11. हे प्रभु बिनती यह है, कि तू अपने दास की प्रार्थना पर, और अपने उन दासों की प्रार्थना पर, जो तेरे नाम का भय मानना चाहते हैं, कान लगा, और आज अपने दास का काम सुफल कर, और उस पुरूष को उस पर दयालु कर। (मैं तो राजा का पियाऊ था।)
11. O Lord, let Your ear be attentive to the prayer of Your servant and the prayer of Your servants who delight to revere and fear Your name (Your nature and attributes); and prosper, I pray You, Your servant this day and grant him mercy in the sight of this man. For I was cupbearer to the king.