19. रात के हर पहर के आरम्भ में उठकर चिल्लाया कर ! प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को घारा की नाई उण्डेल ! तेरे बालबच्चे जो हर एक सड़क के सिरे पर भूख के कारण मूर्च्छित हो रहे हैं, उनके प्राण के निमित्त अपने हाथ उसकी ओर फैला।
19. Arise, cry aloud in the night, At the beginning of the watches. Pour out as water thy heart, Over against the face of the Lord, Lift up unto Him thy hands, for the soul of thine infants, Who are feeble with hunger at the head of all out-places.