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World English Bible
Wycliffe Bible (1395)
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Cross Reference Bible
1. हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू विभव और ऐश्वर्य का वस्त्रा पहिने हुए है,
1. Bless, O my soul, Yahweh, Yahweh, my God, thou art exceedingly great, With honour and majesty, hast thou clothed thyself,
2. जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है,1 तीमुथियुस 6:16
2. Putting on light, as a robe, Stretching out the heavens, as a curtain;
3. जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है,
3. Building, in the waters, his upper chambers, Who maketh clouds his chariot, Who passeth along on the wings of the wind;
4. जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।।इब्रानियों 1:7
4. Making His messengers, winds, His attendants, a flaming fire;
5. तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।
5. He hath fixed the earth on its foundations, It is not to be shaken, to times age-abiding and beyond.
6. तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्रा से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया।
6. With the resounding deep as a garment, hast thou covered it, Above the mountains, stand the waters;
7. तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया।
7. At thy rebuke, they flee, At the voice of thy thunder, they hurry away;
8. वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था।
8. Mountains rise, Valleys sink, Unto the place which thou hast fixed for them;
9. तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिरकर स्थल को ढांप सकता है।।
9. Bounds, hast thou set, which they are not to pass over, They are not to return to cover the earth.
10. तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं,
10. Who hast sent forth springs, through the torrent-beds, Between the mountains, they flow along;
11. उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं।
11. They give drink, to every wild beast of the field, The wild asses do break their thirst.
12. उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं।मत्ती 13:32
12. Over them, the bird of the heavens settleth down, From amidst the foliage, they utter a voice.
13. तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।।
13. Who watereth the mountains out of his upper chambers, Out of the fruit of thy works, thou satisfiest the earth.
14. तू पशुओं के लिये घास, और मनुष्यों के काम के लिये अन्नादि उपजाता है, और इस रीति भूमि से वह भोजन- वस्तुएं उत्पन्न करता है,
14. Who causeth the grass to shoot forth for the cattle, And the herb, for the service of man, That he may bring forth food out of the earth;
15. और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिस से वह सम्भल जाता है।
15. And, wine, may rejoice the heart of man, Making radiant his well-nourished face, And, food, may, the heart of man, sustain.
16. यहोवा के वृक्ष तृप्त रहते हैं, अर्थात् लबानोन के देवदार जो उसी के लगाए हुए हैं।
16. Satisfied are, The trees of Yahweh, The cedars of Lebanon, which he hath planted;
17. उन में चिड़ियां अपने घोंसले बनाती हैं; लगलग का बसेरा सनौवर के वृक्षों में होता है।
17. Where the birds build their nests, The stork, in the fir-trees, hath her house;
18. ऊंचे पहाड़ जंगली बकरों के लिये हैं; और चट्टानें शापानों के शरणस्थान हैं।
18. The high mountains, are for the chamois, The crags, are a refuge for the conies.
19. उस ने नियत समयों के लिये चन्द्रमा को बनाया है; सूर्य अपने अस्त होने का समय जानता है।
19. He hath made the moon for seasons, And, the sun, knoweth his place for entering in.
20. तू अन्धकार करता है, तब रात हो जाती है; जिस में वन के सब जीव जन्तु घूमते फिरते हैं।
20. Thou causest darkness, and it becometh night, Therein, creepeth forth, Every wild beast of the forest;
21. जवान सिंह अहेर के लिये गरजते हैं, और ईश्वर से अपना आहार मांगते हैं।
21. The young lions, roaring for prey, And seeking, from GOD, their food.
22. सूर्य उदय होते ही वे चले जाते हैं और अपनी मांदों में जा बैठते हैं।
22. The sun ariseth, they withdraw themselves, And, in their lairs, lay them down.
23. तब मनुष्य अपने काम के लिये और सन्ध्या तक परिश्रम करने के लिये निकलता है।
23. Man goeth forth to his work, And to his labour, until evening.
24. हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।
24. How thy works abound, O Yahweh! All of them in wisdom, hast thou made, The earth is full of thy possession:
25. इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचरी जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।
25. This sea here, is great and broad on both hands, Wherein are creeping things, even without number, Living things, small with great;
26. उस में जहाज भी आते जाते हैं, और लिब्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिये बनाया है।।
26. There, ships, sail along, This sea-monster, thou hast formed to sport therein;
27. इन सब को तेरा ही आसरा है, कि तू उनका आहार समय पर दिया करे।
27. All of them, for thee, do wait, That thou mayest give them their food in its season;
28. तू उन्हें देता हे, वे चुन लेते हैं; तू अपनी मुट्ठी खोलता है और वे उत्तम पदार्थों से तृप्त होते हैं।
28. Thou givest unto them, they gather, Thou openest thy hand, they are satisfied with good.
29. तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।
29. Thou hidest thy face, they are dismayed, Thou withdrawest their spirit, They cease to breathe, And, unto their own dust, do they return:
30. फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है।।
30. Thou sendest forth thy spirit, they are created, And thou renewest the face of the ground.
31. यहोवा की महिमा सदा काल बनी रहे, यहोवा अपने कामों से आन्दित होवे!
31. Be thy glory, O Yahweh, to times age-abiding, Let Yahweh rejoice in his own works:
32. उसकी दृष्टि ही से पृथ्वी कांप उठती है, और उसके छूते ही पहाड़ों से धुआं निकलता है।
32. Who looketh at the earth, and it trembleth, He toucheth the mountains, and they smoke.
33. मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।
33. I will sing to Yahweh, as long as I live! Yea I will touch the strings to my God, while I continue;
34. मेरा ध्यान करना, उसको प्रिय लगे, क्योंकि मैं तो याहेवा के कारण आनन्दित रहूंगा।
34. Pleasing unto him, be my meditation, I, will rejoice in Yahweh.
35. पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!प्रकाशितवाक्य 19:1-6
35. Sinners shall be consumed out of the earth And, the lawless, no more, shall exist, Bless, O my soul, Yahweh, Praise ye Yah!