Psalms - भजन संहिता 92 | View All

1. यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;

1. It is good to give thanks to the Lord, and sing praises to Your name, O Most High.

2. प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना,

2. It is good to tell of Your loving-kindness in the morning, and of how faithful You are at night,

3. दस तारवाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है।

3. with harps, and with music of praise.

4. क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।।

4. For You have made me glad by what You have done, O Lord. I will sing for joy at the works of Your hands.

5. हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े है! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर है!
प्रकाशितवाक्य 15:3

5. How great are Your works, O Lord! How deep are Your thoughts!

6. पशु समान मनुष्य इसको नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता:

6. A man who cannot reason does not have much learning. A fool does not understand this.

7. कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते- फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं,

7. Even if the sinful grow up like grass and all goes well with wrong-doers, they will be destroyed forever.

8. परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।

8. But You, O Lord, rule from Your high place forever.

9. क्योंकि ये यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।।

9. For, look, those who hate You will be lost from You forever, O Lord. All those who do wrong will be destroyed.

10. परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।

10. But You have lifted up my horn like that of a wild bull. New oil has been poured upon me.

11. और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि करके, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरूद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।।

11. My eyes have seen those who wait to hurt me. My ears hear the bad men who rise up against me.

12. धर्मी लोग खजूर की नाई फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाई बढ़ते रहेंगे।

12. The man who is right and good will grow like the palm tree. He will grow like a tall tree in Lebanon.

13. वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।

13. Planted in the house of the Lord, they will grow well in the home of our God.

14. वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,

14. They will still give fruit when they are old. They will be full of life and strength.

15. जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।।

15. And they will show that the Lord is faithful. He is my rock. There is nothing in Him that is not right and good.



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