16. क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धार्मिकता है?
16. Knowe ye not, that loke vnto who ye geue ouer youre selues as seruauntes to obeye, his seruauntes ye are to whom ye obey, whether it be of synne vnto death, or of obediece vnto righteousnes?