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1. यहोवा की यह वाणी है, हाय उन बलवा करनेवाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।
1. সদাপ্রভু কহেন, ধিক্ সেই বিদ্রোহী সন্তানগণকে, যাহারা মন্ত্রণা সাধন করে, কিন্তু আমা হইতে নয়, এবং সন্ধি করে, কিন্তু আমার আত্মার আবেশে নয়, উদ্দেশ্য এই, যেন পাপের উপরে পাপ করিতে পারে।
2. वे मुझ से बिन पूछे मि को जाते हैं कि फिरौन की रक्षा में रहे और मि की छाया में शरण लें।
2. তাহারা মিসরে যাইবার জন্য যাত্রা করে, কিন্তু আমাকে জিজ্ঞাসা করে নাই, যেন ফরৌণের পরাক্রমে পরাক্রমী হইতে ও মিসরের ছায়াতে আশ্রয় লইতে পারে।
3. इसलिये फिरौन का शरणस्थान तुम्हारी लज्जा का, और मि की छाया में शरण लेना तुम्हारी निन्दा का कारण होगा।
3. এই জন্য ফরৌণের পরাক্রম তোমাদের লজ্জাস্বরূপ হইবে, এবং মিসরের ছায়াতে আশ্রয় লওয়া তোমাদের অপমানস্বরূপ হইবে।
4. उसके हाकिम सोअन में आए तो हैं और उसके दूत अब हानेस में पहुंचे हैं।
4. কারণ তাহার অধ্যক্ষগণ সোয়নে উপস্থিত, তাহার দূতগণ হানেষে আসিয়াছে।
5. वे सब एक ऐसी जाति के कारण लज्जित होंगे जिस से उनका कुछ लाभ न होगा, जो सहायता और लाभ के बदले लज्जा और नामधराई का कारण होगी।।
5. সকলে উপকারে অসমর্থ জাতির বিষয়ে লজ্জিত হইবে; সেই জাতি সাহায্যকারী কি উপকারজনক নয়, বরং লজ্জা ও দুর্নামস্বরূপ।
6. दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊंटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में होकर, जहां सिंह और सिंहनी, नाग और उड़नेवाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिन से उनको लाभ न होगा।
6. দক্ষিণের পশুগণ বিষয়ক ভারবাণী। সঙ্কটের ও সঙ্কোচের যে দেশ সিংহীর ও কেশরীর, কালসর্পের ও জ্বালাদায়ী উড়ুক্কু সর্পের জন্মভূমি, সেই দেশ দিয়া তাহারা গর্দ্দভের স্কন্ধে করিয়া আপনাদের ধন, ও উষ্ট্রের ঝুঁটিতে করিয়া আপনাদের সম্পত্তি লইয়া এক জাতির কাছে যাইতেছে, যাহারা উপকার করিতে পারিবে না।
7. क्योंकि मि की सहायता व्यर्थ और निकम्मी है, इस कारण मैं ने उसको बैठी रहनेवाली रहब कहा है।।
7. কারণ মিসরের সাহায্য অসার ও মিথ্যা; এই নিমিত্ত আমি সেই জাতির এই নাম রাখিলাম, ‘রহব [গর্ব্বী], যে বসিয়া থাকে।’
8. अब आकर इसको उनके साम्हने पत्थर पर खोद, और पुस्तक में लिख, कि वह भविष्य के लिये वरन सदा के लिये साक्षी बनी रहे।
8. তুমি এখন যাও, উহাদের সাক্ষাতে এই কথা ফলকের উপরে লিখ, ও পুস্তকে লিপিবদ্ধ কর; যেন তাহা উত্তরকালে সাক্ষ্যরূপে চিরকাল থাকে।
9. क्योंकि वे बलवा करनेवाले लोग और झूठ बोलनेवाले लड़के हैं जो यहोवा की शिक्षा को सुनना नहीं चाहते।
9. কেননা উহারা বিদ্রোহী জাতি ও মিথ্যাবাদী সন্তান; উহারা সদাপ্রভুর ব্যবস্থা শুনিতে অসম্মত সন্তান।
10. वे दर्शियों से कहते हैं, दर्शी मत बनो; और नबियों से कहते हैं, हमारे लिये ठीक नबूवत मत करो; हम से चिकनी चुपड़ी बातें बोलो, धोखा देनेवाली नबूवत करो।
10. তাহারা দর্শকদিগকে বলে, তোমরা দর্শন করিও না; লক্ষণবেত্তাদিগকে বলে, তোমরা আমাদের জন্য যথার্থ লক্ষণ বলিও না; আমাদিগকে স্নিগ্ধ বাক্য বল, মায়াযুক্ত লক্ষণ বল;
11. मार्ग से मुड़ो, पथ से हटो, और इस्राएल के पवित्रा को हमारे साम्हने से दूर करो।
11. পথ হইতে ফির, রাস্তা ছাড়িয়া যাও, ইস্রায়েলের পবিত্রতমকে আমাদের দৃষ্টিপথ হইতে দূর কর।
12. इस कारण इस्राएल का पवित्रा यों कहता है, तुम लोग जो मेरे इस वचन को निकम्मा जानते और अन्धेर और कुटिलता पर भरोसा करके उन्हीं पर टेक लगाते हो;
12. অতএব ইস্রায়েলের পবিত্রতম এই কথা কহেন, তোমরা এই বাক্য হেয়জ্ঞান করিয়াছ, এবং উপদ্রবের ও কুটিলতার উপরে নির্ভর দিয়াছ, ও তাহা অবলম্বন করিয়াছ;
13. इस कारण यह अधर्म तुम्हारे लिये ऊंची भीत का टूटा हुआ भाग होगा जो फटकर गिरने पर हो, और वह अचानक पल भर में टूटकर गिर पड़ेगा,
13. এই হেতু সেই অপরাধ তোমাদের জন্য উচ্চ ভিত্তির পতনশীল ফুলা ফাটার ন্যায় হইবে, যাহার ভঙ্গ হঠাৎ মুহূর্ত্তমধ্যে উপস্থিত হয়।
14. और कुम्हार के बर्तन की नाई फूटकर ऐसा चकनाचूर होगा कि उसके टुकड़ों का एक ठीकरा भी न मिलेगा जिस से अंगेठी में से आग ली जाए वा हौद में से जल निकाला जाए।।
14. আর যেমন কুম্ভকারের পাত্র ভাঙ্গা যায়, তেমনি তিনি তাহা ভাঙ্গিয়া ফেলিবেন, চূর্ণ করিবেন, মমতা করিবেন না; তাহাতে চুলা হইতে অগ্নি তুলিতে কিম্বা কূপ হইতে জল তুলিতে একখানা খোলাও পাওয়া যাইবে না।
15. प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्रा यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया,
15. বস্তুতঃ, প্রভু সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের পবিত্রতম, এই কথা বলিলেন, ফিরিয়া আসিয়া শান্ত হইলে তোমরা পরিত্রাণ পাইবে, সুস্থির থাকিয়া বিশ্বাস করিলে তোমাদের পরাক্রম হইবে; কিন্তু তোমরা সম্মত হইলে না।
16. तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करनेवाले उस से भी तेज होंगे।
16. তোমরা কহিলে, তাহা নয়, আমরা ঘোড়ায় চড়িয়া বেগে ধাবমান হইব, এই জন্য তোমরা বেগে ধাবমান হইবে; আরও [কহিলে], আমরা বেগবান বাহনে চড়িয়া যাইব, এই জন্য তোমাদের তাড়নাকারীরা বেগে চলিয়া যাইবে।
17. एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं।
17. একের তর্জ্জনে এক সহস্র লোক পলায়ন করিবে, পাঁচের তর্জ্জনে তোমরা পলায়ন করিবে; তাহাতে তোমাদের অবশিষ্টাংশ পর্ব্বতের শৃঙ্গস্থিত মাস্তুলের ন্যায়, কিম্বা উপপর্ব্বতের উপরিস্থ পতাকাদণ্ডের ন্যায় হইবে।
18. तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।।
18. আর সেই জন্য সদাপ্রভু তোমাদের প্রতি অনুগ্রহ করিবার আকাঙ্ক্ষায় অপেক্ষা করিবেন, আর সেই জন্য তোমাদের প্রতি করুণা করিবার আকাঙ্ক্ষায় ঊর্দ্ধে থাকিবেন; কেননা সদাপ্রভু ন্যায় বিচারের ঈশ্বর; ধন্য তাহারা সকলে, যাহারা তাঁহার অপেক্ষা করে।
19. हे सिरयोन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा।
19. বস্তুতঃ যিরূশালেমে, সিয়োনে প্রজাগণ বাস করিবে; তুমি আর রোদন করিবে না; তোমার ক্রন্দনের রবে তিনি অবশ্য তোমাকে কৃপা করিবেন; শুনিবামাত্রই তোমাকে উত্তর দিবেন।
20. और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।
20. আর প্রভু যদ্যপি তোমাদিগকে সঙ্কটের খাদ্য ও কষ্টের জল দেন, তথাপি তোমার শিক্ষকগণ আর গুপ্ত থাকিবে না, বরং তোমার চক্ষু তোমার শিক্ষকগণকে দেখিতে পাইবে।
21. और जब कभी तुम दहिनी वा बाई ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।
21. আর দক্ষিণে কি বামে ফিরিবার সময়ে তোমার কর্ণ পশ্চাৎ হইতে এই বাণী শুনিতে পাইবে, এই পথ, তোমরা এই পথেই চল।
22. तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूत्तियां मढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूत्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उनको मैले कुचैले वस्त्रा की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।
22. আর তোমরা আপনাদের ক্ষোদিত রৌপ্যপ্রতিমার সাজ ও ছাঁচে ঢালা স্বর্ণ-প্রতিমার আভরণ অশুচি করিবে, তুমি তাহা অশুচি বস্তুত ন্যায় ফেলিয়া দিবে, বলিবে, দূর, দূর।
23. और वह तुम्हारे लिये जल बरसाएगा कि तुम खेत में बीज बो सको, और भूमि की उपज भी उत्तम और बहुतायत से होगी। उस समय तुम्हारे जानवरों को लम्बी- चौड़ी चराई मिलेगी।
23. আর তিনি তোমার বীজের জন্য বৃষ্টি দিবেন, তাহাতে তুমি ভূমিতে বপন করিতে পারিবে; এবং ভূমিজাত ভক্ষ্য দিবেন, তাহা উত্তম ও পুষ্টিকর হইবে; সেই দিন তোমার পশুপাল প্রশস্ত মাঠে চরিবে।
24. और बैल और गदहे जो तुम्हारी खेती के काम में आएंगे, वे सूप और डलिया से फटका हुआ स्वादिष्ट चारा खाएंगे।
24. চাষকারী গোরু ও গর্দ্দভ সকল কুলাতে ও চালুনীতে ঝাড়া ও সুস্বাদু দ্রব্যে মিশ্রিত কলায় খাইবে।
25. और उस महासंहार के समय जब गुम्मट गिर पड़ेंगे, सब ऊंचे ऊंचे पहाड़ों और पहाड़ियों पर नालियां और सोते पाए जाएंगे।
25. পরন্তু যে মহাহত্যার দিনে দুর্গ সকল পতিত হইবে, সেই দিন প্রত্যেক তুঙ্গ পর্ব্বতে ও প্রত্যেক উচ্চ গিরিতে জলের প্রবাহ ও স্রোত হইবে।
26. उस समय यहोवा अपनी प्रजा के लोगों का घाव बान्धेगा और उनकी चोट चंगा करेगा; तब चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य का सा, और सूर्य का प्रकाश सातगुना होगा, अर्थात् अठवारे भर का प्रकाश एक दिन में होगा।।
26. আর যে দিন সদাপ্রভু আপন প্রজাদের ভগ্ন অবয়ব জোড়া দিবেন, ও প্রহারজাত ক্ষত সুস্থ করিবেন, সেই দিন চন্দ্রের দীপ্তি সূর্য্যের দীপ্তির তুল্য হইবে, এবং সূর্য্যের দীপ্তি সপ্তগুণ অধিক, অর্থাৎ সপ্ত দিবসের দীপ্তির সমান হইবে।
27. देखो, यहोवा दूर से चला आता है, उसका प्रकोप भड़क उठा है, और धूएं का बादल उठ रहा है; उसके होंठ क्रोध से भरे हुए और उसकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है।
27. দেখ, সদাপ্রভুর নাম দূর হইতে আসিতেছে, তাঁহার ক্রোধাগ্নি জ্বলিতেছে, ও ঘন ধূমরাশি উঠিতেছে; তাঁহার ওষ্ঠাধর তাপে পরিপূর্ণ, তাঁহার জিহ্বা সর্ব্বগ্রাসক অগ্নিস্বরূপ।
28. उसकी सांस ऐसी उमण्डनेवाली नदी के समान है जो गले तक पहुंचती है; वह सब जातियों को नाश के सूप से फटकेगा, और देश देश के लोगों को भटकाने के लिये उनके जभड़ों में लगाम लगाएगा।।
28. তাঁহার নিঃশ্বাস প্লাবক বন্যার সদৃশ, তাহা কণ্ঠ পর্য্যন্ত উঠিবে; তাহা সর্ব্বদেশীয় লোকদিগকে বিনাশের কুলাতে ঝাড়িতে উদ্যত; আর জাতিগণের মুখে ভ্রান্তিজনক বল্গা দেওয়া যাইবে।
29. तब तुम पवित्रा पर्व की रात का सा गीत गाओगे, और जैसा लोग यहोवा के पर्वत की ओर उस से मिलने को, जो इस्राएल की चट्टान है, बांसुली बजाते हुए जाते हैं, वैसे ही तुम्हारे मन में भी आनन्द होगा।
29. পবিত্র উৎসব-রাত্রির ন্যায় তোমাদের গীত হইবে, এবং লোকে যেমন সদাপ্রভুর পর্ব্বতে ইস্রায়েলের শৈলের কাছে গমন কালে বাঁশী বাজায়, তদ্রূপ তোমাদের চিত্তের আনন্দ হইবে।
30. और यहोवा अपनी प्रतापीवाणी सुनाएगा, और अपना क्रोध भड़काता और आग की लौ से भस्म करता हुआ, और प्रचण्ड आन्धी और अति वर्षा और ओलों के साथ अपना भुजबल दिखाएगा।प्रकाशितवाक्य 19:20
30. সদাপ্রভু প্রচণ্ড ক্রোধ, সর্ব্বগ্রাসক অগ্নিশিখা, বাত্যা, ঝটিকা ও করকা দ্বারা আপনার প্রতাপান্বিত রব শুনাইবেন, ও আপনার হস্তাবতারণ দেখাইবেন।
31. अश्शूर यहोवा के शब्द की शक्ति से नाश हो जाएगा, वह उसे सोंटे से मारेगा।
31. কারণ সদাপ্রভুর রবে অশূর ভগ্ন হইবে, তিনি তাহাকে দণ্ডাঘাত করিবেন।
32. और जब जब यहोवा उसको दण्ड देगा, तब तब साथ ही डफ और वीणा बजेंगी; और वह हाथ बढ़ाकर उसको लगातार मारता रहेगा।
32. আর সদাপ্রভু নিরূপিত দণ্ডের যত আঘাত তাহার উপরে অবতারণ করিবেন, সে সকল তবল ও বীণা সহকারে ঘটিবে; এবং তিনি ঐ জাতির সহিত তুমুল যুদ্ধ করিবেন।
33. बहुत काल से तोपेत तैयार किया गया है, वह राजा की के लिये ठहराया गया है, वह लम्बा चौड़ा और गहिरा भी बनाया गया है, वहां की चिता में आग और बहुत सी लकड़ी हैं; यहोवा की सांस जलती हुई गन्धक की धारा की नाईं उसको सुलगाएगी।।प्रकाशितवाक्य 19:20, प्रकाशितवाक्य 20:10-15, प्रकाशितवाक्य 21:8
33. কেননা তোফৎ [অগ্নিকুণ্ড] পূর্ব্বকালাবধি সাজান রহিয়াছে, তাহাই রাজার জন্য প্রস্তুত আছে; তিনি তাহা গভীর ও প্রশস্ত করিয়াছেন; তাহার চিতা অগ্নি ও প্রচুর কাষ্ঠময়; সদাপ্রভুর ফুৎকার গন্ধকস্রোতের ন্যায় তাহা প্রজ্বলিত করিবে।