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1. देखो, एक राजा धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमा न्याय से हुकूमत करेंगे।यूहन्ना 1:49, यूहन्ना 18:37, 1 कुरिन्थियों 15:25
1. দেখ, এক রাজা ধার্ম্মিকতায় রাজত্ব করিবেন, ও শাসনকর্ত্তৃগণ ন্যায়ে শাসন করিবেন।
2. हर एक मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरनेे, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।
2. যেমন বাত্যা হইতে আচ্ছাদন, ও ঝটিকা হইতে অন্তরাল, যেমন শুষ্ক স্থানে জলস্রোত ও শ্রান্তিজনক ভূমিতে কোন প্রকাণ্ড শৈলের ছায়া, এক জন মনুষ্য তদ্রূপ হইবেন।
3. उस समय देखनेवालों की आंखें धुंधली न होंगी, और सुननेवालों के कान लगे रहेंगे।
3. তখন দর্শকদের চক্ষু মুদ্রিত থাকিবে না, আর শ্রোতাদের কর্ণ অবধান করিবে।
4. उतावलों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और तुतलानेवालों की जीभ फुर्ती से और साफ बोलेगी।
4. আর চপল লোকদের চিত্ত জ্ঞান পাইবে, এবং তোৎলাদের জিহ্বা সহজে স্পষ্ট কথা কহিবে।
5. मूढ़ फिर उदार न कहलाएगा और न कंजूस दानी कहा जाएगा।
5. মূঢ়কে আর মহাত্মা বলা যাইবে না, এবং খল আর উদার বলিয়া আখ্যাত হইবে না।
6. क्योंकि मूढ़ तो मूढ़ता ही की बातें बोलता और मन में अनर्थ ही गढ़ता रहता है कि वह बिन भक्ति के काम करे और यहोवा के विरूद्ध झूठ कहे, भूखे को भूखा ही रहने दे और प्यासे का जल रोक रखे।
6. কেননা মূঢ় মূঢ়তার কথা কহিবে, ও তাহার মন দুষ্টতার কল্পনা করিবে; সে পামরতার কার্য্য করিবে ও সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে ভ্রান্তির কথা কহিবে, ক্ষুধার্ত্ত লোকের প্রাণ শূন্য রাখিবে, তৃষ্ণার্ত্ত লোকের জল বারণ করিবে।
7. छली की चालें बुरी होती हैं, वह दुष्ट युक्तियां निकालता है कि दरिद्र को भी झूठी बातों में लूटे जब कि वे ठीक और नम्रता से भी बोलते हों।
7. আর খলের যন্ত্র সকল মন্দ; সে মিথ্যাকথা দ্বারা নম্রদিগকে নষ্ট করিবার জন্য, যখন দরিদ্র ব্যক্তি ন্যায় কথা বলে, তখনও কুসংঙ্কল্প করে।
8. परन्तु उदार मनुष्य उदारता ही की युक्तियां निकालता है, वह उदारता में स्थिर भी रहेगा।।
8. কিন্তু মহাত্মা মাহাত্ম্যের সঙ্কল্প করে, এবং সে মাহাত্ম্য-পথে স্থির থাকে।
9. हे सुखी स्त्रियों, उठकर मेरी सुनो; हे निश्चिन्त पुत्रियों, मेरे वचन की ओर कान लगाओ।
9. হে নিশ্চিন্তা মহিলারা, উঠ, আমার রব শ্রবণ কর; হে নিঃশঙ্ক-চিত্তা যুবতীরা, আমার বাক্যে কর্ণপাত কর।
10. हे निश्चिन्त स्त्रियों, वर्ष भर से कुछ ही अधिक समय में तुम विकल हो जाओगी; क्योंकि तोड़ने को दाखें न होंगी और न किसी भांति के फल हाथ लगेंगे।
10. হে নিঃশঙ্ক-চিত্তা যুবতীরা, বৎসরের পরে কিছু দিন গত হইলে তোমরা উদ্বিগ্না হইবে, কেননা দ্রাক্ষাফলের সংহার হইবে, ফল পাড়িবার সময় আসিবে না।
11. हे सुखी स्त्रियों, थरथराओ, हे निश्चिन्त स्त्रियों, विकल हो; अपने अपने वस्त्रा उतारकर अपनी अपनी कमर में टाट कसो।
11. হে নিশ্চিন্তারা, কম্পান্বিতা হও; হে নিঃশঙ্কারা, উদ্বিগ্না হও; পরিচ্ছদ খুলিয়া বিবস্ত্রা হও, কটিদেশে চট বাঁধ।
12. वे मनभाऊ खेतों और फलवन्त दाखलताओं के लिये छाती पीटेंगी।
12. সকলে বুক চাপড়িয়া মনোরম্য ক্ষেত্রের ও ফলবতী দ্রাক্ষালতার জন্য বিলাপ করিবে।
13. मेरे लागों के वरन प्रसन्न नगर के सब हर्ष भरे घरों में भी भांति भांति के कटीले पेड़ उपजेंगे।
13. আমার প্রজাদের ভূমিতে কাঁটা ও শেয়ালকাঁটা উৎপন্ন হইবে; উল্লাসপ্রিয় নগরের সমস্ত আনন্দ-গৃহেও তাহা জন্মিবে;
14. क्योंकि राजभवन त्यागा जाएगा, कोलाहल से भरा नगर सुनसान हो जाएगा और पहाड़ी और उन पर के पहरूओं के घर सदा के लिये मांदे और जंगली गदहों को विहारस्थान और घरैलू पशुओं की चराई उस समय तक बने रहेंगे
14. কারণ রাজপুরী পরিত্যক্ত হইবে, লোকারণ্যের নগর নির্জ্জন হইয়া পড়িবে, গিরি ও প্রহরি-দুর্গ চিরকাল গুহাময় থাকিয়া বনগর্দ্দভের বিলাস-স্থান ও পশুপালের চরাণি-স্থান হইবে;
15. जब तक आत्मा ऊपर से हम पर उण्डेला न जाए, और जंगल फलदायक बारी न बने, और फलदायक बारी फिर वन न गिनी जाए।
15. যে পর্য্যন্ত ঊর্দ্ধলোক হইতে আমাদের উপরে আত্মা সেচিত না হন, প্রান্তর ফলবৃক্ষের উদ্যানে পরিণত না হয়, ও ফলশালী ক্ষেত্র অরণ্য বলিয়া গণ্য না হয়।
16. तब उस जंगल में न्याय बसेगा, और उस फलदायक बारी में धर्म रहेगा।
16. তখন সেই প্রান্তরে ন্যায়বিচার বাস করিবে, সেই ফলশালী ক্ষেত্রে ধার্ম্মিকতা বসতি করিবে।
17. और धर्म का फल शांति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा।याकूब 3:18
17. আর শান্তিই ধার্ম্মিকতার কার্য্য হইবে, এবং চিরকালের জন্য সুস্থিরতা ও নিঃশঙ্কতা ধার্ম্মিকতার ফল হইবে।
18. मेरे लोग शान्ति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।
18. আর আমার প্রজাগণ শান্তির আশ্রমে, নিঃশঙ্কতার আবাসে ও নিশ্চিন্ততার বিশ্রাম-স্থানে বাস করিবে।
19. और वन के विनाश के समय ओले गिरेंगे, और नगर पूरी रीति से चौपट हो जाएगा।
19. কিন্তু অরণ্য ভূমিসাৎ হইবার সময়ে শিলাবৃষ্টি হইবে, আর নগর সম্পূর্ণরূপে নিপাতিত হইবে।
20. क्या ही धन्य हो तुम जो सब जलाशयों के पास बीच बोते, और बैलों और गदहों को स्वतन्त्राता से चराते हो।।
20. ধন্য তোমরা, যাহারা সমস্ত জলপ্রবাহের ধারে বীজ বপন কর, যাহারা গোরু ও গর্দ্দভকে চরিতে দেও।