16. और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।
16. And, we, have come to understand and to trust the love which, God, hath, in us. God, is, love; and, he that abideth in love, in God, abideth, and, God, in him abideth .