Ezekiel - यहेजकेल 43 | View All

1. फिर वह मुझ को उस फाटक के पास ले गया जो पूर्वमुखी था।

1. AFTERWARD the man [an angel] brought me to the gate, the gate that faces east.

2. तब इस्राएल के परमेश्वर का तेज पूर्व दिशा से आया; और उसकी वाणी बहुत से जल की घरघराहट सी हुई; और उसके तेज से पृथ्वी प्रकाशित हुई।
प्रकाशितवाक्य 1:15, प्रकाशितवाक्य 14:2, प्रकाशितवाक्य 19:6

2. And behold, the glory of the God of Israel came from the east and His voice was like the sound of many waters, and the earth shone with His glory. [Rev. 1:15; 14:2.]

3. और यह दर्शन उस दर्शन के तुल्य था, जो मैं ने उसे नगर के नाश करने को आते समय देखा था; और उस दर्शन के समान, जो मैं ने कबार नदी के तीर पर देखा था; और मैं मुंह के बल गिर पड़ा।

3. And the vision which I saw was like the vision I had seen when I came to foretell the destruction of the city and like the vision I had seen beside the river Chebar [near Babylon]; and I fell on my face. [Ezek. 1:4; 3:23; 10:15, 22.]

4. तब यहोवा का तेज उस फाटक से होकर जो पूर्वमुखी था, भवन में आ गया।

4. And the glory of the Lord entered the temple by the gate facing east.

5. तब आत्मा ने मुझे उठाकर भीतरी आंगन में पहुंचाया; और यहोवा का तेज भवन में भरा था।

5. Then the Spirit caught me up and brought me into the inner court, and behold, the glory of the Lord filled the temple.

6. तब मैं ने एक जन का शब्द सुना, जो भवन में से मुझ से बोल रहा था, और वह पुरूष मेरे पास खड़ा था।

6. And I heard One speaking to me out of the temple, and a Man stood by me.

7. उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, यहोवा की यह वाणी है, यह तो मेरे सिंहासन का स्थान और मेरे पांव रखने की जगह है, जहां मैं इस्राएल के बीच सदा वास किए रहूंगा। और न तो इस्राएल का घराना, और न उसके राजा अपने व्यभिचार से, वा उपने ऊंचे स्थानों में अपने राजाओं की लोथों के द्वारा मेरा पवित्रा नाम फिर अशुद्ध ठहराएंगे।

7. And He [the Lord] said to me, Son of man, this is the place of My throne and the place of the soles of My feet, where I will dwell in the midst of the children of Israel forever; and My holy name the house of Israel shall no more profane, neither they nor their kings, by their [idolatrous] harlotry, nor by the dead bodies and monuments of their kings,

8. वे अपनी डेवढ़ी मेरी डेवढ़ी के पास, और अपने द्वार के खम्भे मेरे द्वार के खम्भों के निकट बनाते थे, और मेरे और उनके बीच केवल भीत ही थी, और उन्हों ने अपने घिनौने कामों से मेरा पवित्रा नाम अशुद्ध ठहराया था; इसलिये मैं ने कोप करके उन्हें नाश किया।

8. Nor by setting their threshold by My thresholds and their doorposts by My doorposts, with a mere wall between Me and them. They have profaned My holy name by their abominations which they have committed; therefore I have consumed them in My anger.

9. अब वे अपना व्यभिचार और अपने राजाओं की लोथें मेरे सम्मुख से दूर कर दें, तब मैं उनके बीच सदा वास किए रहूंगा।

9. Now let them put away their [idolatrous] harlotry and the dead bodies and monuments of their kings far from Me, and I will dwell in their midst forever.

10. हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने को इस भवन का नमूना दिखा कि वे अपने अधर्म के कामों से लज्जित होकर उस नमूने को मापें।

10. Son of man, show the temple by your description of it to the house of Israel, that they may be ashamed of their iniquities; and let them measure accurately its appearance and plan.

11. और यदि वे अपने सारे कामों से लज्जित हों, तो उन्हें इस भवन का आकार और स्वरूप, और इसके बाहर भीतर आने जाने के मार्ग, और इसके सब आकार और विधियां, और नियम बतलाना, और उनके साम्हने लिख रखना; जिस से वे इसका सब आकार और इसकी सब विधियां स्मरण करके उनके अनुसार करें।

11. And if they are ashamed of all that they have done, make known to them the form of the temple and the arrangement of it--its exits and its entrances and the whole form of it--all its ordinances and all its forms and all its laws. And write it down in their sight so that they may keep the whole form of it and all the ordinances of it and do them.

12. भवन का नियम यह है कि पहाड़ की चोटी के चारों ओर का सम्पूर्ण भाग परमपवित्रा है। देख भवन का नियम यही है।

12. This is the law of the house [of the Lord]: The whole area round about on the top of the mountain [Mount Moriah] shall be most holy, separated, and set apart. Behold, this is the law of the house [of the Lord].

13. और ऐसे हाथ के माप से जो साधारण हाथ से चौवा भर अधिक हो, वेदी की माप यह है, अर्थात् उसका आधार एक हाथ का, और उसकी चौड़ाई एक हाथ की, और उसके चारों ओर की छोर पर की पटरी एक चौवे की। और वेदी की ऊंचाई यह हैे

13. And these are the measurements of the altar [of burnt offering] in cubits. The cubit is a royal cubit [the length of a forearm and a palm of the hand]; the bottom or gutter shall be a cubit deep and a cubit wide, with a rim or lip round about it of a span's breadth. And this shall be the height of the altar:

14. भूमि पर धरे हुए आधार से लेकर निचली कुस तक दो हाथ की ऊंचाई रहे, और उसकी चा।ड़ाई हाथ भर की हो; और छोटी कुस से लेकर बड़ी कुस तक चार हाथ हों और उसकी चौड़ाई हाथ भर की हो;

14. From the bottom or gutter on the ground to the lower ledge or brim shall be two cubits, and the breadth one cubit; and from the lesser ledge to the greater ledge shall be four cubits, and the breadth one cubit.

15. और उपरला भाग चार हाथ ऊंचा हो; और वेदी पर जलाने के स्थान के चार सींग ऊपर की ओर निकले हों।

15. And the altar hearth shall be four cubits high, and from the altar hearth reaching upward there shall be four horns one cubit high.

16. और वेदी पर जलाने का स्थान चौकोर अर्थात् बारह हाथ लम्बा और बारह हाथ चौड़ा हो।
प्रकाशितवाक्य 21:16

16. And the altar hearth shall be square--twelve cubits long, twelve broad, square in its four sides.

17. और निचली कुस चौदह हाथ लम्बी और चौदह चौड़ी हो, और उसके चारों ओर की पटरी आधे हाथ की हो, और उसका आधर चारों और हाथ भर का हो। उसकी सीढ़ी उसकी पूर्व ओर हो।

17. And the ledge shall be fourteen cubits long and fourteen cubits broad on its four sides, and the border about it shall be half a cubit; and its bottom or gutter shall be a cubit deep and wide, and its ascent [not steps] shall face the east. [Exod. 20:26.]

18. फिर उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जिस दिन हामबलि चढ़ाने और लोहू छिडकने के लिये वेदी बनाई जाए, उस दिन की विधियां ये ठहरेंे

18. And [the Lord] said to me, Son of man, thus says the Lord God: These are the regulations for the use of the altar in the day that it is erected, upon which to offer burnt offerings and to sprinkle blood against it:

19. अर्थात् लेवीय याजक लोग, जो सादोक की सन्तान हैं, और मेरी सेवा टहल करने को मेरे समीप रहते हैं, उन्हें तू पापबलि के लिये एक बछड़ा देना, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

19. You shall give to the priests, the Levites who are of the offspring of Zadok, who are near to Me to minister to Me, says the Lord God, a young bull for a sin offering.

20. तब तू उसके लोहू में से कुछ लेकर वेदी के चारों सींगों और कुस के चारों कोनों और चारों ओर की पटरी पर लगाना; इस प्रकार से उसके लिये प्रायश्चित्त करने के द्वारा उसको पवित्रा करना।

20. And you shall take of its blood and put it on the four horns of [the altar of burnt offering] and on the four corners of the ledge and on the rim or border round about. Thus shall you cleanse and make atonement for [the altar].

21. तब पापबलि के बछड़े को लेकर, भवन के पवित्रास्थान के बाहर ठहराए हुए स्थान में जला देना।

21. You shall also take the bullock of the sin offering, and it shall be burned in the appointed place of the temple, outside the sacred enclosure. [Heb. 13:11.]

22. और दूसरे दिन एक निदष बकरा पापबलि करके चढ़ाना; और जैसे बछड़े के द्वारा वेदी पवित्रा की जाए, वैसे ही वह इस बकरे के द्वारा भी पवित्रा की जाएगी।

22. And on the second day you shall offer a male goat without blemish for a sin offering. Thus the altar shall be cleansed, as it was cleansed with the bullock.

23. जब तू उसे पवित्रा कर चूके, तब एक निदष बछड़ा और एक निदष मेढ़ा चढ़ाना।

23. When you have finished cleansing it, you shall offer a young bull without blemish and a ram out of the flock without blemish.

24. तू उन्हें यहोवा के साम्हने ले आना, और याजक लोग उन पर लोन डालकर उन्हें यहोवा को होमबलि करके चढ़ाएं।

24. And you shall bring them near before the Lord, and the priests shall cast salt upon them and they shall offer them up for a burnt offering to the Lord.

25. सात दिन तक नू प्रति दिन पापबलि के लिये एक बकरा तैयार करना, और निदष बछड़ा और भेड़ों में से निदष मेढ़ा भी तैयार किया जाए।

25. Seven days you shall prepare every day a goat for a sin offering; also a young bull and a ram out of the flock, without blemish, shall be prepared.

26. सात दिन तक याजक लोग वेदी के लिये प्रायश्चित्त करके उसे शुद्ध करते रहें; इसी भांति उसका संस्कार हो।

26. For seven days shall they make atonement for the altar and purify it; so the priests shall consecrate, separate, and set it apart to receive offerings. [Exod. 29:37.]

27. और जब वे दिन समाप्त हों, तब आठवें दिन के बाद से याजक लोग तुम्हारे होमबलि और मेलबलि वेदी पर चढ़ाया करें; तब मैं तुम से प्रसन्न हूंगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

27. And when these days have been accomplished, on the eighth day and from then on, the priests shall offer your burnt offerings upon the altar and your peace offerings; and I will accept you, says the Lord God. [Rom. 12:1; I Pet. 2:5.]



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