Hebrews - इब्रानियों 2 | View All

1. इस कारण चाहिए, कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहकर उन से दूर चले जाएं।

1. We must therefore pay even more attention to what we have heard, so that we will not drift away.

2. क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतों के द्वारा कहा गया था जब वह स्थिर रहा ओर हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक ठीक बदला मिला।

2. For if the message spoken through angels was legally binding, and every transgression and disobedience received a just punishment,

3. तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्चिन्त रहकर क्योंकर बच सकते हैं? जिस की चर्चा पहिले पहिल प्रभु के द्वारा हुई, और सुननेवालों के द्वारा हमें निश्चय हुआ।

3. how will we escape if we neglect such a great salvation? It was first spoken by the Lord and was confirmed to us by those who heard Him.

4. और साथ ही परमेश्वर भी अपनी इच्छा के अनुसार चिन्हों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्थ के कामों, और पवित्रा आत्मा के वरदानों के बांटने के द्वारा इस की गवाही देता रहा।।

4. At the same time, God also testified by signs and wonders, various miracles, and distributions [of gifts] from the Holy Spirit according to His will.

5. उस ने उस आनेवाले जगत को जिस की चर्चा हम कर रहे हैं, स्वर्गदूतों के आधीन न किया।

5. For He has not subjected to angels the world to come that we are talking about.

6. बरन किसी ने कहीं, यह गवाही दी है, कि मनुष्य क्या हैं, कि तू उस की सुधि लेता है? या मनुष्य का पुत्रा क्या है, कि तू उस पर दृष्टि करता है?
भजन संहिता 8:4-6

6. But one has somewhere testified: What is man, that You remember him, or the son of man, that You care for him?

7. तू ने उसे स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया; तू ने उस पर महिमा और आदर का मुकुट रखा और उसे अपने हाथों के कामों पर अधिकार दिया।

7. You made him lower than the angels for a short time; You crowned him with glory and honor

8. तू ने सब कुछ उसके पांवों के नीचे कर दिया: इसलिये जब कि उस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, तो उस ने कुछ भी रख न छोड़ा, जो उसके आधीन न हो : पर हम अब तक सब कुछ उसके आधीन नहीं देखते।

8. and subjected everything under his feet. For in subjecting everything to him, He left nothing not subject to him. As it is, we do not yet see everything subjected to him.

10. क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।

10. For it was fitting, in bringing many sons to glory, that He, for whom and through whom all things exist, should make the source of their salvation perfect through sufferings.

11. क्योंकि पवित्रा करनेवाला और जो पवित्रा किए जाते हैं, सब एक ही मूल से हैं: इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता।
भजन संहिता 22:22

11. For the One who sanctifies and those who are sanctified all have one Father. That is why He is not ashamed to call them brothers,

12. पर कहता है, कि मैं तेरा नाम अपने भाइयों को सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।
भजन संहिता 22:22

12. saying: I will proclaim Your name to My brothers; I will sing hymns to You in the congregation.

13. और फिर यह, कि मैं उस पर भरोसा रखूंगा; और फिर यह कि देख, मैं उन लड़कों सहित जिसे परमेश्वर ने मुझे दिए।
2 शमूएल 22:3, यशायाह 8:17, यशायाह 8:18, यशायाह 12:2

13. Again, I will trust in Him. And again, Here I am with the children God gave Me.

14. इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे।
उत्पत्ति 3:15

14. Now since the children have flesh and blood in common, He also shared in these, so that through His death He might destroy the one holding the power of death-- that is, the Devil--

15. और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।

15. and free those who were held in slavery all their lives by the fear of death.

16. क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं बरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।
यशायाह 41:8-9

16. For it is clear that He does not reach out to help angels, but to help Abraham's offspring.

17. इस कारण उसको चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे।

17. Therefore He had to be like His brothers in every way, so that He could become a merciful and faithful high priest in service to God, to make propitiation for the sins of the people.

18. क्योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है।।

18. For since He Himself was tested and has suffered, He is able to help those who are tested.



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