7. वैसे ही हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्रा जानकर उसका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिस से तुम्हारी प्रार्थनाएं रूक न जाएं।।
7. Likewise, you husbands, dwell with them according to knowledge, giving honor to the wife, as to the weaker vessel, and as being heirs together of the grace of life; that your prayers be not hindered.