।

6. আর কতক পাষাণের উপরে পড়িল, তাহাতে তাহা অঙ্কুরিত হইলে রস না পাওয়াতে শুকাইয়া গেল।

7. कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ साथ बढ़कर उसे दबा लिया।

7. আর কতক কাঁটাবনের মধ্যে পড়িল, তাহাতে কাঁটা সকল সঙ্গে সঙ্গে অঙ্কুরিত হইয়া তাহা চাপিয়া রাখিল।

8. और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया: यह कहकर उस ने ऊंचे शब्द से कहा; जिस के सुनने के कान हों वह सुन लें।।

8. আর কতক বীজ উত্তম ভূমিতে পড়িল, তাহাতে তাহা অঙ্কুরিত হইয়া শত গুণ ফল উৎপন্ন করিল। এই কথা বলিয়া তিনি উচ্চ রবে কহিলেন, যাহার শুনিতে কাণ থাকে, সে শুনুক।

9. उसके चेलों ने उस से पूछा, कि यह दृष्टान्त क्या है? उस ने कहा;

9. পরে তাঁহার শিষ্যগণ তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, ঐ দৃষ্টান্তের ভাব কি?

10. तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिये कि वे देखते हुए भी न देखें, और सुनते हुए भी न समझें।
यशायाह 6:9-10

10. তিনি কহিলেন, ঈশ্বরের রাজ্যের নিগূঢ় তত্ত্ব সকল তোমাদিগকে জানিতে দেওয়া হইয়াছে; কিন্তু আর সকলের নিকটে দৃষ্টান্ত দ্বারা বলা গিয়াছে; যেন তাহারা দেখিয়াও না দেখে, এবং শুনিয়াও না বুঝে।

11. दृष्टान्त यह है; बीज तो परमेश्वर का वचन है।

11. দৃষ্টান্তটী এই; সেই বীজ ঈশ্বরের বাক্য।

12. मार्ग के किनरे के वे हैं, जिन्हों ने सुना; तब शैतान आकर उन के मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं।

12. আর তাহারাই পথের পার্শ্বের লোক, যাহারা শুনিয়াছে, পরে দিয়াবল আসিয়া তাহাদের হৃদয় হইতে সেই বাক্য হরণ করিয়া লয়, যেন তাহারা বিশ্বাস করিয়া করিয়া পরিত্রাণ না পায়।

13. चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ते से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।

13. আর তাহারাই পাষাণের উপরের লোক, যাহারা শুনিয়া আনন্দপূর্ব্বক সেই বাক্য গ্রহণ করে, কিন্তু তাহাদের মূল নাই, তাহারা অল্প কালমাত্র বিশ্বাস করে, আর পরীক্ষার সময়ে সরিয়া পড়ে।

14. जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर होते होते चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता।

14. আর যাহা কাঁটাবনের মধ্যে পড়িল, তাহা এমন লোক, যাহারা শুনিয়াছে, কিন্তু চলিতে চলিতে জীবনের চিন্তা ও ধন ও সুখভোগের দ্বারা চাপা পড়ে, এবং পক্ব ফল উৎপন্ন করে না।

15. पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।।

15. আর যাহা উত্তম ভূমিতে পড়িল, তাহা এমন লোক, যাহারা সৎ ও উত্তম হৃদয়ে বাক্য শুনিয়া ধরিয়া রাখে, এবং ধৈর্য্য সহকারে ফল উৎপন্ন করে।

16. कोई दीया बार के बरतन से नहीं छिपाता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पांए।

16. আর প্রদীপ জ্বালিয়া কেহ পাত্র দিয়া ঢাকে না, কিম্বা খাটের নীচে রাখে না, কিন্তু দীপাধারের উপরেই রাখে, যেন যাহারা ভিতরে যায়, তাহারা আলো দেখিতে পায়।

17. कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो।

17. কারণ এমন গুপ্ত কিছুই নাই, যাহা প্রকাশিত হইবে না; এবং এমন লুক্কায়িত কিছুই নাই, যাহা জানা যাইবে না ও প্রকাশ পাইবে না।

18. इसलिये चौकस रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो? क्योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं है, उस वे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।।

18. অতএব দেখিও, তোমরা কিরূপে শুন; কেননা যাহার আছে, তাহাকে দেওয়া যাইবে; আর যাহার নাই, তাহার বোধে যাহা আছে, তাহাও তাহার নিকট হইতে লওয়া যাইবে।

19. उस की माता और भाई उसके पास आए, पर भीड़ के कारण उस से भेंट न कर सके।

19. আর তাঁহার মাতা ও ভ্রাতৃগণ তাঁহার নিকটে আসিলেন, কিন্তু জনতা প্রযুক্ত তাঁহার সহিত সাক্ষাৎ করিতে পারিলেন না।

20. और उस से कहा गया, कि तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।

20. পরে তাঁহাকে জানান হইল, আপনার মাতা ও আপনার ভ্রাতারা আপনাকে দেখিবার বাসনায় বাহিরে দাঁড়াইয়া আছেন।

21. उस ने उसके उत्तर में उन से कहा कि मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।।

21. তিনি উত্তর করিয়া তাহাদিগকে কহিলেন, এই যে ব্যক্তিরা ঈশ্বরের বাক্য শুনে ও পালন করে, ইহারাই আমার মাতা ও ভ্রাতৃগণ।

22. फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उस ने उन से कहा; कि आओ, झील के पार चलें: सो उन्हों ने नाव खोल दी।

22. এক দিন তিনি স্বয়ং ও তাঁহার শিষ্যগণ একখানি নৌকায় উঠিলেন; আর তিনি তাঁহাদিগকে বলিলেন, আইস, আমরা হ্রদের ওপারে যাই; তাহাতে তাঁহারা খুলিয়া দিলেন।

23. पर जब नाव चल रही थी, तो वह सो गया: और झील पर आन्धी आई, और नाव पानी से भरने लगी और वे जोखिम में थे।

23. কিন্তু তাঁহারা নৌকা ছাড়িয়া দিলে তিনি নিদ্রা গেলেন, আর হ্রদে ঝড় আসিয়া পড়িল, তাহাতে নৌকা জলে পূর্ণ হইতে লাগিল, ও তাঁহারা সঙ্কটে পড়িলেন।

24. तब उन्हों ने पास आकर उसे जगाया, और कहा; हे स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं: तब उस ने उठकर आन्धी को और पानी की लहरों को डांटा और वे थम गए, और चैन हो गया।
निर्गमन 8:4

24. পরে তাঁহারা নিকটে গিয়া তাঁহাকে জাগাইয়া কহিলেন, নাথ, নাথ, আমরা মারা পড়িলাম। তখন তিনি জাগিয়া উঠিয়া বায়ুকে ও জলের তরঙ্গকে ধমক্‌ দিলেন, আর উভয়ই থামিয়া গেল, ও শান্তি হইল।

25. और उस ने उन से कहा; तुम्हारा विश्वास कहां था? पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, यह कौन है? जो आन्धी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उस की मानते हैं।।
यशायाह 52:14

25. পরে তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমাদের বিশ্বাস কোথায়? তখন তাঁহারা ভীত হইয়া আশ্চর্য্য জ্ঞান করিলেন, পরস্পর কহিলেন, ইনি তবে কে যে বায়ুকে ও জলকেও আজ্ঞা দেন, আর তাহারা ইহাঁর আজ্ঞা মানে?

26. फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुंचे, जो उस पार गलील के साम्हने है।

26. পরে তাঁহারা গালীলের পরপারস্থ গেরাসেনীদের অঞ্চলে পহুঁছিলেন।

27. जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिस में दुष्टात्माएं थीं और बहुत दिनों से न कपड़े पहिनता था और न घर में रहता था वरन कब्रों में रहा करता था।

27. আর তিনি স্থলে নামিলে ঐ নগরের একটা ভূতগ্রস্ত লোক সম্মুখে উপস্থিত হইল; সে অনেক দিন হইতে কাপড় পরিত না, ও গৃহে বাস করিত না, কিন্তু কবরে থাকিত।

28. वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके साम्हने गिरकर ऊंचे शब्द से कहा; हे परम प्रधान परमेश्वर के पुत्रा यीशु, मुझे तुझ से क्या काम! मैं तेरी बिनती करता हूं, मुझे पीड़ा न दे!

28. যীশুকে দেখিবামাত্র সে চীৎকার করিয়া উঠিল, এবং তাঁহার সম্মুখে পড়িয়া উচ্চ রবে কহিল, হে যীশু, পরাৎপর ঈশ্বরের পুত্র, আপনার সহিত আমার সম্পর্ক কি? আপনাকে বিনতি করি, আমাকে যাতনা দিবেন না।

29. क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिये कि वह उस पर बार बार प्रबल होती थी; और यद्यपि लोग उसे सांकलों और बेड़ियों से बांधते थे, तौभी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उस में पैठ गई थी।

29. কারণ তিনি সেই অশুচি আত্মাকে লোকটী হইতে বাহির হইয়া যাইতে আজ্ঞা করিলেন; কেননা ঐ আত্মা দীর্ঘকাল অবধি তাহাকে ধরিয়াছিল, আর শৃঙ্খল ও বেড়ী দ্বারা বদ্ধ হইয়া রক্ষিত হইলেও সে বন্ধন ছিঁড়িয়া ভূতের বশে নির্জ্জন স্থানে চালিত হইত।

30. और उन्हों ने उस से बिनती की, कि हमें अथाह गड़हे में जाने की आज्ञा न दे।

30. যীশু তাহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, তোমার নাম কি? সে কহিল, বাহিনী; কেননা অনেক ভূত তাহার মধ্যে প্রবেশ করিয়াছিল।

31.

31. পরে তাহারা তাঁহাকে বিনতি করিতে লাগিল, যেন তিনি তাহাদিগকে রসাতলে চলিয়া যাইতে আজ্ঞা না দেন।

32. वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, सो उन्हों ने उस से बिनती की, कि हमें उन में पैठने दे, सो उस ने उन्हें जाने दिया।

32. সেই স্থানে পর্ব্বতের উপরে বৃহৎ এক শূকরপাল চরিতেছিল; তাহাতে ভূতগণ তাঁহাকে বিনতি করিল, যেন তিনি তাহাদিগকে শূকরদের মধ্যে প্রবেশ করিতে অনুমতি দেন; তিনি তাহাদিগকে অনুমতি দিলেন।

33. वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, सो उन्हों ने उस से बिनती की, कि हमें उन में पैठने दे, सो उस ने उन्हें जाने दिया।

33. তখন ভূতগণ সেই লোকটী হইতে বাহির হইয়া শূকরদিগের মধ্যে প্রবেশ করিল, তাহাতে সেই পাল বেগে ঢালু পাড় দিয়া দৌড়িয়া গিয়া হ্রদে পড়িয়া ডুবিয়া মরিল।

34. तब दुष्टात्माएं उस मनुष्य से निकलकर सूअरों में गई और वह झुण्ड कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा।

34. এই ঘটনা দেখিয়া, যাহারা সেগুলিকে চরাইতেছিল, তাহারা পলায়ন করিল, এবং নগরে ও পল্লীতে পল্লীতে সংবাদ দিল।

35. चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गांवों में जाकर उसका समाचार कहा।

35. তখন কি ঘটিয়াছে, দেখিবার জন্য লোকেরা বাহির হইল, এবং যীশুর নিকটে আসিয়া দেখিল, যে লোকটী হইতে ভূতগণ বাহির হইয়াছে, সে কাপড় পরিয়া ও সুবোধ হইয়া যীশুর চরণতলে বসিয়া আছে; তাহাতে তাহারা ভয় পাইল।

36. और लोग यह जो हुआ था उसके देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएं निकली थीं, उसे यीशु के पांवों के पास कपड़े पहिने और सचेत बैठे हुए पाकर डर गए।

36. আর যাহারা দেখিয়াছিল, তাহারা সেই ভূতগ্রস্থ কিরূপে সুস্থ হইয়াছিল, তাহা তাহাদিগকে বলিল।

37. और देखनेवालों ने उन को बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ।

37. তাহাতে গেরাসেনীদের প্রদেশের চারিদিকের সমস্ত লোক তাঁহাকে বিনতি করিল, যেন তিনি তাহাদের নিকট হইতে চলিয়া যান; কেননা তাহারা মহাভয়ে আক্রান্ত হইয়াছিল, তখন তিনি নৌকায় উঠিয়া ফিরিয়া আসিলেন।

38. तब गिरासेनियों के आस पास के सब लोगों ने यीशु से बिनती की, कि हमारे यहां से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था: सो वह नाव पर चढ़कर लौट गया।

38. আর যাহা হইতে ভূতগণ বাহির হইয়াছিল, সেই লোকটী প্রার্থনা করিল, যেন তাঁহার সঙ্গে থাকিতে পারে;

39. जिस मनुष्य से दुष्टात्माएें निकली थीं वह उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा।

39. কিন্তু তিনি তাহাকে বিদায় করিয়া কহিলেন, তুমি তোমার গৃহে ফিরিয়া যাও, এবং তোমার নিমিত্ত ঈশ্বর যে যে মহৎ কার্য্য করিয়াছেন, তাহার বৃত্তান্ত বল। তাহাতে সে চলিয়া গিয়া, যীশু তাহার জন্য যে যে মহৎ কার্য্য করিয়াছেন, তাহা নগরের সর্ব্বত্র প্রচার করিতে লাগিল।

40. अपने घर में लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं: वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए।।

40. যীশু ফিরিয়া আসিলে লোকেরা তাঁহাকে সাদরে গ্রহণ করিল; কারণ সকলে তাঁহার অপেক্ষা করিতেছিল।

41. जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उस से आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उस की बाट जोह रहे थे।

41. আর দেখ, যায়ীর নামে এক ব্যক্তি আসিলেন; তিনি সমাজ-গৃহের এক জন অধ্যক্ষ। তিনি যীশুর চরণে পড়িয়া তাঁহার গৃহে আসিতে তাঁহাকে বিনতি করিতে লাগিলেন;

42. और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पांवों पर गिर के उस से बिनती करने लगा, कि मेरे घर चल।

42. কারণ তাঁহার একটী মাত্র কন্যা ছিল, বয়স কমবেশ বারো বৎসর, আর সে মৃতপ্রায় হইয়াছিল। যীশু যখন যাইতেছিলেন, লোকেরা তাঁহার উপরে চাপাচাপি করিয়া পড়িতে লাগিল।

43. क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी: जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे।।

43. আর, একটী স্ত্রীলোক, যে বারো বৎসর অবধি প্রদর রোগগ্রস্ত হইয়াছিল, যে চিকিৎসকদের পিছনে সর্ব্বস্ব ব্যয় করিয়াও কাহারও দ্বারা সুস্থ হইতে পারে নাই,

44. और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी।

44. সে পশ্চাৎ দিকে আসিয়া তাঁহার বস্ত্রের থোপ স্পর্শ করিল; আর তৎক্ষণাৎ তাহার রক্তস্রাব বদ্ধ হইল।

45. पीछे से आकर उसके वस्त्रा के आंचल को छूआ, और तुरन्त उसका लोहू बहना थम गया।

45. তখন যীশু কহিলেন, কে আমাকে স্পর্শ করিল? সকলে অস্বীকার করিলে পিতর ও তাঁহার সঙ্গীরা বলিলেন, নাথ, লোকসমূহ চাপাচাপি করিয়া আপনার উপরে পড়িতেছে।

46. इस पर यीशु ने कहा, मुझे किस ने छूआ? जब सब मुकरने लगे, तो पतरस और उसके साथियों ने कहा; हे स्वामी, तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है।

46. কিন্তু যীশু কহিলেন, আমাকে কেহ স্পর্শ করিয়াছে, কেননা আমি টের পাইয়াছি আমা হইতে শক্তি বাহির হইল।

47. परन्तु यीशु ने कहा: किसी ने मुझे छूआ है क्योंकि मैं ने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ निकली है।

47. স্ত্রীলোকটী যখন দেখিল, সে গুপ্ত নহে, তখন কাঁপিতে কাঁপিতে আসিল, এবং তাঁহার সম্মুখে প্রণিপাত করিয়া, কি নিমিত্ত তাঁহাকে স্পর্শ করিয়াছিল এবং কি প্রকারে তৎক্ষণাৎ সুস্থ হইয়াছিল, তাহা সকল লোকের সাক্ষাতে বর্ণনা করিল।

48. जब स्त्री ने देखा, कि मैं छिप नहीं सकती, तब कांपती हुई आई, और उसके पांवों पर गिरकर सब लोगों के साम्हने बताया, कि मैं ने किस कारण से तुझे छूआ, और क्योंकर तुरन्त चंगी हो गई।

48. তিনি তাহাকে কহিলেন, বৎসে! তোমার বিশ্বাস তোমাকে সুস্থ করিল; শান্তিতে চলিয়া যাও।

49. उस ने उस से कहा, बेटी तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।

49. তিনি কথা কহিতেছেন, এমন সময়ে সমাজাধ্যক্ষের বাটী হইতে এক জন আসিয়া কহিল, আপনার কন্যার মৃত্যু হইয়াছে, গুরুকে আর কষ্ট দিবেন না।

50. वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहां से आकर कहा, तेरी बेटी मर गई: गुरू को दु:ख न दे।

50. তাহা শুনিয়া যীশু তাঁহাকে উত্তর করিলেন, ভয় করিও না, কেবল বিশ্বাস কর, তাহাতে সে সুস্থ হইবে।

51. यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी।

51. পরে তিনি সেই বাটীতে উপস্থিত হইলে, পিতর, যাকোব ও যোহন এবং বালিকাটীর পিতা ও মাতা ছাড়া আর কাহাকেও প্রবেশ করিতে দিলেন না।

52. घर में आकर उस ने पतरस औरा यूहन्ना और याकूब और लड़की के माता- पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया।

52. তখন সকলে তাহার জন্য কাঁদিতেছিল, ও বিলাপ করিতেছিল। তিনি কহিলেন, কাঁদিও না; সে মরে নাই, ঘুমাইয়া রহিয়াছে।

53. और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उस ने कहा; रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है।

53. তখন তাহারা তাঁহাকে উপহাস করিল, কেননা তাহারা জানিত, সে মরিয়া গিয়াছে।

54. वे यह जानकर, कि मर गई है, उस की हंसी करने लगे।

54. কিন্তু তিনি তাহার হাত ধরিয়া ডাকিয়া কহিলেন, বালিকে, উঠ।

55. परन्तु उस ने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, हे लकड़ी उठ!

55. তাহাতে তাহার আত্মা ফিরিয়া আসিল, ও সে তৎক্ষণাৎ উঠিল; আর তিনি তাহাকে কিছু আহার দিতে আজ্ঞা করিলেন।

56. तब उसके प्राण फिर आए और वह तुरन्त उठी; फिर उस ने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए।

56. ইহাতে তাহার পিতামাতা চমৎকৃত হইল, কিন্তু তিনি তাহাদিগকে আজ্ঞা করিলেন, এ ঘটনার কথা কাহাকেও বলিও না।



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