31. हे फाटक, तू हाय हाय कर; हे नगर, तू चिल्ला; हे पलिश्तीन तू सब का सब पिघल जा! क्योंकि उत्तर से एक धूआं उठेगा और उसकी सेना में से कोई पीछे न रहेगा।।
31. Mourne thou porte, weepe thou citie, for, O whole lande of Palestina, thou art layd waste: for there shal come from the north a smoke, that not one alone may abide at home in his times.