27. परन्तु हे मेरे दास याकूब, तू मत डर, और हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के दूर देश से छुड़ा ले आऊंगा। याकूब लैटकर चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसे डराने न पाएगा।
27. And thou, thou dost not fear, my servant Jacob, Nor [art] thou dismayed, O Israel, For lo, I am saving thee from afar, And thy seed from the land of their captivity, And Jacob hath turned back, And hath been at rest, and been at ease, And there is none disturbing.