Daniel - दानिय्येल 11 | View All

1. और दारा नाम मादी राजा के राज्य के पहिले वर्ष में उसको हियाव दिलाने और बल देने के लिये मैं खड़ा हो गया ।।

1. আর মাদীয় দারিয়াবসের প্রথম বৎসরে আমিই তাঁহাকে সবল ও শক্তিমান্‌ করিতে দাঁড়াইয়াছিলাম।

2. और अब मैं तुझ को सच्ची बात बताता हूं। देख, फारस के राज्य में अब तीन और राजा उठेंगे; और चौथा राजा उन सभों से अधिक धनी होगा; और जब वह धन के कारण सामर्थी होगा, तब सब लोगों को यूनान के राज्य के विरूद्ध उभारेगा।

2. যাহা হউক, এখন আমি তোমাকে সত্য কথা জ্ঞাত করিব। দেখ, পারস্যে আর তিন রাজা উৎপন্ন হইবে, আর চতুর্থ রাজা সর্ব্বাপেক্ষা অধিক ধনশালী হইবে, এবং আপন ধনে শক্তিমান্‌ হইলে যবন-রাজ্যের বিরুদ্ধে সকলকে উত্তেজিত করিবে।

3. उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठकर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा।

3. পরে বীর্য্যবান্‌ এক রাজা উৎপন্ন হইবে, সে মহাকর্ত্তৃত্ব-বিশিষ্ট কর্ত্তা হইবে ও স্বেচ্ছানুসারে কর্ম্ম করিবে।

4. और जब वह बड़ा होगा, तब उसका राज्य टूटेगा और चारों दिशाओं में बटकर अलग अलग हो जाएगा; और न तो उसके राज्य की शक्ति ज्यों की त्यों रहेगी और न उसके वंश को कुछ मिलेगा; क्योंकि उसका राज्य उखड़कर, उनकी अपेक्षा और लोगों को प्राप्त होगा।।

4. সে উৎপন্ন হইলে তাহার রাজ্য ভগ্ন হইবে, আকাশের চারি বায়ুর দিকে বিভক্ত হইবে, কিন্তু তাহার বংশের নিমিত্ত নয়, আর সে যে কর্ত্তৃত্ব করিত, তদনুসারে নয়; বস্তুতঃ তাহার রাজ্য উৎপাটিত হইয়া উহাদের নয়, কিন্তু অন্যদের হইবে।

5. तब दक्खिन देश का राजा बल पकड़ेगा; परन्तु उसका एक हाकिम उस से अधिक बल पकड़कर प्रभुता करेगा; यहां तक कि उसकी प्रभुता बड़ी हो जाएगी।

5. আর দক্ষিণ দেশের রাজা বলবান হইবে, কিন্তু তাহার অধ্যক্ষদের মধ্যে এক জন তাহা হইতেও বলবান হইয়া প্রভুত্ব পাইবে, তাহার প্রভুত্ব মহাপ্রভুত্ব হইবে।

6. कई वर्षों के बीतने पर, वे दोनों आपस में मिलेंगे, और दक्खिन देश के राजा की बेटी उत्तर देश के राजा के पास शान्ति की वाचा बान्धने को आएगी; परन्तु उसका बाहुबल बना न रहेगा, और न वह राजा और न उसका नाम रहेगा; परन्तु वह स्त्री अपने पहुंचानेवालों और अपने पिता और अपने सम्भालनेवालों समेत अलग कर दी जाएगी।।

6. আর, বৎসরনিচয়ের শেষে তাহারা পরস্পর সম্বন্ধ পাতাইবে, আর মিলন করণার্থে দক্ষিণ দেশের রাজার কন্যা উত্তর দেশের রাজার কাছে গমন করিবে; কিন্তু সে কন্যা নিজের বাহুবল রক্ষা করিবে না, এবং সে রাজা ও তাহার বাহু স্থায়ী হইবে না; কিন্তু সেই মহিলা, এবং যাহারা তাহাকে আনিয়াছিল, আর যে তাহার জন্ম দিয়াছিল, ও যে তৎকালে তাহাকে বল দিয়াছিল, সকলে সমর্পিত হইবে।

7. फिर उसकी जड़ों में से एक डाल उत्पन्न होकर उसके स्थान में बढ़ेगी; वह सेना समेत उत्तर के राजा के गढ़ में प्रवेश करेगा, ओश्र उन से युद्ध करके प्रबल होगा।

7. তথাপি তাহার মূলের এক পল্লব হইতে এক জন তাহার পদে উৎপন্ন হইবে, আর সৈন্যের বিরুদ্ধে আসিয়া উত্তর দেশের রাজার দুর্গে প্রবেশ করিবে, এবং সেই সকলের বিপক্ষে ব্যাপৃত হইয়া পরাক্রম দেখাইবে।

8. तब वह उसके देवताओं की ढली हुई मूरतों, और सोने- चान्दी के मनभाऊ पात्रों को छीनकर मि में ले जाएगा; इसके बाद वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा के विरूद्ध हाथ रोके रहेगा।

8. আর সে তাহাদের ঢালা প্রতিমাগণের সহিত, তাহাদের রৌপ্য ও স্বর্ণের নানা রমণীয় পাত্রের সহিত তাহাদের দেবগণকে বন্দি করিয়া মিসরে লইয়া যাইবে, পরে কয়েক বৎসর উত্তর দেশের রাজা হইতে নিবৃত্ত থাকিবে।

9. ृतब वह राजा दक्खिन देश के राजा के देश में आएगा, परन्तु फिर अपने देश में लौट जाएगा।।

9. আর সে দক্ষিণ দেশের রাজার রাজ্যে প্রবেশ করিবে, কিন্তু নিজ দেশে ফিরিয়া যাইবে।

10. उसके पुत्रा झगड़ा मचाकर बहुत से बड़े बड़े दल इकट्टे करेंगे, और उपण्डनेवाली नदी की नाईं आकर देश के बीच होकर जाएंगे, फिर लौटते हुए उसके गढ़ तक झगड़ा मचाते जाएेंगे।

10. তাহার পুত্রগণ যুদ্ধ করিবে, এবং বিপুল বলসমারোহ সংগ্রহ করিবে; তাহারা আসিবে, উথলিয়া উঠিয়া বাড়িতে থাকিবে, এবং তাহারা ফিরিয়া আসিবে, ও তাহার দুর্গ পর্য্যন্ত যুদ্ধ করিবে।

11. तब दक्खिन देश का राजा चिढ़ेगा, और निकलकर उत्तर देश के उस राजा से युद्ध करेगा, और वह राजा लड़ने के लिये बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा, परन्तु वह भीड़ उसके हाथ में कर दी जाएगी।

11. তাহাতে দক্ষিণ দেশের রাজা ক্রোধাবিষ্ট হইবে, এবং যাত্রা করিয়া তাহার সহিত, উত্তর দেশের রাজার সহিত, সংগ্রাম করিবে, সেও মহাসমারোহে একত্র করিবে, কিন্তু সেই সমারোহ উহার হস্তে সমর্পিত হইবে।

12. उस भीड़ को जीत करके उसका मन फूल उठेगा, और वह लाखों लोगों को गिराएगा, परन्तु वह प्रबल न होगा।

12. ঐ সমারোহ নীত হইবে ও সে উদ্ধতচিত্ত হইবে, আর সহস্র সহস্র লোককে নিপাত করিবে, তথাপি প্রবল থাকিবে না।

13. क्योंकि उत्तर देश का राजा लौटकर पहिली से भी बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा; और कई दिनों वरन वर्षों के बीतने पर वह निश्चय बड़ी सेना और सम्पत्ति लिए हुए आएगा।।

13. উত্তর দেশের রাজা ফিরিয়া আসিবে, এবং প্রথম সমারোহ অপেক্ষা বৃহৎ সমারোহ একত্র করিবে; আর কাল-পর্য্যায়ের শেষে, বৎসরনিচয়ের শেষে, মহাসৈন্য ও প্রচুর সামগ্রী লইয়া আসিবে।

14. उन दिनों में बहुत से लोग दक्खिन देश के राजा के विरूद्ध उठेंगे; वरन तेरे लोगों में से भी बलात्कारी लोग उठ खड़े होंगे, जिस से इस दर्शन की बात पूरी हो जाएगी; परन्तु वे ठोकर खाकर गिरेंगे।

14. তৎকালে দক্ষিণ দেশের রাজার বিরুদ্ধে অনেক লোক উঠিবে; এবং এই দর্শন যাহাতে সফল হয়, সেই জন্য তোমার জাতির মধ্যে দুর্জ্জন-সন্তানেরা আপনাদিগকে উচ্চ করিবে, কিন্তু তাহারা পতিত হইবে।

15. तब उत्तर देश का राजा आकर किला बान्धेगा और दृढ़ नगर ले लेगा। और दक्खिन देश के न तो प्रधान खड़े रहेेंगे और न बड़े वीर; क्योंकि किसी के खड़े रहने का बल न रहेगा।

15. এইরূপে উত্তর দেশের রাজা আসিবে, জাঙ্গাল বাঁধিবে, এবং সুদৃঢ় নগর হস্তগত করিবে; তাহাতে দক্ষিণ দেশের সৈন্য ও তাহার মনোনীত লোকেরা স্থির থাকিবে না, স্থির থাকিতে তাহাদের শক্তি হইবে না।

16. तब जो भी उनके विरूद्ध आएगा, वह अपनी इच्छा पूरी करेगा, और वह हाथ में स्त्यानाश लिए हुए शिरोमणि देश में भी खड़ा होगा और उसका साम्हना करनेवाला कोई न रहेगा।

16. কিন্তু যে তাহার বিরুদ্ধে আসিবে, সে স্বেচ্ছানুসারে কার্য্য করিবে, তাহার সাক্ষাতে কেহ দাঁড়াইতে পারিবে না; আর সে দেশরত্নে দণ্ডায়মান হইবে, ও তাহার হস্তে বিনাশ থাকিবে।

17. तब वह अपने राज्य के पूर्ण बल समेत, कई सीधे लोगों को संग लिए हुए आने लगेगा, और अपनी इच्छा के अनुसार काम किया करेगा। और वह उसको एक स्त्री इसलिये देगा कि उसका राज्य बिगाडा जाए; परन्तु वह स्थिर न रहेगी, न उस राजा की होगी।

17. পরে সে আপন সমস্ত রাজ্যের পরাক্রম সঙ্গে করিয়া আসিবার জন্য উন্মুখ হইবে, ও তাহার সহিত সাম্য-নিয়ম স্থাপন করিবে; এবং বিনাশ করিবার নিমিত্ত উহাকে নারীগণের কন্যা দিবে, কিন্তু এটা স্থির থাকিবে না, ও তাহার হইবে না।

18. तब वह द्धीपों की ओर मुंह करके बहुतों को ले लेगा; परन्तु एक सेनापति उसके अहंकार को मिटाएगा; वरन उसके अहंकार के अनुकूल उसे बदला देता।

18. পরে সে উপকূল-সমূহের বিরুদ্ধে গিয়া অনেককে হস্তগত করিবে; কিন্তু এক সেনাপতি তাহার কৃত টিটকারি নিবৃত্ত করিবে, এমন কি, সে তাহার টিটকারি তাহারই উপরে ফিরাইয়া দিবে।

19. तब वह अपने देश के गढ़ों की ओर मुंह फेरेगा, और वह ठोकर खाकर गिरेगा, और कहीं उसका पता न रहेगा।

19. তখন সে আপন দেশের দুর্গ সকলের প্রতি মুখ ফিরাইবে; কিন্তু উছোট খাইয়া পড়িবে, তাহার উদ্দেশ আর পাওয়া যাইবে না।

20. तब उसके स्थान में कोई ऐसा उठेगा, जो शिरोमणि राज्य में अन्धेर करनेवाले को घुमाएगा; परन्तु थोड़े दिन बीतने पर वह क्रोध वा युद्ध किए बिना ही नाश हो जाएगा।

20. পরে এমন এক জন তাহার পদ প্রাপ্ত হইবে, যে রাজ্যের শোভাস্থানে প্রজাপীড়ককে প্রেরণ করিবে, কিন্তু সে অল্প দিনের মধ্যে বিনষ্ট হইবে, ক্রোধেও নয়, যুদ্ধেও নয়।

21. उसके स्थान में एक तुच्छ मनुष्य उठेगा, जिसकी राजप्रतिष्ठा पहिले तो न होगी, तौभी वह चैन के समय आकर चिकनी- चुपड़ी बातों के द्वारा राज्य को प्राप्त करेगा।

21. পরে এক জন তুচ্ছ ব্যক্তি তাহার পদ পাইবে। তাহাকে রাজ্যের প্রভা দত্ত হয় নাই, কিন্তু সে নিশ্চিন্ততার সময়ে আসিয়া চাটুবাদ দ্বারা রাজ্য লাভ করিবে;

22. तब उसकी भुजारूपी बाढ़ से लोग, वरन वाचा का प्रधान भी उसके साम्हने से बहकर नाश होंगे।

22. তাহার সম্মুখ হইতে আপ্লাবনকারী সৈন্য সকল আপ্লাবিত হইয়া ভগ্ন হইবে, এবং নিয়মের নায়কও ভগ্ন হইবে।

23. क्योंकि वह उसके संग वाचा बान्धने पर भी छल करेगा, और थोड़े ही लोगों को संग लिए हुए चढ़कर प्रबल होगा।

23. তাহার সহিত মিত্রতার কথা স্থির করণাবধি সে ছলনা করিবে, কারণ সে আসিয়া অল্প লোক দ্বারা পরাক্রমী হইবে।

24. चैन के समय वह प्रान्त के उत्तम से उत्तम स्थानों पर चढ़ाई करेगा; और जो काम न उसके पुरखा और न उसके पुरखाओं के पुरखा करते थे, उसे वह करेगा; और लूटी हुई धन- सम्पत्ति उन में बहुत बांटा करेगा। वह कुछ काल तक दृढ़ नगरों के लेने की कल्पना करता रहेगा।

24. সে নিশ্চিন্ততার সময়ে প্রদেশের অতি উত্তম উত্তম স্থানে প্রবেশ করিবে, এবং তাহার পিতৃপুরুষেরা এবং পিতৃপুরুষদের পিতৃপুরুষেরাও যাহা করে নাই, তাহা করিবে; সে লোকদের মধ্যে লুটদ্রব্য, হৃতবস্তু এবং সম্পত্তি বিকীর্ণ করিবে, দৃঢ় দুর্গ সকলের বিরুদ্ধে কৌশল কল্পনা করিবে, কিছু কাল করিবে।

25. तब वह दक्खिन देश के राजा के विरूद्ध बड़ी सेना लिए हुए अपने बल और हियाव को बढ़ाएगा, और दक्खिन देश का राजा अत्यन्त बड़ी सामर्थी सेना लिए हुए युद्ध तो करेगा, परन्तु ठहर न सकेगा, क्योंकि लोग उसके विरूद्ध कल्पना करेंगे।

25. আর সে অনেক সৈন্য সঙ্গে লইয়া দক্ষিণ দেশের রাজার বিরুদ্ধে আপন বল ও চিত্ত উত্তেজিত করিবে; তাহাতে দক্ষিণ দেশের রাজা অতি পরাক্রান্ত বিস্তর সৈন্য সঙ্গে লইয়া যুদ্ধ করিবে, কিন্তু স্থির থাকিবে না, কেননা তাহারা তাহার বিরুদ্ধে নানা কৌশল কল্পনা করিবে।

26. उसके भोजन के खानेवाले भी उसको हरवाएंगे; और यघपि उसकी सेना बाढ़ की नाईं चढ़ेंगी, तौभी उसके बहुत से लोग मर मिटेंगे।

26. যাহারা তাহার আহারীয় দ্রব্যের ভাগী, তাহারাই তাহাকে বিনষ্ট করিবে, ও উহার সৈন্য আপ্লাবন করিবে; এবং অনেকে নিহত হইয়া পড়িবে।

27. तब उन दोनों राजाओं के मन बुराई करने में लगेंगे, यहां तक कि वे एक ही मेज पर बैठे हुए आपस में झूठ बोलेंगे, परन्तु इस से कुछ बन न पड़ेगा; क्योंकि इन सब बातों का अन्त नियत ही समय में होनेवाला है।

27. আর এই দুই রাজার চিত্ত হিংসাপূর্ণ হইবে, এবং তাহারা এক মেজে বসিয়া মিথ্যাকথা কহিবে, কিন্তু তাহা সফল হইবে না, কেননা তখনও শেষ নিরূপিত কালের অপেক্ষা করিবে।

28. तब उत्तर देश का राजा बड़ी लूट लिए हुए अपने देश को लौटेगा, और उसका मन पवित्रा वाचा के विरूद्ध उभरेगा, और वह अपनी इच्छ पूरी करके अपने देश को लौट जाएगा।।

28. আর সে অনেক সম্পত্তি লইয়া আপন দেশে ফিরিয়া যাইবে, ও তাহার অন্তঃকরণ পবিত্র নিয়মের বিপক্ষ হইবে, এবং যে কার্য্য করিয়া আপন দেশে ফিরিয়া যাইবে।

29. नियत समय पर वह फिर दक्खिन देश की ओर जाएगा, परन्तु उस पिछली बार के समान इस बार उसका वश न चलेगा।

29. নিরূপিত কালে সে ফিরিয়া আসিবে, দক্ষিণ দেশে প্রবেশ করিবে, কিন্তু পূর্ব্বকালে যেমন ছিল, উত্তরকালে তেমন হইবে না।

30. क्योंकि कित्तियों के जहाज उसके विरूद्ध आएंगे, और वह उदास होकर लौटेगा, और पवित्रा वाचा पर चिढ़कर अपनी इच्छा पूरी करेगा। वह लौटकर पवित्रा वाचा के तोड़नेवालों की सुधि लेगा।

30. কারণ কিত্তীমের জাহাজ সকল তাহার বিরুদ্ধে আসিবে, এজন্য সে বিষণ্ণ হইয়া ফিরিয়া যাইবে, ও পবিত্র নিয়মের বিরুদ্ধে ক্রোধ করিয়া কার্য্য করিবে; সে ফিরিয়া আসিবে, যাহারা পবিত্র নিয়ম ত্যাগ করে, তাহাদের প্রতি মনোযোগ করিবে।

31. तब उसके सहायक खड़े होकर, दृढ़ पवित्रा स्थान को अपवित्रा करेंगे, और नित्य होमबलि को बन्द करेंगे। और वे उस घृणित वस्तु को खड़ा करेंगे जो उजाड़ करा देती है।
मत्ती 24:15, मरकुस 13:14

31. আর তাহার নিকট হইতে সৈন্যগণ উঠিবে, ধর্ম্মধাম অর্থাৎ দুর্গ অশুচি করিবে, নিত্য নৈবেদ্য নিবৃত্ত করিবে, এবং ধ্বংসকারী ঘৃণার্হ বস্তু স্থাপন করিবে।

32. और जो दुष्ट होकर उस वाचा को तोड़ेंगे, उनको वह चिकनी- चुपड़ी बातें कह कहकर भक्तिहीन कर देगा; परन्तु जो लोग अपने परमेश्वर का ज्ञान रखेंगे, वे हियाव बान्धकर बड़े काम करेंगे।

32. যাহারা সেই নিয়ম সম্বন্ধে দুষ্কার্য্য করে, সে তাহাদিগকে চাটুবাদ দ্বারা ভ্রষ্ট করিবে, কিন্তু যে প্রজারা আপন ঈশ্বরকে জানে, তাহারা বলবান হইয়া কার্য্য করিবে।

33. और लोगों को सिखानेवाले बुद्धिमान जन बहुतों को समझाएंगे, तौभी वे बहुत दिन तक तलवार से छिदकर और आग में जलकर, और बंधुए होकर और लुटकर, बड़े दु:ख में पड़े रहेंगे।

33. আর প্রজাদের মধ্যে যাহারা বুদ্ধিমান, তাহারা অনেককে উপদেশ দিবে; তথাপি কিছু দিন পর্য্যন্ত তাহারা খড়্‌গে ও অগ্নিশিখায়, বন্দিদশায় ও লুটে পতিত হইবে।

34. जब वे दु:ख में पड़ेंगे तब थोड़ा बहुत सम्भलेंगे, परन्तु बहुत से लोग चिकनी- चुपड़ी बातें कह कहकर उन से मिल जाएंगे;

34. যখন পড়িবে, তখন তাহারা অল্প সাহায্য প্রাপ্ত হইবে, আর অনেকে চাটুবাদ দ্বারা তাহাদিগেতে আসক্ত হইবে।

35. और सिखानेवालों में से कितनें गिरेंगे, और इसलिये गिरने पाएंगे कि जांचे जाएं, और निर्मल और उजले किए जाएं। यह दशा अन्त के समय तक बनी रहेगी, क्योंकि इन सब बातों का अन्त नियत समय में होनेवाला है।।

35. আর বুদ্ধিমানদের মধ্যে কেহ কেহ পতিত হইবে, যেন তাহারা পরীক্ষাসিদ্ধ, পরিষ্কৃত ও শুক্লীকৃত হয়; শেষ পর্য্যন্ত হইা হইবে; কেননা তখনও নিরূপিত কালের অপেক্ষা করা যাইবে।

36. तब वह राजा अपनी इच्छा के अनुसार काम करेगा, और अपने आप को सारे देवताओं से ऊंचा और बड़ा ठहराएगा; वरन सब देवताओं के परमेश्वर के विरूद्ध भी अनोखी बातें कहेगा। और जब तक परमेश्वर का क्रोध न हो जाए तब तक उस राजा का कार्य सफल होता रहेगा; क्योंकि जो कुछ निश्चय करके ठाना हुआ है वह अवश्य ही पूरा होनेवाला है।
2 थिस्सलुनीकियों 2:4, प्रकाशितवाक्य 13:5

36. আর সেই রাজা স্বেচ্ছানুযায়ী কর্ম্ম করিবে, ও সমস্ত দেবতা অপেক্ষা আপনাকে বড় করিয়া দেখাইবে, ও দর্প করিবে, এবং ঈশ্বরদের ঈশ্বরের বিপরীতে অদ্ভুত কথা কহিবে, আর ক্রোধ সম্পন্ন না হওয়া পর্য্যন্ত কুশলপ্রাপ্ত থাকিবে; কেননা যাহা নিরূপিত, তাহাই করা যাইবে।

37. আর সে আপন পিতৃপুরুষদের দেবগণকে মানিবে না, এবং স্ত্রীলোকদের কামনাকে কিম্বা কোন দেবতাকে মানিবে না; কেননা সে সর্ব্বাপেক্ষা আপনাকেই বড় করিয়া দেখাইবে।

38. वह अपने राजपद पर स्थिर रहकर दृढ़ गढ़ों ही के देवता का सम्मान करेगा, एक ऐसे देवता का जिसे उसके पुरखा भी न जानते थे, वह सोना, चान्दी, मणि और मनभावनी वस्तुएं चढ़ाकर उसका सम्मान करेगा।

38. কিন্তু সে স্বস্থানে দুর্গ-দেবের সম্মান করিবে, এবং আপন পিতৃপুরুষদের অজ্ঞাত দেবকে স্বর্ণ, রৌপ্য, মণি ও মনোরম্য বস্তু দিয়া সম্মান করিবে।

39. उस बिराने देवता के सहारे से वह अति दृढ़ गढ़ों से लड़ेगा, और जो कोई उसको माने उसे वह बड़ी प्रतिष्ठा देगा। ऐसे लोगों को वह बहुतों के ऊपर प्रभुता देगा, और अपने लाभ के लिए अपने देश की भूमि को बांट देगा।।

39. আর সে বিজাতীয় দেবের সাহায্যে অতি দৃঢ় দুর্গ সকলের বিরুদ্ধে ব্যাপৃত হইবে; যত লোক তাহাকে স্বীকার করিবে, তাহাদিগকে সে অতি সম্মানিত করিবে; তাহাদিগকে অনেকের উপরে কর্ত্তৃত্বপদ দিবে, ও পারিতোষিকরূপে ভূমি বিভাগ করিয়া দিবে।

40. अन्त के समय दक्खिन देश का राजा उसको सींग मारने लगेगा; परन्तु उत्तर देश का राजा उस पर बवण्डर की नाईं बहुत से रथ- सवार और जहाज लेकर चढ़ाई करेगा; इस रीति से वह बहुत से देशों में फैल जाएगा, और उन में से निकल जाएगा।

40. পরে শেষকালে দক্ষিণ দেশের রাজা তাহাকে ঢুসাইবে; আর উত্তর দেশের রাজা রথের, অশ্বারোহীদের ও অনেক জাহাজের সহিত ঘূর্ণ্যবায়ুর ন্যায় তাহার বিরুদ্ধে আসিবে; এবং নানা দেশের মধ্যে প্রবেশ করিবে ও উথলিয়া উঠিয়া বাড়িতে থাকিবে।

41. वह शिरोमणि देश में भी आएगा। और बहुत से देश उजड़ जाएंगे, परन्तु ऐदोमी, मोआबी और मुख्य मुख्य अम्मोनी आदि जातियों के देश उसके हाथ से बच जाएंगे।
मत्ती 24:10

41. সে রত্নস্বরূপ দেশেও প্রবেশ করিবে, তাহাতে অনেক দেশ পরাভূত হইবে, কিন্তু ইদোম ও মোয়াব এবং অম্মোন-সন্তানদের শ্রেষ্ঠাংশ তাহার হস্ত হইতে রক্ষা পাইবে।

42. वह कई देशों पर हाथ बढ़ाएगा और मि देश भी न बचेगा।

42. আর সে নানা দেশের উপরে হস্ত প্রসারণ করিবে, আর মিসর দেশ রক্ষা পাইবে না।

43. वह मि के सोने चान्दी के खजानों और सब मनभावनी वस्तुओं का स्वामी हो जाएगा; और लूबी और कूशी लोग भी उसके पीछे हो लेंगे।

43. মিস্রীয়দের স্বর্ণ ও রৌপ্যের ভাণ্ডার সকল ও সমস্ত রত্ন তাহার হস্তগত হইবে, এবং লুবীয়েরা ও কূশীয়েরা তাহার অনুচর হইবে।

44. उसी समय वह पूरब और उत्तर दिशाओं से समाचार सुनकर घबराएगा, और बड़े क्रोध में आकर बहुतों को सत्यानाश करने के लिये निकलेगा।

44. কিন্তু পূর্ব্ব ও উত্তর দেশ হইতে আগত সংবাদ তাহাকে বিহ্বল করিবে, এবং সে অনেককে উচ্ছিন্ন ও নিঃশেষে বিনষ্ট করণার্থে মহাক্রোধে যাত্রা করিবে।

45. और वह दोनों समुद्रों के बीच पवित्रा शिरोमणि पर्वत के पास अपना राजकीय तम्बू खड़ा कराएगा; इतना करने पर भी उसका अन्त जा जाएगा, और कोई उसका सहायक न रहेगा।।

45. আর সে সমুদ্রের ও পবিত্র গিরিরত্নের মধ্যে রাজকীয় তাম্বু স্থাপন করিবে; তথাপি তাহার শেষকাল উপস্থিত হইবে, কেহ তাহার সাহায্য করিবে না।



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