2 Chronicles - 2 इतिहास 35 | View All

1. और योशिरयाह ने यरूशलेम में यहोवा के लिये फसह पर्व माना और पहिले महीने के चौदहवें दिन को फसह का पशु बलि किया गया।

1. পরে যোশিয় যিরূশালেমে সদাপ্রভুর উদ্দেশে নিস্তারপর্ব্ব পালন করিলেন, লোকেরা প্রথম মাসের চতুর্দ্দশ দিনে নিস্তারপর্ব্বের বলি হনন করিল।

2. और उस ने याजकों को अपने अपने काम में ठहराया, और यहोवा के भवन में की सेवा करने को उनका हियाब बन्धाया।

2. আর তিনি যাজকদিগকে তাহাদের নিরূপিত কার্য্যে নিযুক্ত করিলেন, এবং সদাপ্রভুর গৃহের সেবাকর্ম্ম করিতে তাহাদিগকে আশ্বাস দিলেন।

3. फिर लेवीय जो सब इस्राएल लियों को सिखाते और यहोवा के लिये पवित्रा ठहरे थे, उन से उस ने कहा, तुम पवित्रा सन्दूक को उस भवन में रखो जो दाऊद के पुत्रा इस्राएल के राजा सुलैमान ने बनवाया था; अब तुम को कन्धों पर बोझ उठाना न होगा। अब अपने परमेश्वर यहोवा की और उसकी प्रजा इस्राएल की सेवा करो।

3. আর যে লেবীয়েরা সমস্ত ইস্রায়েলের শিক্ষক ও সদাপ্রভুর উদ্দেশে পবিত্র ছিল, তাহাদিগকে তিনি কহিলেন, ইস্রায়েল-রাজ দায়ূদের পুত্র শলোমন যে গৃহ নির্ম্মাণ করিয়াছেন, তাহার মধ্যে তোমরা পবিত্র সিন্দুক রাখ; তাহার ভার আর তোমাদের স্কন্ধে থাকিবে না; এখন তোমরা আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর ও তাঁহার প্রজা ইস্রায়েলের সেবা কর।

4. और इस्राएल के राजा दाऊद और उसके पुत्रा सुलैमान दोनों की लिखी हुई विधियों के अनुसार, अपने अपने पितरों के अनुसार, अपने अपने दल में तैयार रहो।

4. আর আপন আপন পিতৃকুলানুসারে ইস্রায়েল-রাজ দায়ূদের লিখনমতে, এবং তাঁহার পুত্র শলোমনের লিখনমতে নিরূপিত আপন আপন পালানুসারে আপনাদিগকে প্রস্তুত কর।

5. और तुम्हारे भाई लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार पवित्रास्थान में खड़े रहो, अर्थात् उनके एक भाग के लिये लेवियों के एक एक पितर के घराने का एक भाग हो।

5. আর তোমাদের ভ্রাতৃগণের অর্থাৎ প্রজাদের পিতৃকুল সকলের বিভাগানুসারে ও লেবীয়দের পিতৃকুল সকলের অংশানুসারে পবিত্র স্থানে দণ্ডায়মান হও।

6. और फसह के पशुओं को बलि करो, और अपने अपने को पवित्रा करके अपने भाइयों के लिये तैयारी करो कि वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सकें, जो उस ने मूसा के द्वारा कहा था।

6. আর নিস্তারপর্ব্বের বলি হনন কর ও আপনাদিগকে পবিত্র কর, এবং মোশি দ্বারা [কথিত] সদাপ্রভুর বাক্যমতে কার্য্য করণার্থে আপন ভ্রাতাদের জন্য আয়োজন কর।

7. फिर योशिरयाह ने सब लोगों को जो वहां उपस्थित थे, तीस हजार भेड़ों और बकरियों के बच्चे और तीन हजार बैल दिए थे; ये सब फसह के बलिदानों के लिये राजा की सम्पत्ति में से दिए गए थे।

7. পরে যোশিয় প্রজাদিগকে, উপস্থিত সকলকে, পাল হইতে কেবল নিস্তারপর্ব্বীয় বলির জন্য সংখ্যায় ত্রিশ সহস্র মেষবৎস ও ছাগবৎস, এবং তিন সহস্র বৃষ দিলেন; এ সকলই রাজার সম্পত্তি হইতে প্রদত্ত হইল।

8. और उसके हाकिमों ने प्रजा के लोगों, याजकों और लेवियों को स्वेच्छा - बलियों के लिये पशु दिए। और हिल्किरयाह, जकर्याह और यहीएल नाम परमेश्वर के भवन के प्रधानों ने याजकों को दो हजार छेसौ भेड -़ बकरियां। और तीन सौ बैल फसह के बलिदानों के लिए दिए।

8. আর তাঁহার অধ্যক্ষগণ ইচ্ছাপূর্ব্বক লোকদিগকে, যাজকদিগকে ও লেবীয়দিগকে দান করিলেন। হিল্কিয়, সখরিয় ও যিহীয়েল, ঈশ্বরের গৃহের এই অধ্যক্ষেরা যাজকদিগকে নিস্তারপর্ব্বীয় বলির জন্য দুই সহস্র ছয় শত [মেষাদির বৎস] ও তিন শত বৃষ দিলেন।

9. और कोनन्याह ने और शमायाह और नतनेल जो उसके भाई थे, और हसब्याह, यीएल और योजाबाद नामक लेवियों के प्रधानों ने लेवियों को पांच हजार भेड़- बकरियां, और पांच सौ बैल फसह के बलिदानों के लिये दिए।

9. আর কনানিয় এবং শময়িয় ও নথনেল নামে তাঁহার দুই ভ্রাতা, আর হশবিয়, যীয়ীয়েল ও যোষাবদ, লেবীয়দের এই অধ্যক্ষগণ লেবীয়দিগকে নিস্তারপর্ব্বীয় বলির জন্য পাঁচ সহস্র [মেষাদির বৎস] ও পাঁচ শত বৃষ দিলেন।

10. इस प्रकार उपासना की तैयारी हो गई, और राजा की आज्ञा के अनुसार याजक अपने अपने स्थान पर, और लेवीय अपने अपने दल में खड़े हुऐ।

10. এইরূপে সেবাকর্ম্মের আয়োজন হইল, আর রাজার আজ্ঞানুসারে যাজকেরা আপন আপন স্থানে ও লেবীয়েরা আপন আপন পালানুসারে দাঁড়াইল।

11. तब फसह के पशु बलि किए गए, और याजक बलि करनेवालों के हाथ से लोहू को लेकर छिड़क देते और लेवीय उनकी खाल उतारते गए।

11. আর নিস্তারপর্ব্বীয় বলি সকল হত হইল, এবং যাজকগণ তাহাদের হস্ত হইতে রক্ত লইয়া প্রক্ষেপ করিল ও লেবীয়েরা পশুদের চর্ম্ম খুলিল।

12. तब उन्हों ने होमबलि के पशु इसलिये अलग किए कि उन्हें लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार दें, कि वे उन्हें यहोवा के लिये चढ़वा दें जैसा कि मूसा की पुस्तक में लिखा है; और बैलों को भी उन्हों ने वैसा ही किया।

12. আর মোশির পুস্তকে যেমন লেখা আছে, তদনুসারে সদাপ্রভুর উদ্দেশে [বলি] উপস্থিত করণার্থে তাহারা লোকদের পিতৃকুলের বিভাগানুসারে সকলকে দিবার জন্য হোমবলি উঠাইয়া লইল, এবং বৃষদিগের বিষয়েও তাহাই করিল।

13. तब उन्हों ने फसह के पशुओं का मांस विधि के अनुसार आग में भूंजा, और पवित्रा वस्तुएं, हंडियों और हंडों और थालियों में सिझा कर फूत से लोगों को पहुंचा दिया।

13. পরে তাহারা বিধিমতে নিস্তারপর্ব্বের বলি অগ্নিতে পাক করিল; আর পবিত্র বলি সকল স্থালীতে, হাঁড়ীতে ও কটাহে পাক করিল, এবং সকল লোককে শীঘ্র শীঘ্র পরিবেষণ করিল।

14. तब उन्हों ने अपने लिये और याजकों के लिये तैयारी की, क्योंकि हारून की सन्तान के याजक होमबलि के पशु और चरबी रात तक चढ़ाते रहे, इस कारण लेवियों ने अपने लिये और हारून की सन्तान के याजकों के लिये तैयारी की।

14. তৎপরে আপনাদের ও যাজকদের জন্য আয়োজন করিল, কেননা হারোণ-সন্তান যাজকেরা হোম ও মেদ দগ্ধ করিতে রাত্রি পর্য্যন্ত ব্যস্ত ছিল; অতএব লেবীয়েরা আপনাদের ও হারোণ-সন্তান যাজকদের জন্য আয়োজন করিল।

15. और आसाप के वंश के गवैये, दाऊद, आसाप, हेमान और राजा के दश यदूतून की आज्ञा के अनुसार अपने अपने स्थान पर रहे, और द्वारपाल एक एक फाटक पर रहे। उन्हें अपना अपना काम छोड़ना न पड़ा, क्योंकि उनके भई लेवियों ने उनके लिये तैयारी की।

15. আর দায়ূদের, আসফের, হেমনের ও রাজ-দর্শক যিদূথূনের আজ্ঞানুসারে আসফ-সন্তান গায়কেরা আপন আপন স্থানে ছিল, ও দ্বারপালেরা প্রতিদ্বারে ছিল; তাহাদের আপন আপন সেবাকর্ম্ম ছাড়িয়া যাইবার প্রয়োজন হইল না, যেহেতু তাহাদের লেবীয় ভ্রাতারা তাহাদের জন্য আয়োজন করিয়াছিল।

16. यों उसी दिन राजा योशिरयाह की आज्ञा के अनुसार फसह मनाने और यहोवा की बेदी पर होमबलि चढ़ाने के लिये यहोवा की सारी अपासना की तैयारी की गई।

16. এইরূপে যোশিয় রাজার আজ্ঞানুসারে নিস্তারপর্ব্ব পালনার্থে ও সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদির উপরে হোম করণার্থে সেই দিন সদাপ্রভুর সমস্ত সেবাকর্ম্মের আয়োজন হইল।

17. जो इस्राएली वहां उपस्थित थे उन्हों ने फसह को उसी समय और अखमीरी रोटी के पर्व को सात दिन तक माना।

17. ঐ সময়ে উপস্থিত ইস্রায়েল-সন্তানগণ নিস্তারপর্ব্ব, এবং সাত দিন তাড়ীশূন্য রুটীর উৎসব পালন করিল।

18. इस फसह के बराबर शमूएल नबी के दिनों से इस्राएल में कोई फसह मनाया न गया था, और न इस्राएल के किसी राजा ने ऐसा मनाया, जैसा योशिरयाह और याजकों, लेवियों और जितने यहूदी और इस्राएली उपस्थित थे, उनहों ने और यरूशलेम के निवासियों ने मनाया।

18. শমূয়েল ভাববাদীর সময়াবধি ইস্রায়েলে এতাদৃশ নিস্তারপর্ব্ব পালিত হয় নাই; যোশিয়, যাজকেরা, লেবীয়েরা এবং সমস্ত যিহূদা ও ইস্রায়েলের উপস্থিত লোকেরা ও যিরূশালেম-নিবাসীরা যাদৃশ নিস্তারপর্ব্ব পালন করিল, ইস্রায়েলের কোন রাজা তাদৃশ পর্ব্ব পালন করেন নাই।

19. यह फसह योशिरयाह के राज्य के अठारहवें वर्ष में मनाया गया।

19. যোশিয়ের রাজত্বের অষ্টাদশ বৎসরে এই নিস্তারপর্ব্ব পালিত হইল।

20. इसके बाद जब योशिरयाह भवन को तैयार कर चुका, तब मिस्र के राजा नको ने परात के पास के कुर्कमीश नगर से लड़ने को चढ़ाई की और योशिरयाह उसका साम्हना करने को गया।

20. এই সকলের পরে, যোশিয় মন্দির ঠিক করিলে পর, মিসর-রাজ নখো ফরাৎ নদীর নিকটস্থ কর্কমীশের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করিবার জন্য আসিতেছিলেন, আর যোশিয় তাঁহার বিরুদ্ধে যাত্রা করিলেন।

21. परन्तु उस ने उसके पास दूतों से कहला भेजा, कि हे यहूदा के राजा मेरा तुझ से क्या काम ! आज मैं तुझ पर नहीं उसी कुल पर चढ़ाई कर रहा हूँ, जिसके साथ मैं युठ्ठ करता हूँ; फिर परमेश्वर ने मुझ से फुत करने को कहा है। इसलिये परमेश्वर जो मेरे संग है, उससे अलग रह, कहीं ऐसा न हो कि वह तुझे नाश करे।

21. তখন তিনি দূত দ্বারা এই কথা বলিয়া পাঠাইলেন, হে যিহূদা-রাজ, তোমার সঙ্গে আমার বিষয় কি? আমি অদ্য তোমার বিরুদ্ধে আসি নাই, কিন্তু যে কুলের সহিত আমার যুদ্ধ বাধিয়াছে, তাহার বিরুদ্ধে যাইতেছি; আর ঈশ্বর আমাকে ত্বরা করিতে বলিয়াছেন; অতএব তুমি আমার সহবর্ত্তী ঈশ্বরের বিরুদ্ধাচরণ হইতে ক্ষান্ত হও, নচেৎ তিনি তোমাকে বিনষ্ট করিবেন।

22. परन्तु योशिरयाह ने उस से मुंह न मोड़ा, वरन उस से लड़ने के लिये भेष बदला, और नको के उन वचनों को न माना जो उस ने परमेश्वर की ओर से कहे थे, और मगिद्दॊ की तराई में उस से युठ्ठ करने को गया।

22. তথাপি যোশিয় তাঁহা হইতে বিমুখ হন নাই, বরং তাঁহার সহিত যুদ্ধ করিবার জন্য ছদ্মবেশ ধারণ করিলেন; তিনি ঈশ্বরের মুখনির্গত নখোর বাক্যে কর্ণপাত না করিয়া মগিদ্দো উপত্যকায় যুদ্ধ করিতে গেলেন।

23. तब धनुर्धारियों ने राजा योशिरयाह की ओर तीर छोड़े; और राजा ने अपने सेवकों से कहा, मैं तो बहुत घायल हुआ, इसलिये मुझे यहां से ले जाओ।

23. পরে ধনুর্দ্ধরেরা যোশিয় রাজাকে বাণ মারিল; তখন রাজা আপন দাসদিগকে কহিলেন, আমাকে লইয়া যাও, কেননা আমি অত্যন্ত আহত হইয়াছি।

24. तब उसके सेवकों ने उसको रथ पर से उतार कर उसके दूसरे रथ पर चढ़ाया, और यरूशलेम ले गये। और वह मर गया और उसके पुरखाओं के कब्रिस्तान में उसको मिट्टी दी गई। और यहूदियों और यरूशलेमियों ने योशिरयाह के लिए विलाप किया।

24. তাহাতে তাঁহার দাসগণ সেই রথ হইতে তাঁহাকে বাহির করিল, এবং তাঁহার দ্বিতীয় রথে আরোহণ করাইয়া যিরূশালেমে আনিল, আর তিনি মারা পড়িলেন, এবং আপন পিতৃলোকদের কবরে কবরপ্রাপ্ত হইলেন। পরে সমস্ত যিহূদা ও যিরূশালেম যোশিয়ের নিমিত্তে শোক করিল।

25. और यिर्मयाह ने योशिरयाह के लिये विलाप का गीत बनाया और सब गानेवाले और गानेवालियां अपने विलाप के गीतों में योशिरयाह की चर्चा आज तक करती हैं। और इनका गाना इस्राएल में एक विधि के तुल्य ठहराया गया और ये बातें विलापगीतों में लिखी हुई हैं।

25. আর যিরমিয় যোশিয়ের জন্য বিলাপ-গীত রচনা করিলেন, এবং সকল গায়ক ও গায়িকা আপন আপন বিলাপ-গীতে যোশিয়ের বিষয়ে গান করিল; অদ্যাপি করে; ফলতঃ তাহারা তাহা ইস্রায়েলের পালনীয় বিধি করিল; আর দেখ, তাহা বিলাপ-সংহিতায় লিখিত আছে।

26. योशिरयाह के और काम और भक्ति के जो काम उस ने उसी के अनुसार किए जो यहोवा की व्यवस्था में लिखा हुआ है।

26. যোশিয়ের অবশিষ্ট কর্ম্মের বৃত্তান্ত ও সদাপ্রভুর ব্যবস্থায় লিখিত বাক্যানুযায়ী তাঁহার সাধুকার্য্য সকল, এবং তাঁহার বৃত্তান্ত আদ্যোপান্ত, দেখ,

27. और आदि से अन्त तक उसके सब काम इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हुए हैं।

27. সে সকল ইস্রায়েলের ও যিহূদার রাজগণের ইতিহাস-পুস্তকে লিখিত আছে।



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